स्ट्रोक से लेकर इंफर्टिलिटी तक, मोटापे से बढ़ जाता है इन बीमारियों का ख़तरा!

Khoji NCR
2021-03-04 07:52:37

नई दिल्ली,। World Obesity Day: आजकल की लाइफस्टाइल को देखते हुए पूरी दुनिया के लिए मोटापा एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है और सिर्फ विकसित देशों में ही नहीं बल्कि कम आय वाले देशों के भी नागरिक चाहे वो बच्चे हो

या बड़े मोटापे का शिकार होते नज़र आ रहे हैं। आज 4 मार्च को विश्व मोटापा दिवस यानी वर्ल्ड ओबेसिटी डे मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने का बस एक ही उद्देश्य है कि लोगों में मोटापे के प्रति जागरूकता पैदा करना और साथ ही स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सचेत करना। इस खास दिन की शुरुआत 2015 में वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन ने की थी। मोटापे से होने वाले नुकसान को देखते हुए आज हम आपको बताने जा रहें है कि वो कौन से कारण हैं, जो मोटापा बढ़ाने में मदद करते हैं। क्यों हो रहे हैं लोग मोटापे का शिकार इसका सबसे बड़ा कारण है खराब लाइफस्टाइल। भागती दौड़ती ज़िदगी में हमें अपने लिए वक्त नहीं मिलता, जिसमें हम हेल्दी खा सकें या अपने वर्कआउट कर सकें। बाहर का खाना खाने और एक्सरसाइज़ की कमी का असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है और हम धीरे-धीरे मोटापे का शिकार होने लगते हैं। मोटापे से बढ़ जाता है इन बीमारियों का ख़तरा डॉ. अस्वती नायर (नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, नई दिल्ली के फर्टिलिटी कंसल्टेंट) का कहना है, "मोटापे के मामलों में वृद्धि होने का प्रमुख कारण सभी उम्र के लोगों द्वारा फिज़ीकल एक्टिविटी में कमी होना है। इससे कई सारी स्वास्थ से संबंधित समस्याएं होने का ख़तरा बढ़ गया है। इन ख़तरों में दिल की बीमारी, स्ट्रोक और पुरुषों की नपुंसकता होना शामिल है। पुरुषों की प्रजनन क्षमता उनके बॉडी मास इंडेक्स पर निर्भर करती है। ज़्यादा बॉडी मास होने से कई फर्टिलिटी से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। स्टडी में यह देखा गया है कि मोटापा पुरुषों के स्पर्म की क्वालिटी को कम कर देता है। ज्यादा वजन होने से पुरुषों का स्पर्म काउंट सामान्य पुरुषों की तुलना में कम हो सकता है।" डॉ. दीपक वर्मा (कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, के इंटरनल मेडिसिन) का कहना है, "पिछले कुछ दशक से ज़्यादा शुगर वाले खाद्य पदार्थों, सैचुरेटेड फैट्स और रिफाइंड कार्बोहाइ्रेट्स का इस्तेमाल बढ़ा है इस वजह से लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियां जैसे कि डायबिटीज़, हाईपरटेंशन, मोटापा और दिल से जुड़ी अन्य बीमारियां बढ़ी हैं। इन सबसे कोविड से संबंधित मोर्टिलिटी का ख़तरा बढ़ जाता है। मोटापे से पीड़ित लोग खास करके वे लोग जो पेट के मोटापे से पीड़ित होते हैं उन्हें डायबिटीज होने का ज्यादा ख़तरा होता है। मोटापे की समस्या अगर डाइट और एक्सरसाइज़ से हल नहीं होती है, तो अपने डॉक्टर से एंडोक्राइन समस्याओं जैसे कि थायरायड ग्रंथि के लिए कंसल्ट करें। डब्ल्यएचओ के मुताबिक 1975 के बाद से मोटापा तीन गुना बढ़ा है और बच्चों तथा युवाओं में इसकी 5 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। इस समस्या से सभी उम्र के लोग और विकसित तथा विकासशील देशों के लोग पीड़ित हैं। मोटापा क्रोनिक कंडीशन जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज , हार्ट की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और कुछ कैंसर के लिए ज्यादा ख़तरनाक होता है। यह जरूरी है कि मोटापे और इस बीमारी के प्रति जागरूकता पैदा किया जाए। यह भी जरूरी है कि हम यह भी समझें कि मोटापा होने की जड़ क्या है और इस समस्या को हल करने के लिए क्या जरूरी है।"

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