कोविड-19 संक्रमण और वैक्सीन से जुड़े इन 5 मिथकों से बचकर रहें!

Khoji NCR
2021-04-01 08:28:28

नई दिल्ली, । April Fool's Day & Coronavirus Myths: अप्रैल फूल डे के मौके पर हम में से कई लोग ऐसा चाह रहे थी कि साल 2020 में हम सब जिन तकलीफों से गुज़रे अब वे ख़त्म हो जाएं। टीवी और अख़बारों में हेडलाइन छपे कि कोविड-19 सिर्फ ए

झूठी अफवाह था, और अब हम सब अपनी ज़िंदगी पहले की तरह गुज़ार सकते हैं। दुर्भाग्य से, साल 2021 कुछ अलग तरह की योजनाएं लेकर आया और देश में कोविड-19 के मामले तेज़ी से बढ़ने लगे। महामारी और इंटरनेट एक ख़तरनाक कॉम्बीनेशन बन गया है, महामारी के दौरान ग़लत सूचनाओं का ढेर लग गया था, जो अब वैक्सीन के साथ भी हो रहा है। लोग अब भी जादुई इलाज की खबरें शेयर कर रहे हैं, वैक्सीन की ज़रूरत पर सवाल उठा रहे हैं और पिछले साल हुए लॉकडाउन की खबरों को नई ख़बर के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। आज अप्रैल फूल के दिन आइए जानें ऐसे ही 5 मिथकों के बारे में जिनसे हमें सावधान रहने की ज़रूरत है। मिथक-1: कोविड-19 फ्लू की तरह ही है पिछले साल डॉक्टर्स का एक वीडियो काफी वायरल हुआ था जिसमें दावा किया जा रहा था कि कोविड-19 एक आम फ्लू वायरस है और दुनिया अब इस महामारी से नहीं जूझ रही है। कई लोगों ने इस वीडियो को शेयर किया जिसमें दावे किए जा रहे थे कि WHO के डॉक्टर्स अब कोविड-19 वायरस की अपनी बात से पलट गए हैं। क्या है सच्चाई: कोविड-19 और इंफ्लूएंज़ा के लक्षण भले ही एक तरह के ही होते हैं, क्योंकि ये दोनों रेस्पेरेट्री से जुड़े वायरस हैं, जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं, लेकिन फिर भी इनके बीच कई असामान्ताएं भी हैं। WHO के एक डाटा के मुताबिक, इंफ्लूएंज़ा कोविड-19 से ज़्यादा तेज़ी से फैलता है जबकि एक संक्रमित व्यक्ति से उत्पन्न हो रहे दूसरे संक्रमणों की संख्या इंफ्लूएंज़ा के मुकाबले कोविड-19 में ज़्यादा होते हैं। फ्लू जैसे लक्षणों के अलावा कोरोना वायरस में फेफड़ों, दिल, पैरों या दिमाग़ में ब्लड क्लॉट्स जैसी दिक्कतें भी आती हैं। मिथक-2: हैंड सैनीटाइज़र के लगातार उपयोग से हाथ खराब होते हैं पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए हाथ की स्वच्छता के महत्व पर ज़ोर दिया है। रोज़ाना दिन में कई बार हाथों को साबुन से कम से कम 20 सेकेंड के लिए धोएं और अगर साबुन उपलब्ध नहीं है, तो हैंड सैनीटाइज़र का उपयोग करें। हालांकि, कई ऐसी वायरस पोस्ट हैं, जो सैनीटाइज़र के लगातार उपयोग को ख़तरनाक बता रही हैं। इन वायरल पोस्ट में हाथों में सूजन, पस से भरे हाथों की तस्वीरें हैं और इसका कारण सैनीटाइज़र को बताया जा रहा है। क्या है सच्चाई: त्वचा विशेषज्ञों के अनुसार, एक आम सैनीटाइज़र त्वचा को इस तरह का नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। अगर सैनीटाइज़र को किसी और चीज़ के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा रहा है, तो ऐसे रिएक्शन हो सकते हैं। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय या किसी भी हेल्थ एजेंसी ने अभी तक हैंथ सैनीटाइज़र से जलन होने की बात नहीं कही है। मिथक-3: शाकाहारी लोग कोरोना वायरस से सुरक्षित है सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें ये दावा किया गया था कि कोविड-19 से अभी तक एक भी शाकाहारी व्यक्ति संक्रमत नहीं हुआ है। ये जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से दी जा रही थी। क्या है सच्चाई WHO ने कभी इस तरह का दावा नहीं किया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड-19 का मांसाहारी या शाकाहारी होने से कोई संबंध नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कभी इस तरह का परीक्षण नहीं किया है। मिथक-4: मास्क आपके शरीर में CO2 विषाक्तता का कारण बनता है पिछले साल एक वीडियो काफी वायरस हुआ था, जिसमें भारत के 5 नौजवान फेस मास्क को जलाते नज़र आ रहे थे। इस वीडियो में शामिल नौजवान ये दावा कर रहे थे कि कोविड-19 से बचाने में मास्क कारगर नहीं हैं। साथ ही मास्क पहनने से शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इस स्थिति को हाइपरकेनिया या हाइपरकेरिया कहा जाता है। क्या है सच्चाई अगर N95 या N99 माक्स को लगातार 8-9 घंटों के लिए पहना जाए, तो शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 2-4 प्रतिशत बढ़ जाती है। ये उन डॉक्टर्स के साथ हो सकता है जो कई घंटों की सर्जरी करते हैं, और N95 के ऊपर मास्क की एक लेयर और पहनते हैं। वहीं, अगर एक आम व्यक्ति सर्जिकल मास्क या किसी भी मास्क की तीन लेयर पहनता है, तो उसे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने का ख़तरा नहीं होगा। मिथक-5: लहसुन का पानी कोरोना वायरस को ठीक कर सकता है वाट्सएप पर वायरल एक मैसेज में कहा गया कि उबला हुआ लहसुन का पानी पीने से कोरोना वायरस संक्रमण ठीक हो सकता है। क्या है सच्चाई एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बिना किसी रिसर्च के इस के दावों को माना नहीं जा सकता। लहसुन या लहसुन के पानी का क्या असर होता है इसपर अभी तक कोई रिसर्च नहीं की गई है, खासतौर पर कोविड के मामले में। WHO ने ये ज़रूर कहा था कि लहसुन में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, लेकिन इस बात कोई सबूत नहीं है कि यह लोगों को वर्तमान COVID-19 के प्रकोप से बचा सकता है।

Comments


Upcoming News