डंपरों की आवाजाही और सडक़ टूटने से परेशान महिलाएं और लोग सडक़ पर उतरे

Khoji NCR
2021-04-09 11:31:25

सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर सोहना से बाया जक्खोपुर, आटा, रामपुर, उदाका होकर खानपुर, इंडरी, नवाबगढ़, राहुका, महरका, गांगौली, दुबालू, खेड़ाखलीलपुर, रीवड होकर मिंडकौला आवाजाही वाले सडक़ मार्ग पर पूर

दिन और पूरी रात निर्माण सामग्री रोड़ी-रेता से भरे ओवरलोड डंपरों की आवाजाही से सडक़ मार्ग टूटने तथा पूरा-पूरा दिन व पूरी रात उडऩे वाली धूल व बढ़ रहे प्रदूषण से परेशान होकर गांव आटा में शुक्रवार को महिलाएं व ग्रामीण सडक़ पर उतर आए और रेलवे ब्रिज का निर्माण करने वाली एल एंड टी एजेंसी तथा सडक़ निर्माण करने में लापरवाही दिखाने वाले संबंधित विभाग के साथ-साथ प्रदूषण रोकने में नाकाम नजर आ रहे प्रदूषण रोकथाम विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए डंपरों की आवाजाही पर रोक लगा दी। एक ही घंटे में कई सैकड़ों डंपरों की लाइन आवाजाही रूक जाने से सडक़ पर लग गई तो खनिज सामान से भरे डंपरों के गांव उदाका स्थित प्लांट पर ना पहुंचने से रेलवे ब्रिज का निर्माण करने वाली एजेंसी के अधिकारियों में भी हडक़ंप मच गया। सूचना पाकर मीडिया भी घटनास्थल पर पहुंच गई। उपरोक्त एजेंसी व संबंधित विभागों की बरती जा रही लापरवाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं व लोगों ने बताया कि सोहना व आसपास गांवों वाले क्षेत्र में एल एंड टी की तरफ से रेलवे ब्रिज निर्माण कार्य चलाया जा रहा है। निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी पहाड़ों से तोड़े गए भारी-भरकम पत्थरों को डंपरों के जरिए पहले ऑटा जोन में लीज पर लिए गए अपने स्टोन क्रेशरों में पहुंचाती है और फिर इन पत्थरों को क्रेशर में पिसवाने के बाद रोड़ी, रेता, बजरी बनवाकर इन्ही डंपरों के माध्यम से शिव पब्लिक स्कूल के समीप बने अपने प्लांट पर मंगाती है। पूरी-पूरी रात व पूरा दिन खनन सामग्री से भरे यह डंपर सडक़ों पर दौडऩे से सडक़ मार्ग पूरी तरह टूट गया है। इन ओवरलोड डंपरों की आवाजाही से उडऩे वाली धूल का आलम ये है कि लोग ना तो चैन से रोटी खा पा रहे है और ना रात को चैन से सो पा रहे है। उड़ रही धूल ने लोगों का जीना हराम कर दिया है। घरों में बर्तनों व कमरों में भी धूल पहुंच रही है तो खेतों में खड़ी फसल पर धूल जमने से फसल कटाई में परेशानी आ रही है। हरे चारे में धूल मिली होने से उनके दुधारू पशु इस चारे को खाने से परहेज बरत रहे है तो लोग एलर्जी वाली बीमारियों के साथ-साथ टीबी व कैंसर की चपेट में आ रहे है लेकिन केन्द्र अथवा राज्य सरकार तथा रेलवे ब्रिज का निर्माण करने वाली एल एंड टी एजेंसी की तरफ से उड़ रही धूल को रोकने के लिए ना तो पानी का छिडक़ाव कराया जा रहा है, ना ही प्रदूषण पर रोक लगाई जा रही है और ना ही ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच के लिए यहां पर कैंसर, टीबी व एलर्जी संबंधित जांच हेतू कोई भी कैंप नही लगाए जा रहे है। जब ग्रामीण