सोहना,(उमेश गुप्ता): समाज में बेटा-बेटी को एक समान समझने वाली लोक कहावत यहां उस वक्त चरितार्थ हो गई, जब शहर में दमदमा रोड पर एक रेस्तॅरा में कार्यरत एक व्यक्ति की मौत होने पर उसकी चिता को उसकी 24 वर
्षीय पुत्री मोनिका पांडे ने 800 किलोमीटर दूर उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से सोहना आकर स्थानीय स्वर्गधाम में मुखाग्नि दी। इससे पूर्व रोती-बिलखती पुत्री अपने परिजनों और सोहना गांव के नंबरदार तेजपाल सैनी के साथ नागरिक अस्पताल में अपने पिता का पोस्टमार्टम कराने के बाद पिता की अर्थी को कंधा देते हुए स्वर्गधाम तक ले गई। इस कार्य में नंबरदार तेजपाल सैनी, उनके पुत्रों और रेस्तॅरा पर कार्यरत सभी वर्करों ने हाथ बंटाया तथा अंतिम संस्कार ना होने तक रेस्तॅरा को भी बंद रखा। 24 वर्षीय मोनिका पांडे ने रोते हुए बताया कि उनके पिता सुनील पांडे पुत्र श्री गयाप्रसाद पांडे मूल निवासी गांव कैसारा, तहसील केसरगढ़, थानाक्षेत्र चिनिया, जिला सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, उत्तरप्रदेश के रहने वाले थे और वह वर्ष-2001 में चिल्डप्वाइंट रेस्तॅरा पर बतौर कर्मचारी परिवार सहित काम करने के लिए आए लेकिन वर्ष-2012 में किसी चालाक प्रवृति वाले वाले व्यापारी ने उसे ज्यादा वेतन का लालच देकर यहां से हटने के बाद अपने साथ झिरकाफिरोजपुर ले गया लेकिन वहां सुनील पांडे ज्यादा दिन टिक नही पाए। कई वर्षों तक सोहना के गांव सिलानी में एक ढाबे पर नौकरी की लेकिन वहां भी मन नही लगा तो वहां से नौकरी छोड़ दी। जिसके बाद वह शहर सोहना में दमदमा रोड पर दौहला चौक के पास एक रेस्तॅरा पर नौकरी करने लगे लेकिन इसी बीच उन्हे शराब की लत लग गई। उनकी शराबी प्रवृति से परेशान होकर पत्नी उषा देवी अपने एक पुत्र और 2 पुत्रियों को लेकर वापिस अपने मूल गांव कैसारा लौट गई और वही जैसे-तैसे अपने परिवार की आजीविका चलाने लगी। इसी बीच एक हादसे में इकलौते पुत्र की मौत हो गई और दोनों पुत्रियों की देखरेख का भार उषा देवी के सिर पर आ पड़ा। आज भी दोनों बेटियां अविवाहित है। मृतक की पुत्री की माने तो वर्ष-2012 के बाद से ना तो उनके पिता ने कभी गांव की तरफ रूख किया और ना ही उनकी सुध ली तथा ना ही खर्चा-पानी भिजवाया। उनकी मां ही मेहनत-मजदूरी कर उन्हे पालती-पोसती रही। मोनिका पांडे की माने तो वह रूखा-सूखा खाकर जैसे-तैसे गुजारा करते रहे लेकिन उन पर अब विपदा का पहाड़ उस वक्त टूट पड़ा, जब सोहना सिटी पुलिस थाने से उनके पास सूचना आई कि सुनील पांडे की सोहना शहर के खेलस्टेडियम के सामने मौत हो गई है। उनका शव लावारिस हालत में पड़ा मिला। जिसको पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल के शवगृह में रखवा दिया और सोहना गांव के नंबरदार तेजपाल सैनी के माध्यम से मृतक युवक की शिनाख्त कर उन तक सुनील पांडे की मौत की सूचना भिजवाई। सूचना पाकर मोनिका पांडे अपने 2 चचेरे भाई और एक पड़ोसी तथा दिल्ली में रह रहे उन्ही के गांव के कुछ लोगों के साथ शहर पुलिस थाने में आई और अपने पिता के शव की शिनाख्त कर पोस्टमार्टम के बाद शव को सुपुर्द करने का आग्रह किया। पुलिस ने भी तत्परता दिखाई और मृतक का पोस्टमार्टम कराकर सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी कराने के बाद शव को उनकी पुत्री के हवाले कर दिया। मोनिका पांडे की माने तो पिता की मौत के बाद उनकी अंतयेष्टि तक सोहना गांव के नंबरदार तेजपाल सैनी व उनके परिवार के साथ-साथ मास्टर सूरज कुमार तथा सोहना लायंसक्लब ने भी पूरा सहयोग किया और किसी वक्त में चिल्डप्वाइंट रेस्तॅरा पर काम करने वाले सुनील पांडे की अंतयेष्टि ना होने तक देर शाम तक रेस्तॅरा संचालक ने अपना रेस्तॅरा बंद रखा और रेस्तॅरा पर काम करने वाले कर्मचारियों व परिजनों के साथ अंतिम संस्कार तक डटे रहे। मोनिका पांडे का कहना है कि आज मौकापरस्ती के इस युग में ऐसी मानवता कम देखने को मिलती है। चाहे उनके सिर से आज बाप का साया उठ गया है लेकिन उसने गांव के बुजुर्ग नंबरदार तेजपाल सैनी को आज से अपना धर्मपिता मानने का संकल्प लिया है। अत्येष्टि के वक्त उस वक्त सभी की आंखें भर आई, जब पुत्र के मौके पर मौजूद ना होने पर मोनिका पांडे ने अपनी पिता जी की चिता को कंधा देते हुए स्वर्गधाम में पहुंच कर उनकी चिता को रोते-बिलखते हुए मुखाग्नि दी। मोनिका पांडे ने बताया कि वह अपने छोटे भाई की काफी वर्षो पहले एक सडक़ हादसे में हुई मौत के बाद अपने पिता सुनील पांडे को पहले ही प्रण दे चुकी थी कि उनकी अंतिम रस्म से जुड़ी सभी कार्य खुद पूरा करूंगी। सोहना गांव के नंबरदार तेजपाल सैनी का कहना है कि मृतक की मौत नकली शराब यानि स्पिरिट पीने से हुई है। यदि उसे मदिरापान का शौक ना होता तो आज उसके परिवार को ऐसे दुख भरे दिन ना देखने पड़ते। उन्होने सर्वजातीय समाज के बुद्धिजीवियों से आग्रह किया है कि वह शराब जैसी बुराई के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाकर समाज को नैतिक पतन की तरफ से जाने से बचाकर देश व समाज के प्रति अपने दायित्व का बखूबी निर्वाह करे। उन्होने बताया कि वह खुद भी शराब के खिलाफ बीते 30 वर्ष से अपने स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए हुए है और ना जाने कितने लोगों को नशामुक्ति के लिए अपने खर्चे पर दवाई दिलाकर नशे से छुटकारा दिलाने का काम किया है।
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