सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना में एक व्यक्ति लोगों को मांसाहार छोड़ शाकाहारी बनने के लिए अपने शरीर पर श्लोगन लिखकर निस्वार्थ भाव से प्रचार-प्रसार में जुटा है और बाजार व गली, मोहल्लों में पैदल घूम-
ूमकर आम जनमानस को शाकाहारी बनने के लिए प्रेरित कर रहा है। जानकारी लेने पर युवक ने अपना नाम धर्मेन्द्र ओझा पुत्र गंगाप्रसाद ओझा मूल निवासी बलरामपुर, उत्तरप्रदेश का रहने वाला बताते हुए कहा कि वह फिलहाल राजस्थान के औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी में परिवार के साथ रहता है और सोहना में एक कंपनी में बतौर सिविल इंजीनियर कार्यरत है। वह एक बार मथुरा में जय गुरूदेव के आश्रम में गया तो इतना अच्छा लगा कि तभी से बाबा जय गुरूदेव और उनके उत्तराधिकारी संत उमाकांत का शिष्य बन गया। वह प्रतिदिन दोपहर लंच वक्त और अवकाश वाले दिन सोहना के बाजार और गली, मोहल्लों में घूम-घूमकर लोगों को शाकाहारी बनने के लिए प्रेरित कर रहा है। धर्मेन्द्र ओझा का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिंदगी में कोई ना कोई और अच्छे कार्य अवश्य करने चाहिए। गौमाता की सेवा और पूजा करनी चाहिए। घर में भोजन बनने पर सबसे पहले एक रोटी गौ ग्रास के नाम पर निकालनी चाहिए। पौधारोपण और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि हम अपने किसी भी परिजन के जन्मदिन अथवा बुजुर्ग की स्मृति में एक पौधा अवश्य लगाए और जब तक पौधा पेड़ ना बन जाए, उसकी अच्छे से देखभाल करे। उन्होने कहा कि जब तक उनके शरीर में सांस है, तब तक वह लोगों को शाकाहार के प्रति प्रेरित करने और नेक कार्य करने के लिए जागरूक बनाते रहेंगे। उन्होने कहा कि आज देश व विश्व में जो भी प्राकृतिक आपदाएं आ रही है, कोरोना जैसी महामारी फैल रही है। लोग अकाल मौत का ग्रास बन रहे है, उसके लिए हम खुद ही दोषी है क्योकि हम अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहे है। मांस-मदिरा का प्रयोग कर रहे है और अपने स्वार्थों के लिए मुर्गा, बकरा, पडडा आदि पशुओं की बलि लेने से भी बाज नही आ रहे है।
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