अमेरिका का भारत के साथ मजबूत व्यापारिक संबंधों के लिए बड़ा कदम, बिजनेस फोरम का किया पुनर्गठन

Khoji NCR
2021-05-19 10:33:36

वाशिंगटन,। अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने भारत के साथ आर्थिक मुद्दों पर और अधिक मजबूती के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यूएस-इंडिया सीइओ फोरम में अमेरिका के बीस शीर्ष कारॅपोरेट प्रमुखों को शा

िल किया जाएगा। यह फोरम दोनों देशों के बीच व्यापारिक दिग्गजों को आपसी सहमति बनाने के लिए एक मंच पर लाने का काम करता है। फोरम की स्थापना 2005 में हुई थी। इसका मकसद ही दोनों देशों के व्यापारिक हितों को लेकर चलना है। फोरम में दोनों देशों के प्राइवेट सेक्टर से ही सह-अध्यक्ष चुने जाते हैं, अमेरिका और भारत के वाणिज्य सचिव इसमें अध्यक्ष की भूमिका में होते हैं। दोनों देशों के अन्य सरकारी अधिकारियों को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती है। अमेरिका के वाणिज्य विभाग के अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रशासन ने अमेरिका की कंपनियों के सीइओ से इस फोरम के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। फोरम में शामिल दोनों देशों के प्राइवेट सेक्टर के दिग्गज इसके माध्यम से सरकारों को आर्थिक और व्यापारिक विकास के लिए अपने सुझाव देंगे। इससे सरकार को निजी क्षेत्र के सुझाव के साथ ही उनकी चिंताओं और समस्याओं के बारे में भी वास्तविक जानकारी मिलेगी। यह फोरम दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में कार्य करेगा। बीस दिग्गज सीइओ को फोरम में शामिल करते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि पूरे देश के व्यावसायिक और भौगोलिक क्षेत्र का सही प्रतिनिधित्व हो सके। इसमें बड़े, मध्यम और लघु तीनों ही श्रेणी के उद्यमियों को शामिल किया जाएगा। अमेरिका ने कहा, परमाणु हथियार वार्ता का विरोध कर रहा है चीन अमेरिका ने कहा है कि चीन उसके साथ द्विपक्षीय परमाणु हथियार वार्ता का विरोध कर रहा है। हालांकि, अमेरिका परमाणु हथियारों के भंडार को कम करने के प्रयासों को आगे बढ़ाना चाहता है। अमेरिका के निरस्त्रीकरण राजदूत राबर्ट वुड ने संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में कहा कि चीन ने नाटकीय ढंग से अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाया है। इसके बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह नाभिकीय जोखिम कम करने पर अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा, जिस तरह की अर्थपूर्ण या विशेषज्ञों की वार्ता हम रूस के साथ कर रहे हैं, उस तरह की वार्ता करने के प्रति चीन अनिच्छुक है। हमें उम्मीद है कि उसके इस रुख में बदलाव आएगा। बताते चलें कि अमेरिका और रूस ने इस साल के शुरू में हथियार नियंत्रण का समझौता 'न्यू स्टार्ट' पांच साल के लिए आगे बढ़ाने का फैसला किया है।

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