नई दिल्ली । नासा के हेलीकॉप्टर इंजेंविनिटी की पहली उड़ान को फिलहाल बुधवार तक के लिए टाल दिया गया है। नासा की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक 14 अप्रैल से पहले इसकी उड़ान नहीं होगी। नासा न
ये फैसला शुक्रवार देर रात मिले डाटा का विश्लेषण करने के बाद किया है। पहले ये उड़ान रविवार 11 अप्रैल 2021 को होनी थी। हालांकि उड़ान को टाल देने के बाद भी नासा के मार्स रोवर परसिवरेंस की टीम पूरी तरह से तैयार है। आपको बता दें कि 7 अप्रैल को नासा ने इस दो किग्रा वजनी हेलीकॉप्टर के ब्लैड खोल दिए थे। इसके बाद इनको घुमाकर देखा गया था। इस दौरान ब्लैड की स्पीड को बढ़ाकर देखा गया था। नासा के मुताबिक वाचडोग टाइमर से पता चला कि ये टेस्ट समय से पहले ही बंद हो गया। ऐसा हेलीकॉप्टर में लगे कंप्यूटर के प्री-फ्लाइट मोड से फ्लाइट मोड में जाने के दौरान हुआ। हालांकि नासा ने ये भी साफ कर दिया है कि हेलीकॉप्टर इंजेंविनिटी पूरी तरह से सही और सुरिक्षत है और इसका धरती से संपर्क बना हुआ है। 7 अप्रैल को ही मार्स रोवर परसिवरेंस ने अपने मास्टकैम-जेड कैमरे से इसकी तस्वीर भी खींची थी। वॉचडोग टाइमर एक कमांड सीक्वेंस एंड अलर्ट सिस्टम है जो किसी तरह की गड़बड़ी की जानकारी तुरंत देता है। ये सिस्टम को सुरक्षित बनाए रखता है। साथ ही तय कार्यक्रम के अनुसार काम न करने पर ये उसको रोक देता है। हेलीकॉप्टर इंजेंविनिटी और रोवर की टीम फिलहाल इस समस्या का समाधान करने में जुटी है। इसलिए ही इसका फल स्पीड टेस्ट भी अभी टाल दिया गया है। आपको बता दें कि बुधवार को यदि सब कुछ सही रहता है तो ये मंगल की सतह से करीब 10 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरेगा। नासा की तरफ से इस पूरी फ्लाइट की लाइव स्ट्रीमिंग भी होगी जो नासा टीवी, एजेंसी की वेबसाइट और नासा एप पर देखी जा सकेगी। इसके अलावा ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर और जेपीएल और फेसबुक के यूट्यूब चैनल पर भी देख सकेंगे। गौरतलब है कि नासा के इस हेलीकॉप्टर में किसी भी तरह का कोई सांइस इंस्ट्रूमेंट नहीं है। नासा का कहना है कि यदि 30 सोल (मार्स का दिन) के दौरान हेलीकॉप्टर इंजेंविनिटी को कोई नुकसान भी पहुंचता है और ये अपने मिशन में नाकामयाब होता है तब भी मार्स रोवर परसिवरेंस के मिशन में कोई नुकसान नहीं होगा। मंगल ग्रह पर इंजेंविनिटी की ये पहली उड़ान धरती पर होने वाली उड़ान से कहीं ज्यादा मुश्किल है। धरती की तुलना में मंगल पर ग्रेविटी एक तिहाई ही है। इसलिए हेलीकॉप्टर को वहां के वातावरण का सहारा लेकर अपनी उड़ान करनी होगी। नासा की जेट प्रपल्शन लैब (जेपीएल) के प्रोजेक्ट मैनेजर मीमी ऑन्ग का कहना है कि हेलीकॉप्टर को लेकर टीम को पहले दिन से ही तकनीकी चुनौतियों से दो चार होना पड़ा है।
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