तावडू क्षेत्र में बाल-मजदूरी बच्चों के भविष्य को अंधकार में डुबा रही।

Khoji NCR
2020-12-01 11:47:54

तावडू, (दिनेश कुमार): क्षेत्र में बाल मजदूरी का चलन बढ़ता जा रहा है। जिस कारण भारी संख्या में बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब रहा है। जिन बच्चों को स्कूल में होना चाहिए उन्हें खुलेआम दुकानों प

काम करते हुए देखा जा सकता है। बाल मजदूरी को रोकने के लिए सरकार ने कानून तो बनाये हुए है लेकिन प्रशासन इन कानूनों को सख्ती से लागू करने पर कोई ध्यान नहीं देता। जिस कारण बाल मजदूर लगाने वाले दुकानदारों व बाल मजदूरी करवाने वाले अभिभावकों को इन कानूनों का कोई खौफ नहीं है। जो खुलेआम बच्चों से काम करवाकर उनके भविष्य से खिलवाड कर रहे है। क्षेत्रवासियों ने प्रशासन से बाल मजदूरी पर अंकुश लगाने की मांग की है। दशरथ मक्कड, जगदीश, हाकमचंद तनेजा, रोशन, पवन, मुकट बिहारी, महेन्द्र गोयल, फतेहचंद, रामलाल, एडवोकेट धर्म किशोर, एडवोकेट दीपक सतीजा, बिटटू तनेजा आदि ने संयुक्त रूप में बताया कि बचपन मनुष्य के जीवन का सबसे यादगार पल होता है, उन्हें न किसी बात की चिंता होती है और न ही कोई जिम्मेवारी उन पर होती है। खूब खेलना कूदना, पढना-लिखना, मौज मस्ती बच्चों की आदतों में सुमार होता है। लेकिन गरीबी बच्चों से उनके ये हसीन पल छीन लेती है। ऐसा नजारा नगर में चाय की दुकान, होटल, ढाबों व अन्य दुकानों आदि पर छोटे छोटे बच्चों को काम करते हुए देखा जा सकता है। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल न भेजकर काम पर भेज देते है। जिसका मुख्य कारण गरीबी व अशिक्षा है। गरीब मां-बाप अपने बच्चों को गरीबी के चलते काम पर भेजना ज्यादा उचित मानते है। जिन्हें बहुत थोडे वेतन पर दुकानदार अपनी दुकान पर रख लेते है और उनका भरपूर शोषण करते है। सुबह से शाम तक बच्चों को काम पर लगाया जाता है। छोटी सी उम्र में काम करने के कारण बच्चे का मानसिक व शारीरिक विकास नहीं हो पाता। प्रदेश में विभिन्न भटटा पाठशालाएं खोली हुई है। वहीं इस तरह के बच्चों के लिए पाठशाओं पर दोहपर का खाना भी उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन उसके बावजूद लोग सरकार की श्रम मजदूरी योजना का फायदा नहीं उठा रहे है।

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