सोहना,(उमेश गुप्ता): जजपा-भाजपा गठबंधन सरकार श्रमिकों के हित में आए दिन नई-नई योजनाएं बना रही है, डीसी रेट पर लगे कर्मचारियों को माहवार रूप में करीब 18 हजार रुपए महीने पगार मिल रही है लेकिन उसी सर
ार में पुलिस महकमे में कार्यरत लांगरियों व जमादारों का जमकर शोषण हो रहा है। कहने को तो कागजों में पुलिस चौकी व थानों में कार्यरत जवानों व अधिकारियों का भोजन बनाने के लिए लगाए गए रसोईया को लांगरी और पुलिस चौकी-थानों में सफाई कार्य करने वाले कर्मचारी को जमादार के रूप में 4 घंटे की नौकरी पर रखा गया है लेकिन धरातल पर सच्चाई ये है कि राज्य के लगभग हर पुलिस थाने-चौकी में जहां-जहां भी रसोईया व जमादार काम कर रहे है। उनसे 4 घंटे की बजाय पूरा दिन काम लिया जा रहा है और काम लेने की एवज में माहवार रूप में पगार भी मात्र 9400 रुपए दी जा रही है। इतना ही नही रसोईया व जमादार को पूरे महीने में किसी भी त्यौहार अथवा रविवार के दिन ना तो कोई अवकाश दिया जा रहा है और ना ही अन्य कोई सुविधाएं मिल पा रही है। यदि किसी रसोईया व जमादार के परिवार में कोई मौत हो जाए अथवा वह बीमार पड़ जाए तो भी उसे अवकाश दिए जाने का कोई प्रावधान नही बनाया गया है। जिससे जाहिर है कि पुलिस थानों व चौकियों में कार्यरत लांगरियों व जमादारों का सरकार की नाक के नीचे खुला शोषण हो रहा है लेकिन कही-कोई, देखने-सुनने वाला नही है। जगह-जगह पुलिस थानों और चौकियों में करीब 20-20 वर्षों से लांगरी व जमादार काम कर रहे है लेकिन पुलिस थाना-चौकियों में उनका कोई पुख्ता रिकार्ड भी उपलब्ध नही है। कई लांगरियों व जमादारों ने नाम व पहचान का खुलासा ना किए जाने की शर्त पर आपबीती सुनाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार में उनके साथ घोर अन्याय व भेदभाव हो रहा है। चार घंटे की बजाय पूरा दिन काम लिया जा रहा है तो कई बार तो उन्हे भोजन व सफाई के नाम पर रात में भी बुला लिया जाता है। यदि कोई लांगरिया अथवा जमादार 4 घंटे की बजाय पूरा दिन काम लेने पर एतराज जाहिर करे तो उसे नौकरी से निकालने की धमकी देते हुए बुरी तरह झिडक़ा जाता है और एक दिन गैर हाजिर रहने वाले लांगरी अथवा जमादार को सबक सिखाने के लिए उसकी कई-कई दिन की गैर हाजिरी लगा दी जाती है। इतना ही नही पुलिस थाना-चौकियों में कार्यरत रसोईयों व जमादारों को पुलिस विभाग की तरफ से ना तो कोई पहचान पत्र जारी किए गए है, ना ही उन्हे गर्मी व सर्दी के मौसम में वर्दी, जूते, जुराब अथवा सालाना ऋण, किसी भी तरह का कोई भत्ता आदि उपलब्ध कराया जा रहा है और ना ही किसी तरह का कोई टीएडीए आदि दिया जा रहा है। ताज्जुब की बात ये है कि इस मामले में बार-बार कुरेदने के बावजूद किसी भी पुलिस चौकी-थाने का कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नही है। जानकारी लेने पर सोहना जोन के एसीपी संदीप मलिक ने इस मामले में कुछ भी कहने से परहेज बरतते हुए इतना ही कहा कि इस मामले में डीसीपी हैडक्वार्टर ही कोई जानकारी दे सकते है लेकिन डीसीपी हैडक्वार्टर आस्था मोदी
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