खेलस्टेडियम में लाइट लगाने की आड़ में हो रहा गड़बड़झाला-खेला जा रहा खेल

Khoji NCR
2021-03-16 11:44:48

सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर खेलस्टेडियम में रात के वक्त बने अंधेरे को दूर करने के लिए लगाई जा रही लाइटों की आड़ में गड़बड़झाला वाला खेल सामने आया है। मामले का खुलासा उस वक्त हुआ, जब लाइट लगाने व

ली एजेंसी के ठेकेदार ने निर्धारित राशि से ज्यादा का बिल बनाकर दिए। जिस पर खेलस्टेडियम समिति ने एतराज जताया और कहा है कि लोकनिर्माण के माध्यम से खेलस्टेडियम में करीब डेढ़ दर्जन हाईमास्क लाइटें लगाने के लिए साढ़े 3 लाख रुपए का ठेका दिया था लेकिन अब चालाकी दिखाते हुए एजेंसी ठेकेदार ने लाइटों का बिल साढ़े 3 लाख रुपए की बजाय साढ़े 7 लाख रुपए का देकर खेलस्टेडियम समिति में हडक़ंप मचा दिया है और उससे भी हैरानी वाली बात ये है कि आज भी इन लाइटों में से काफी लाइटें खराब है। यानि लाइटें लगाने का ठेका छोड़े जाने के बावजूद खेलस्टेडियम के हालात वही ढाक के तीन पात नजर आ रहे है। रात के वक्त खेलस्टेडिय में आज भी उजियारे की बजाय अंधेरा नजर आता है। ऐसे में खेलस्टेडियम समिति और संबंधित अधिकारी फिलहाल इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे है तो इस मामले का भांड़ाफोड़ होते ही लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं जोर पकड़ रही है। लोग ये कहने से नही चूक रहे है कि खेलस्टेडियम कमेटी के पास मोटा पैसा होने के बावजूद ना तो खेलस्टेडियम की कायापलट की जा रही है। ना खेलों को बढ़ावा मिल रहा है। ना खिलाडिय़ों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जब भी खेलस्टेडियम में विकास कार्य के नाम पर कोई काम कराया जाए तो उसमें भी गड़बड़झाले की बू आती है क्योकि इससे पहले भी स्थानीय खेलस्टेडियम में मिटटी डलवाने के लिए जो ठेका छोड़ा गया, उसमें भी उस वक्त ठेकेदार ने साम-दाम-दंड-भेद वाली चाणक्य नीति अपनाते हुए डाली गई मिटटी से कही ज्यादा के बिल बनाकर खेलस्टेडियम समिति को चपत लगानी चाही। यह अलग बात है कि वह अपने जी तोड़ प्रयासों के बावजूद अपने मकसद में कामयाब नही हो पाया और अब खेलस्टेडियम में रात के वक्त बने अंधेरे को दूर करने के लिए लगाई जा रही लाइटों की आड़ में गड़बड़झाला वाला खेल सामने आया है। लोगों का कहना है कि इस पूरे मामले की ईमानदारी से निष्पक्षतापूर्वक जांच होनी चाहिए। ज्यादा बिल बनाकर खेलस्टेडियम समिति को आर्थिक चपत लगाने वाली एजेंसी व उसके ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए और एजेंसी के किए गए काम का भुगतान रोककर पहले पूरी तरीके से अच्छे से जांच-पड़ताल कर हाईमास्क लाइटों की गुणवत्ता जांची जानी चाहिए और इस बात की भी गहराई से जांच होनी चाहिए कि जब खेलस्टेडियम कमेटी की तरफ से संबंधित एजेंसी-ठेकेदार को स्टेडियम में करीब डेढ़ दर्जन हाईमास्क लाइटें लगाने के लिए साढ़े 3 लाख रुपए का ठेका दिया गया तो ठेकेदार-एजेंसी ने किसकी शह पर दोगुणे से ज्यादा का बिल बनाकर भिजवाया। वह सफेदपोश मछलियां कौन है, जो पर्दे के पीछे रहकर विकास कार्यों की आड़ में इस घोटाले को अंजाम देना चाह रही थी। यह तो अच्छा हुआ कि समय रहते इस बात की भनक लग गई और गड़बड़झाले का भांड़ाफोड़ हो गया लेकिन पूरी जांच कर इस सच्चाई को जग जाहिर करना चाहिए कि ऐसे कौन लोग है, जो विकास कार्यों की आड़ में अपनी जेबों को भरने के लिए सरकारी खजाने को भी चपत लगाने से नही चूक रहे है ताकि ऐसे चेहरे बेनकाब हो सके।

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