वनभूमि में बने फार्महाउसों का सर्वे कार्य हुआ पूरा-जल्द चलेगा तोडफ़ोड़ अभियान सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर अरावली वनक्षेत्र में रातोंरात अवैध रूप से पहाडिय़ों का सीना चीरकर वनक्षेत्र में ग
र कानूनी तरीके से बनाए गए अवैध फार्महाउसों को तोडऩे के लिए डयूटी मजिस्ट्रेट की तैनाती का इंतजार है। इस कार्य को अंजाम देने के लिए डयूटी मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी तय होते ही तोडफ़ोड़ की कार्रवाई शुरू की जानी है क्योकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इन फार्महाउसों को वर्ष-2021 में 31 जनवरी तक हर हालत में ध्वस्त किए जाने का आदेश जारी कर रखा है। फार्महाउस बड़ी तादाद में है। इनके तोडफ़ोड़ के लिए 2 महीने का वक्त प्रशासन के पास रह गया है। वन विभाग ने इन फार्महाउसों को तोड़े जाने के लिए चल रहे सर्वे कार्य को पूरा कर लिया है। साथ ही वनभूमि पर अवैध रूप से बनाए गए फार्महाउसों को तोडऩे के लिए वनविभाग ने उपायुक्त को पत्र लिखा है ताकि उपायुक्त द्वारा गठित की गई कमेटी की अगुवाई में तोडफ़ोड़ अभियान को प्रभावी तरीके से चलाया जा सके। वन राजिक अधिकारी कर्मबीर मलिक का कहना है कि वन विभाग ने प्रशासन से डयूटी मजिस्ट्रेट लगाने की मांग कर रखी है क्योकि तोडफ़ोड़ की कार्रवाई को अंजाम देने के लिए डयूटी मजिस्ट्रेट लगाना जरूरी है। जहां तक वन विभाग का सवाल है, उनका विभाग तोडफ़ोड़ के लिए पूरी तरह तैयार है और निर्धारित समयावधि से पहले फार्महाउस ध्वस्त कर एनजीटी के दिए आदेशों की हर कीमत पर पालना सुनिश्चित बनाई जाएगी। उन्होने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा अगस्त महीने में जारी आदेश अनुसार अगले 2 महीने के भीतर यानि तोडफ़ोड़ के लिए पहचान में आए इन फार्महाउसों को वर्ष-2021 में 31 जनवरी तक हर हालत में ध्वस्त किया जाना है लेकिन दिलचस्प बात ये है कि इस बारे में वन विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने और यह बताने को तैयार नही है कि कुल कितने फार्महाउस वनभूमि पर बने हुए है और सर्वे में कितने फार्महाउसों की पहचान हो पाई है तथा कितने फार्महाउस अभी तक सर्वे से अछूते रहे है। ज्यादा कुरेदन पर वह इतना ही कह रहे है कि एनजीटी के आदेशानुसार निर्धारित समय सीमा के भीतर वनभूमि पर बनाए गए सभी फार्महाउसों को पूरी तरह ध्वस्त किया जाएगा लेकिन हैरानी भरी बात ये है कि वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों को पता ही नही है कि वन भूमि पर यहां कितने फार्महाउस बने हुए है। जिससे वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे है। ऐसे में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ रही है क्योकि कई साल पहले भी इन अवैध फार्महाउसों के मामले के तूल पकड़े जाने पर वन विभाग की तरफ से सर्वे किया गया था। उस वक्त किए गए सर्वे की रिपोर्ट पर कौन अधिकारी कुंडली मारे बैठा है, इस बारे में वन विभाग का कोई अधिकारी-कर्मचारी मुंह खोलने को तैयार नही है तो सेवानिवृत वन संरक्षक व पर्यावरण कार्यकर्ता डाक्टर आरपी बलवान इस मामले
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