सोहना,(उमेश गुप्ता): कोई घटना किसी व्यक्ति के जीवन को बदलने और उसकी विचारधारा में बदलाव लाने के लिए अहम साबित होती है। ऐसा ही गांव नाथूपुर में रहने वाले भोले गुर्जर व उनके छोटे भाई अज्जू के साथ
ुआ। कोरोना की चल रही दूसरी लहर के दौरान उनके चाचा महेश कुमार अचानक कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए। तीन दिन तक इन दोनों भाईयों ने छोटे से लेकर नामी अस्पतालों में आक्सीजन बैड के लिए चक्कर लगाए। अस्पताल प्रबंधन से मनमानी रकम जमा कराने का भरोसा दिया लेकिन बैड के अभाव में अस्पताल ने उनके चाचा महेश कुमार को भर्ती नही किया। चौथे दिन सही इलाज ना मिलने से उनके चाचा महेश कुमार का निधन हो गया। ऐसे हालातों ने दोनों भाईयों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि पास में इतना पैसा होने के बावजूद वह चाहकर भी बैड ना मिलने से अपने चाचा की जान नही बचा पाए। तब उन्होने उन्हे मुखाग्नि देते समय प्रण किया कि दूसरे के परिवार के साथ ऐसा दर्दनाक हादसा ना हो, इसका वे हर संभव प्रयास करेंगे। इनका प्रयास रंग लाया और उन्होने जरूरतमंदों की जरूरत व सेवा के लिए दस दिन के अंदर दस बैड का कोविड केयर सेंटर खोल दिया। अच्छी बात ये है कि खोले गए इस कोविड केयर सेंटर में आए मरीजों में से तीन मरीज ठीक होकर भी जा चुके है। गांव नाथूपुर में रहने वाले भोले गुर्जर व उनके छोटे भाई अज्जू ने हमारे प्रतिनिधि उमेश गुप्ता को बताया कि अब गांव की गलियों को भी इनके द्वारा सैनेटाइज कराया जा रहा है। ग्रामीणों की माने तो भोले गुर्जर के चाचा महेश कुमार, जिन्हे भतीजे प्यार से छोटे पापा कहते थे, बाईस अप्रैल को कोरोना संक्रमित हो गए। छब्बीस अप्रैल को उन्होने अंतिम सांस ली। रुपया-पैसा होते हुए भी उन्हे इलाज नही मिल सका। इस घटना ने भोले गुर्जर के मन में उथल-पुथल मचा दी। उन्होने अपने भाई व गांव के साथियों के साथ मिलकर टीम का गठन किया। जिसका नाम भाईचारा ग्रुप रखा। गांव नाथूपुर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में भाईचारा ग्रुप ने अपने स्तर पर दस बैड के कोविड केयर सेंटर की व्यवस्था की है। यहां पर अस्पताल में बैड एवं आक्सीजन नही मिलने वाले मरीजों को भर्ती किया जाता है। कोविड केयर सेंटर पर आक्सीजन कंसट्रेटर, आक्सीजन सिलेंडर, दवाएं, एंबुलेंस, डाक्टर एवं नर्सिंग स्टॉफ की चौबीस घंटे निशुल्क सेवा उपलब्ध रहती है। युवाओं का पुनीत कार्य देखकर कई डाक्टर भी बगैर शुल्क के कोविड सेंटर से जुड़ चुके है। मरीज को लाने तथा छोडऩे के लिए निशुल्क एंबुलेंस भी उपलब्ध है। तीन मरीज ठीक होकर घर जा चुके है। गंभीर मरीज को बड़े अस्पताल में भर्ती कराने का प्रयास किया जाता है। यही नही प्राण वायु की कीमत भोले तथा उनके दोस्तों को पता चल गई। लिहाजा ग्रामीणों ने अब मिल-जुलकर गांव नाथूपुर स्थित स्कूल परिसर में पेड़ों की देखभाल शुरू कर दी और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए पौधारोपण का निर्णय लिया है ताकि अधिक से अधिक पौधारोपण कर पेड़ों से मिलने वाली आक्सीजन का लाभ सभी को मिले और वातावरण पूरी तरह शुद्ध रहे।
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