सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर खेतों में फूलों की खेती करने वाले परिवारों के आगे रोजीरोटी का संकट बन गया है। कारण ये है कि कोरोनाकाल में लोग फूलों को खरीदने से परहेज बरत रहे है। शादी-विवाहों में भ
मेहमान बुलाने और वेडिंग प्वाइंट की बुकिंग कैंसिल होने के चलते फूलों की मांग घटकर पांच प्रतिशत से भी कम हो गई है। पहले विवाह-शादियों के सीजन में लोग शान से दूल्हे की गाड़ी को फूलों से सजवाते थे और दूल्हा व दुल्हन की घरों के साथ-साथ विवाह स्थलों पर फूलों से जमकर सजावट की जाती थी लेकिन अब सरकार ने कोरोनाकाल में विवाह-शादी में मात्र पांच लोगों के शामिल होने अथवा अदालत में विवाह करने का नियम बनाया हुआ है। जिस कारण विवाह-शादी वाले घरों में लोग ना तो अपने घरों पर फूलों की सजावट करा रहे है और ना ही दूल्हे की गाड़ी फूलों से सज रही है। यहां तक कि वरमाला के लिए जरूर दो मालाएं लोग खरीद रहे है। सामाजिक आयोजन भी इन दिनों धूमधाम से मनाने बंद हो चुके है। पूजा, नामकरण, जन्मदिन, सालगिरह, जागरण आदि भी नही हो रहे है और ना ही फूलों का निर्यात हो पा रहा है जबकि पहले देश से अमरीका, नीदरलैंड, इंग्लैंड जैसे कई देशों को फूलों का निर्यात होता था तो पूजा, नामकरण, जन्मदिन, सालगिरह, जागरण, विवाह-शादी और सामाजिक कार्यक्रमों में फूलों की मांग जबरदस्त होती थी लेकिन अब ऐसा नही है। कोरोनाकाल में दूसरी लहर में सब कुछ थमा सा है। जिस कारण फूलों की खेती करने वाले फूल उत्पादकों के समक्ष रोजीरोटी संकट आ खड़ा हुआ है। खेती के लिए लिए गए लोन की किस्त भी नही भरी जा रही है। जाहिर है कि फूलों का कारोबार पूरी तरह कोरोना की भेंट चढ़ गया है। जिसका खामियाजा फूल उत्पादकों को नुकसान के रूप में उठाना पड़ रहा है। खेतों में खड़े फूल बाजार में बिकने के लिए नही जा पा रहे है और फूल तोड़े ना जाने पर खेतों में ही सूखकर झड़ रहे है। देखा जाए तो सोहना आसपास समेत फरूखनगर, पटौदी, मानेसर को मिलाकर करीब एक हजार एकड़ में फूलों की खेती होती है। छह सौ किसान फूलों की खेती से जुड़े है। कुछ किसानों के पास बड़ी जोत है तो कुछ के पास छोटी लेकिन कोरोनाकाल में उनके खेतों से फूलों की तुड़ाई व बिक्री नही हुई है। जिससे खेतों में खड़ा फूल झडक़र खराब हो रहा है। शहर में सिटी थाना के समीप, अनाजमंडी गेट, फौहाराचौक समेत विभिन्न स्थानों पर फूलों की दुकानें लगती थी लेकिन कोरोनाकाल में तमाम दुकानें बंद पड़ी है। शादियों के दौरान दिल्ली की गाजीपुर मंडी, छतरपुर मंडी समेत विभिन्न स्थानों से जरूरत के आधार पर फूल आता था लेकिन अब यह कारोबार ठप पड़ा है। विवाह-शादी सब बंद पड़े है तो कोरोनाकाल में मंदिरों में भी ना तो फूल चढ़ पा रहे है और ना ही पूजा के प्रयोग में लाए जा रहे है। ऐसे में फूलों की खेती करने वाले किसान परेशान है कि वह अपने परिवार का पेट कैसे भरे। घर खर्च कैसे चलाए। कुछ समझ में नही आ रहा है। उनके सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है।
Comments