सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर शुक्रवाल को श्री सनातन धर्म रामसभा की अंतरंग समिति बैठक राममंदिर प्रांगण में सभा के अध्यक्ष डाक्टर नरेश पाहूजा की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें सर्वसम्मति बना
कर अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए शुरू हुए धन संचय अभियान के तहत श्री सनातन धर्म रामसभा (रजि.) राममंदिर, सोहना ने एक लाख रुपये की धनराशि राममंदिर के निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या में देने का संकल्प किया है। यहां पर आज श्री सनातन धर्म रामसभा कमेटी के प्रचारमंत्री व रामभक्त विनीत रतड़ा ने बताया कि यह धनराशि सभा सदस्यों द्वारा एकत्रित करने का अभियान आज से ही शुरू कर दिया है ताकि सभा की जमापूंजी पर अतिरिक्त भार ना पड़े। उन्होने बताया कि यह अभियान 23 फरवरी तक चलेगा। उन्होने सभा सदस्यों से आग्रह किया कि अपनी इच्छाशक्ति के अनुसार चंदा देकर धर्म लाभ उठाए। निधि राशि एकत्रितकरण के लिए सभा के पूर्व प्रधान बिमलेश गोस्वामी, उपप्रधान राजकुमार सेठी, विनीत रतड़ा, विपिन मल्होत्रा, तिलकराज डुडेजा, तरुण कामरा व पंडित हेमन्त वशिष्ठ की देखरेख में कमेटी बनाई गई है। सभा के अध्यक्ष डाक्टर नरेश पाहूजा व रामभक्त विनीत रतड़ा ने निधि राशि एकत्रितकरण के दौरान लोगों को बताया कि यह उस मंदिर के लिए किया गया दान है, जिसके लिए 78 बार युद्ध हो चुके है। लाखों हिन्दुओं ने बलिदान दिया है। 27 फरवरी के बाद अगर आप दो-चार करोड़ भी दान करना चाहेंगे तो चाहकर भी दान नहीं कर पाएंगे क्योंकि यह अंतिम तिथि है और संघ की यही कार्य प्रणाली और अनुशासन है इसकी 10 रुपए की रसीद को आप फ्रेम में जड़वाकर अपने पूजा घर में रख सकते है ताकि दो-चार पीढिय़ों के बाद आपके घर के लोग गर्व से कहेंगे कि हमारे परदादा ने भी श्रीराम मंदिर के लिए दान दिया था। इसकी रसीद हमारे घर में आज भी है। अगर आपके नाती-पोते किसी के घर जाएंगे, उनके ड्राइंगरूम में इन पर्चियों की फोटो फ्रेम टंगी होगी तो आपकी आने वाली पीढिय़ां यह तो नही कहेंगी कि हमारे परदादा ने 492 वर्ष बाद बनने वाले मंदिर के लिए कुछ नही दिया था। उनको भी कुछ करना तो जरूर चाहिए था सभा के अध्यक्ष डाक्टर नरेश पाहूजा व रामभक्त विनीत रतड़ा की माने तो कल संसार भर से लोग उस अद्वितीय मंदिर को देखने आएंगे। वहां दानपात्र में 10 रुपए भी डालेंगे लेकिन मंदिर बनाने के लिए देना और मंदिर बनने के बाद दान देना दो बातें है। जब आप अयोध्या जी जाएंगे तो आपको उस अद्वितीय मंदिर को देखकर अपने उस निर्णय पर कितना गर्व होगा, जब आपने 10 रुपए की रसीद कटवाई थी। संघ अगर चाहता तो दो-चार दिनों में देश-विदेश से हजारों करोड़ रुपए इस मंदिर के लिए जमा कर लेता लेकिन ऐसा ना करके इसने हर हिन्दू को एक अमूल्य अवसर दिया है कि वे भी अपना अंशदान कर सके। समर्पण निधि की पर्चियां आपके क्षेत्र में काटने अगर कोई नही पहुंचा तो कौन काट रहा है। ये रसीद बुक किसके पास है, ये आपको स्वयं पता भी करना पड़े तो अवश्य कीजिए। ये संघ के स्वयंसेवकों-विहिप के पदाधिकारियों के पास अवश्य मिलेंगी। ये अमूल्य रसीदें है। इनको ढूंढिए नहीं तो इस ऐतिहासिक अवसर को गंवाने के बाद कल आपको कितना पछतावा होगा।
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