स्मिता । अभिनय हो या कैमरे के पीछे निर्देशन से लेकर सिनेमेटोग्राफी, एडीटिंग तक अलग-अलग फील्ड में वक्त के साथ-साथ हिंदी सिनेमा में महिलाओं की भूमिका में काफी बदलाव आया है। फिल्मों की कहानियों
ें महिलाएं जहां अबला से सशक्त और आत्मनिर्भर नजर आ रही हैं। वहीं बतौर निर्देशक, निर्माता और सिनेमेटोग्राफर भी महिलाएं उन्नत कहानियों को स्क्रीन पर प्रस्तुत कर खुद को साबित कर रही हैं। ‘सुल्तान’, ‘बैंड बाजा बारात’ और ‘एनएच10’ जैसी फिल्मों की अभिनेत्री अनुष्का ने न सिर्फ अपने किरदारों में सशक्त, साहसी और आत्मनिर्भर महिलाओं को प्रदर्शित किया है, बल्कि बतौर प्रोड्यूसर भी उन्होंने ‘परी’ और ‘फिल्लौरी’ जैसी फिल्मों में महिलाओं का एक अलग स्वरूप प्रस्तुत करने की कोशिश की है। महिलाओं की बदलती भूमिका पर उनका कहना है, ‘सिनेमा बदलाव लाने की ताकत रखता है। अगर कहानियों को सही ढंग से दिखाया जाए तो फिल्में लोगों को अच्छे-बुरे के बीच फर्क करना सिखा सकती हैं’।
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