सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना नगरपरिषद क्षेत्र में जगह-जगह अवैध रूप से कई दर्जनों से ज्यादा पेईंग गेस्ट यानी पीजी चल रहे है। इनमें रहने वाले लोगों का पुलिस के पास कोई ब्यौरा भी नही है। पीजी चलाने क
े लिए नगरपरिषद से कोई अनुमति ना लिए जाने के कारण नगरपरिषद को पीजी संचालक लाखों रुपए माह का आर्थिक चूना सरेआम लगा रहे है। हैरानी वाली बात ये है कि प्रशासन की नाक के नीचे धडल्ले से संचालित इन पीजी को लेकर नगरपरिषद, पुलिस प्रशासन, बिजलीनिगम, जलआभियांत्रिकी विभाग, प्रदूषण रोकथाम बोर्ड समेत विभिन्न विभागों के स्थानीय अधिकारी अवैध रूप में धडल्ले से दिन-रात चल रहे इन पीजी को लेकर कोई ठोस कार्रवाई अमल में लाने की बजाय मूकदर्शक बने हुए है। कई लोगों ने तो शहर की दूररस्थ कॉलोनियों में जमीन लेकर पीजी बना लिए है और अधिकारियों की निगाहों से बचने के लिए अपने पीजी हाउसों पर कोई बोर्ड या होर्डिंग भी नही लगाए है ताकि किसी को इनकी भनक ना लग जाए। इतना जरूर है कि शहर में जगह-जगह दीवारों पर मोबाइल नंबर लिखकर पीजी के लिए संपर्क करे, लिखाया हुआ है। देखने वाली बात ये है कि सोहना शहर में एक निजी कॉलेज के साथ-साथ आसपास क्षेत्र में अनेकों कॉलेज और कई विश्वविद्यालय है। दूर-दूर से विद्यार्थी यहां आकर रह रहे है और इन पीजी हाउसों में ठहराव कर रहे है लेकिन उनका पूरा ब्यौरा तक पीजी संचालक अपने पास नही रखत और ना ही पीजी में ठहरने वाले लोगों का ब्यौरा पुलिस प्रशासन को मुहैया करा रहे है जबकि सोहना शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जगह-जगह अवैध पीजी चल रहे है। प्रशासन अवैध रूप में गैर कानूनी तरीके से चल रहे इन पीजी पर रोक लगाने की बजाय बौना साबित हो रहा है। जब इस बारे में संबंधित विभाग के एक अधिकारी से जानकारी चाही तो उन्होने हमारे प्रतिनिधि से अपना पीछा छुड़ाने की गर्ज से कहा कि उन्हे इस बात की जानकारी ही नही है कि सोहना शहरी अथवा ग्रामीण क्षेत्र में कहां-कहां पर कितने पीजी चल रहे है और उनमें कौन-कौन से पीजी वैध है और कौन-कौन से अवैध। कानूनविदों नवीन गर्ग एडवोकेट, सौरभ गोयल एडवोकेट, विनायक गुप्ता एडवोकेट और कई जागरूक लोगों का कहना है कि सोहना शहर और आसपास के गांवों में पीजी खोलने व चलाने वालों की तादाद दिनोंदिन बढ़ रही है। अधिकांश पीजी नियमों को ताक पर रखकर चलाए जा रहे है। कई लोगों ने तो बिना नक्शा पास कराए ही बहुमंजिला इमारत बनाकर पीजी खोला हुआ है। जिनकी तरफ शासन-प्रशासन की निगाह ना जाने क्यो नही पड़ रही है? मालूम हो कि पीजी चलाने के लिए शासन-प्रशासन की तरफ से नियम निर्धारित किए गए है लेकिन शायद ही किसी पीजी में निर्धारित नियमों की ईमानदारी से पालना हो रही है। पुलिस कमिश्नर केके राव का कहना है कि पुलिस की तरफ से सभी होटल संचालकों और पीजी हाउस संचालकों को अपने यहां आने-जाने वालों से आईडी लेकर पूरी जानकारी 24 घंटे में पुलिस को देने के निर्देश है ताकि पुलिस होटल और पीजी में ठहरने वालों की जांच कर सके। साथ ही पीजी हाउस में रहने वाले व्यक्ति की सही पहचान कर उसकी आईडी जमा करने के साथ-साथ रजिस्टर में उसका नाम-पता, आने-जाने का समय, कार्य आदि लिखना अनिवार्य है। पीजी हाउस में पार्किंग की व्यवस्था होनी जरूरी है। पीजी में प्रयोग होने वाले बिजली-पानी आदि का कमर्शियल टैक्स भरा होना चाहिए और संपत्ति कर भी नगरपरिषद में कमर्शियल आधार पर भरा होना चाहिए। मालूम हो कि सरकार द्वारा निर्धारित कायदे, कानूनों के मुताबिक रिहायशी क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के व्यावसायिक कार्य पूर्णत प्रतिबंध है। बावजूद इसके शहर में आज भी यहां पर जगह-जगह पेइंग गेस्ट हाउस चल रहे है, जिनमें व्यावसायिक की जगह घरेलू बिजली प्रयोग में लाई जा रही है और पानी भी घरेलू ही प्रयोग में लाया जा रहा है। ऐसी भी चर्चाए है कि पेइंग गेस्टहाउस संचालक यहां ठहरने वाले लोगों की आईडी तक पूरी जमा नहीं कर रहे है। इसके अलावा बिजली जाने पर पीजी संचालक जरनेटर आदि चलाकर वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे है। इसके अलावा पीजी के बाहर अनियमित तरीके से वाहनों की पार्किंग की जाती है। जिस कारण आसपास क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को दिक्कतें आती है। सोहना जोन के एसीपी संदीप मलिक का कहना है कि जल्द ही पीजी हाउसों में जांच अभियान चलाया जाएगा।
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