चलना-फिरना बंद करवा सकता है एंकिलॉजि़ग स्पॉण्डिलाइटिस, समय रहते इलाज से मुमकिन है बचाव

Khoji NCR
2020-12-02 08:25:16

एंकिलॉजि़ंग स्पॉण्डिन्‍लाइटिस की बीमारी किसी को भी हो सकती है, यह ऐसी अवस्था है, जिसमें मरीज़ की रीढ़ की हड्डियां आपस में जुडऩे लगती हैं और सख़्त होकर अकड़ जाती हैं, जिससे उसका शरीर झुका हुआ न

़र आता है। 40 साल की उम्र के बाद स्त्रियों को इसके प्रति सचेत हो जाना चाहिए। सही समय पर उपचार न कराने पर यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है। और पीड़ित व्यक्ति चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है। समस्या की वजहें अभी तक एएस के वास्तविक कारणों की पहचान नहीं हो पाई है। अभी वैज्ञानिकों द्वारा इस पर रिसर्च किया जा रहा है। वैसे आनुवंशिकता को इसकी प्रमुख वजह माना जाता है क्योंकि एएस के ज्यादातर रोगियों में एचएलए-बी 27 नामक एक जीन समान रूप से पाया जाता है, जिसके आधार पर साइंटिस्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि आनुवंशिकता इस बीमारी की प्रमुख वजह हो सकती है। इसके लक्षण एंकिलॉजि़ंग स्पॉण्डिलाइटिस होने पर मरीज़ की कमर, हिप्स और थाइज़ में हमेशा अकडऩ और तेज़ दर्द होता है। शरीर के इन हिस्सों में सूजन भी हो सकती है। सुबह के वक्त या लगातार लंबे समय तक बैठकर काम करने के बाद भी ऐसी समस्या देखने को मिलती है। आमतौर ऐसे लक्षण लगभग 35-40 साल की उम्र में नज़र आने लगते हैं। यह दर्द इतना तेज़ होता है कि इसकी वजह से रोज़मर्रा की दिनचर्या बाधित होने लगती है और आराम करने के बाद भी उन्हें इससे राहत नहीं मिलती। इससे बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान स्वस्थ और संतुलित खानपान अपनाएं। अपने भोजन में कैल्शियम, प्रोटीन,विटमिन और मिनरल्स को प्रमुखता से शामिल करें। आमतौर पर मिल्क प्रोडक्ट्स, फल, हरी सब्जि़यों, ड्राई फ्रूट्स, अंडा, चिकेन और मछली से शरीर को इन आवश्यक तत्वों का पोषण मिल जाता है। कुकिंग के दौरान घी, तेल, मैदा और चीनी का इस्तेमाल सीमित मात्रा में करें। नियमित एक्सरसाइज़ और वॉक से बढ़ते वज़न को नियंत्रित रखें। जब भी पीठ में दर्द हो तो उसे मामूली समस्या समझकर अपने आप दवा लेने की गलती न करें। ऐसी स्थित में किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। कोविड-19 के दौर में ऐसे मरीज़ों को इन बातों का रखना चाहिए ध्यान जिन लोगों का उपचार चल रहा है, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोविड-19 की वजह से उनके उपचार में कोई रुकावट न आए। आजकल हॉस्पिटल में संक्रमण से बचाव का पूरा ध्यान रखा जाता है। इसलिए जब भी कोई समस्या हो तो बिना देर किए पहले इसके बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। अगर संभव हो तो ऑनलाइन कंसल्टेंसी या हॉस्पिटल जाकर डॉक्टर से सलाह लें।

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