श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ आज से हुआ प्रारंभ-महिलाओं ने बाजार में निकाली कलश यात्रा

Khoji NCR
2021-03-19 10:53:26

सोहना,(उमेश गुप्ता): शिवनगरी के वार्ड-बीस के तहत लगने वाले गांव सांपकीनंगली आवाजाही वाले सडक़ मार्ग पर स्थित बांध कॉलोनी की वाटर सप्लाई प्रांगण में शुक्रवार से श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ

ा आयोजन पूरे हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ प्रारंभ हो गया है। इससे पूर्व आज सुहागिन महिलाओं ने अपने सिर पर जल से भरे कलश रखकर गाजे-बाजे के साथ मंगल गीत गाते हुए श्री शिवकुंड गर्म चश्मा से विभिन्न बाजार मार्गों से होते हुए आयोजन स्थल तक नगरपार्षद श्रीमती रेखा रावत, राजवती शर्मा, निर्मला देवी, रामप्यारी, बीना, गुडडी देवी, सुमन देवी, ओमवती देवी, गंगा देवी, आशा देवी, रज्जो रानी, शकुंतला, सीमा रानी की अगुवाई में कलश यात्रा निकाली। युवा समाजसेवी भारत भीमवाल, गोपी नागर ने बताया कि कलश यात्रा में जाने-माने कथाव्यास वृंदावन धाम से आए परम पूज्य राधा रमन जी महाराज आदि प्रमुख लोगों समेत सोहना और आसपास लगते गांवों से श्रद्धालु व आमंत्रित लोग खासी तादाद में मौजूद रहे। कथावाचक परम पूज्य राधा रमन जी महाराज ने अपने मुखारविंद से श्रद्धालुओं के बीच ज्ञान की गंगा बहाते हुए कहा कि भागवत कथा मनुष्य के जीवन में ज्ञान, भक्ति और वैराग्य को प्रकट कर उसके मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करती है। उन्होने कहा कि यह कथा मनुष्य के शुष्क हृदय में कृष्ण भक्ति का प्रेम रस भर देती है। मनुष्य की कुटिल बुद्धि उसे प्रेत के समान बना देती है लेकिन कृष्ण कथा का रसास्वादन कर वह प्रेत योनि से मुक्त हो जाता है। विरक्त संत सुकदेवी जी के मुख से सर्वप्रथम यह कथा परीक्षित को सुनाई गई। जिससे उनका मृत्यु भय समाप्त हो गया और वह भगवान श्रीकृष्ण के बैकुण्ठ धाम के अधिकारी हो गए। उन्होंने कहा कि आत्मदेव जैसा परम ज्ञानी भी धुंधली मति रूपी पत्नी के कारण धुंधकारी जैसे पुत्र का पिता बनता है। जो उसे घोर यातनाएं देते हुए नष्ट कर देता है लेकिन सुमति एवं भक्ति से सम्पन्न गौकर्ण जैसे पुत्र के कारण इन सबको मोक्ष प्राप्त हो जाता है। कथा का सूत्र है कि कुल में एक भी भक्त पुत्र पैदा हो जाता है तो वह सभी का उद्धार कर देता है। उन्होंने कहा कि भक्ति तभी पूर्ण मानी जाती है, जब वह ज्ञान और वैराग्य के कवच में हो। भागवत महातम्य में प्रसंग आता है कि वृंदावन में भक्ति तो जवान होकर अपने वृद्ध एवं अचेत पड़े दोनों पुत्रों ज्ञान और वैराग्य के लिए विलास कर रही है। कितनी विलक्षण बात है कि मां जवान है और बेटे मूर्छित होकर पड़े हुए है। इसका सूत्र यही है कि भक्ति ज्ञान और वैराग्य के बिना अपूर्ण है और असुरक्षित भी है। वर्तमान समय में भी समाज में भक्ति का यही रूप दिखाई देने लग गया है। भक्ति के नाम पर नाच-गाने तो बहुत हो रहे है लेकिन वहां ना ज्ञान है और ना ही वैराग्य। कथावाचक परम पूज्य राधा रमन जी महाराज ने अपने मुखारविंद से श्रद्धालुओं के बीच ज्ञान की गंगा बहाते हुए कहा कि भागवत सुनने से सभी कष्ट दूर होते है। धर्म की जड़ सदा हरी होती है। प्रतिष्ठा के लिए लोभ से वशीभूत होकर चलने का प्रयास करेंगे तो हिरण्यकश्यप की भांति हमें पिता और पुत्र का पवित्र रिश्ता भी नही दिखाई देगा। मनुष्यों को अपने विचारों में शुद्धता लानी चाहिए। क्रोध पर अंकुश रखना चाहिए। अपनी नेक कमाई में से कुछ दान और गौसेवा अवश्य करनी चाहिए। अत: श्रीमद भागवत कथा वर्तमान समय में और अधिक प्रासंगिक हो गई है। भारत भीमवाल, नगरपार्षद मुकेश सैनी, गोपी नागर, मंजीत चौहान, विक्की नागर, विक्की यदुवंशी, गोविंदा यदुवंशी, अनीस नागर, जसबीर गगनोती, विकास सरोहा, राहुल कुमार ने बताया कि रोजाना दोपहर एक बजे से शाम 5 बजे तक कथा आयोजित होगी और भागवत कथा के समापन पर 26 मार्च को कथा आयोजन स्थल पर पूर्णाहूति व प्रसाद वितरण तथा विशाल भंडारा आयोजन रखा गया है।

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