सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर स्थानीय नागरिक अस्पताल में डयूटी पर कार्यरत एक डाक्टर की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चुंगी एक पर रहने वाले एक परिवार में 20 वर्षी
युवक की दूध पीकर कुल्ला करने के बाद अचानक तबीयत बिगड़ गई। युवक की तबीयत बिगड़ती देख परिजन उसे तत्काल उपचार के लिए नागरिक अस्पताल में लाए तो डयूटी पर तैनात डाक्टर ने युवक के परिजनों को कहा कि युवक को तुरंत वेंटीलेटर की जरूरत है और स्थानीय अस्पताल में वेंटीलेटर की सुविधा नही है। ऐेसे में आप इसे किसी भी बड़े अस्पताल में ले जाए। जिससे युवक के परिजनों के हाथ-पैर फूल गए लेकिन इसी बीच अस्पताल में कार्यरत एक युवक जैसे ही वहां आया तो उसने युवक की हालत बिगड़ती देख तुरंत उसका बीपी चेक किया और उसे ऑक्सीजन लगाई तो युवक में ऑक्सीजन 97-98 के बीच होने पर सभी हैरत में रह गए। जैसे ही इस बात की जानकारी डाक्टर को लगी, डाक्टर तुरंत वहां आया और मामले में लीपापोती करने का प्रयास किया। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन कुछ भी कहने से बच रहा है तो युवक के परिजनों का कहना है कि सबसे बड़ी बात ये है कि उनके बच्चे की जान बच गई। चाहे वह जान किसी भी कर्मचारी की जागरूकता से बच पाई। कोरोनाकाल व लॉकडाउन चल रहा है। इतना जरूर है कि जैसे ही डाक्टर ने उन्हे बच्चे की जान बचाने के लिए वेंटीलेटर के लिए किसी बड़े अस्पताल में ले जाने के लिए बोला, उनके एकदम हाथ-पैर फूल गए। उन्हे समझ ही नही आया कि ऐसे में वह क्या करे, क्या ना करे लेकिन तभी अचानक प्रदीप नाम का एक युवक उनके लिए फरिश्ते के रूप में सामने आया। जिसने युवक की हालत देख सबसे पहले उसका रक्तचाप चेक किया और तुरंत उसे ऑक्सीजन लगाई तो युवक की हालत में एकदम सुधार आ गया। जिसके कुछ देर बाद ही परिजन युवक को घर ले गए। जागरूक लोगों का कहना है कि नागरिक अस्पताल में डाक्टरों की मनमर्जी व लापरवाही चल रही है। कही-कोई, देखने-सुनने वाला नही है। सरकार डाक्टरों को कोरोना योद्धा का दर्जा दे रही है तो कई डाक्टर डयूटी वक्त में अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन करने की बजाय लापरवाही बरतने से बाज नही आ रहे है। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि इस मामले में स्वयं संज्ञान लेकर लापरवाही बरतने वाले डाक्टर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाए ताकि भविष्य में अन्य कोई भी डाक्टर किसी भी रोगी की जिंदगी को लेकर भूले से भी लापरवाही ना बरते।
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