चीन के रवैये से परेशान जापान अपनी ताकत दिखाने को तैयार, 2024 का है इंतजार

Khoji NCR
2021-04-08 08:37:40

टोक्यो,। चीन की इस समय पहचान एक कब्जाई देश के रूप में होने लगी है। चीन सीमा पर लगने वाले हर देश के साथ धोखेबाजी करने को उतारू है। साथ ही दूसरों की जमीन पर भी अपना हक बताता है। जापान और चीन के बीच भ

द्वीपों को लेकर जारी विवाद बेहद गंभीर होता दिख रहा है। जापान 2024 से पूर्वी चीन सागर के जापानी क्षेत्र में चीन के परेशान करने वाले व चीन से जुड़े खतरे को लेकर पहली बार F-35B स्टील्थ लड़ाकू विमान तैनात करने जा रहा है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि हवाई क्षेत्र विवादित डियाओउ द्वीप समूह (सेनकाकू द्वीप) से लगभग 1,030 किमी उत्तर-पूर्व में है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (एससीएमपी) ने रिपोर्ट किया। जापान की योमीरी अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कि पहला F-35B जेट देश की मुख्य भूमि से दूर स्थित द्वीपों की रक्षा के लिए दक्षिणी मियाजाकी प्रान्त में एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स के न्युटाबारू एयर बेस पर तैनात किया जाएगा। सेनकाकू के नाम से पहचाने जाने वाले इस द्वीप पर चीन अपना दावा बताता है लेकिन इसपर कब्जा जापान का है। जूलियन रयाल और क्योडो ने एससीएमपी में एक लेख में कहा है कि हाल ही के वर्षों में चीनी कोस्ट गार्ड ने सेनकाकू द्वीपसमूह के पास गतिविधि बढ़ा दी है। इससे देश सर्तक हुआ है। बता दें कि 2012 में द्वीपों को जापान ने कब्जे में ले लिया था। एससीएमपी ने बताया कि जापान को मिलने वाले पहले एफ -35 बी के स्क्वाड्रन में 18 लड़ाकू विमान शामिल होंगे। प्रत्येक की कीमत 117 मिलियन अमरीकी डालर है। जापान की कुल 42 जेट्स खरीदने की योजना है। बता दें कि अमेरिका में बने एफ-35 लड़ाकू विमान वर्टिकल-टेक ऑफ और लैंडिंग तकनीकी से लैस हैं। माना जा रहा है चीन के अडिग रवैये के सामने दुनिया के सबसे अडवांस इन लड़ाकू विमानों की तैनाती से पूर्वी चीन सागर में जापान को बड़ी रणनीतिक बढ़त मिल सकती है।

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