इन ओवरलोड डंपरों के चलने पर धूल को उड़ते देख पानी छिडक़ाव का आग्रह करते है तो डंपर चालक और संंबंधित एजेंसी के अधिकारी उन्हे कार्य में बाधा डालने व झूठे मामले में फंसाने की धमकी देने तक से नही चूकते। गांव आटा में रहने वाले परम गौभक्त कुंवर रामोतार सिंह ने बताया कि उनकी धर्मपत्नी कुसुम देवी ग्रामपंचायत की मुखिया यानि सरपंच रही है लेकिन उड़ रही धूल के कण शरीर में जाने से पहले उन्हे खांसी आई। जिसने टीबी का रूप ले लिया, जो बाद में कैंसर बन गया। जिसकी कीमत उनकी पत्नी कुसुम देवी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। बीते वर्ष में सत्ताईस नवंबर को कैंसर से लड़ते हुए कुसुम देवी का निधन हो गया तो आज भी गांव में रहने वाले लाला रामकिशन महाजन उड़ रही धूल के कण शरीर में जाने पर दमा, अस्थमा के शिकार बन चारपाई में पड़े है तो गांव के पूर्व सरपंच कीरत सिंह को भी सांस लेने में दिक्कतें आ रही है। दमा अस्थमा बन गया है। इतना ही नही गांव में रहने वाले फौजी बीर सिंह की उड़ रही धूल के कण शरीर में जाने पर दमा, अस्थमा बनने पर उनकी मौत हो गई। महिलाओं ने बताया कि उन्हे खेतों में बोए गए गेंहू की फसल काटने में दिक्कतें आ रही है क्योकि फसल पर उड़ रही धूल जमने से फसल नही कट पा रही है और पशु भी चारे में धूल मिली होने से चारा खाने से परहेज बरत रहे है। ग्रामीणों का कहना रहा कि धूल की वजह से प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। ग्रामीण प्रदूषण की चपेट में आ रहे है लेकिन रेलवे ब्रिज का निर्माण करने वाली कंपनी के साथ-साथ संबंधित विभाग और सरकार इस तरफ तनिक भी ध्यान नही दे रही है। ऐसे हालातों को देख उन्हे ना चाहते हुए भी आज सडक़ पर उतर कर खुद ही इन ओवरलोड डंपरों को रोकने व विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालातों को भांप रेलवे ब्रिज का निर्माण करने वाली कंपनी एल एंड टी के मैनेजर रोबिन कुमार गुस्साए ग्रामीणों के बीच आए। उनकी रखी गई बातों को ध्यानपूर्वक सुना और उन्हे भरोसा दिया कि भविष्य में हर्गिज लापरवाही नही बरती जाएगी। प्रतिदिन खनन सामग्री लाने-ले जानेे के लिए 3 घंटे का समय निर्धारित किया जाएगा और डंपरों में खनन सामग्री लाने-ले जाने से पहले पूरे सडक़ मार्ग पर टैंकरों के माध्यम से पानी का छिडक़ाव कराया जाएगा। ग्रामीणों के स्वास्थ्यकी जांच के लिए निशुल्क जांच शिविर वक्त-वक्त पर लगवाए जाएंगे और इन स्वास्थ्य जांच शिविरों में एलर्जी, क्षय रोग व कैंसर रोग विशेषज्ञों के साथ-साथ विभिन्न रोगों से संबंधित रोग विशेषज्ञों को बुलाकर बिल्कुल निशुल्क रूप में जांच कराते हुए जरूरतमंदों को दवाई भी मुहैया कराई जाएगी। तब कही जाकर गुस्साई महिलाओं व लोगों का गुस्सा शांत हुआ। फिर भी गुस्साई महिलाओं व लोगों ने साफ-सपाट लहजे में कहा कि यदि उन्हे दिया गया भरोसा तोडऩे का प्रयास हुआ और कंपनी उनसे किए गए वादे पर खरी नही उतरी तो वह दोबारा से सडक़ पर उतरने में देरी नही लगाएंगे।

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