सोहना,(उमेश गुप्ता): पशुपालन कल्याण विभाग में डिप्टी डायरेक्टर डाक्टर पुनीता अहलावत के अनुसार पशुपालकों को पशुपालन संबंधी प्रशिक्षण देने के लिए 7 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर 19 से 25 फरवरी तक कृषि ए
ं किसान कल्याण विभाग प्रांगण में आयोजित होगा। यहां नंगली गौशाला के मौका-मुआयना के लिए आई पशुपालन कल्याण विभाग में डिप्टी डायरेक्टर डाक्टर पुनीता अहलावत ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि 7 दिवसीय पशुपालन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु विज्ञान केन्द्र की तरफ से किया गया है। प्रशिक्षण कैंप में शामिल होने के लिए पशुपालक 18 फरवरी तक अपना नाम पंजीकरण पशु विज्ञान केन्द्र में आकर करा सकते है ताकि 7 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में शामिल हो सके। उन्होने बताया कि प्रशिक्षण शिविर में पशुओं के रहन-सहन, आहार, बीमारियों, परजीवियों के साथ-साथ सरकार द्वारा पशुपालकों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से अवगत कराया जाएगा। इतना ही नही प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी उपलब्ध कराए जाएंगे।पशुपालन कल्याण विभाग में डिप्टी डायरेक्टर डाक्टर पुनीता अहलावत ने पशुपालकों से आग्रह किया है कि वह विभाग द्वारा चलाई गई योजनाओं का भरपूर लाभ उठाए और अपने क्षेत्र के पशु चिकित्सक से वक्त-वक्त पर सलाह लेकर अपने पशुओं में रोगों की रोकथाम के लिए समय-समय पर टीकाकरण करवाए। उन्होने बताया कि वर्ष में 2 बार पशुओं को जानलेवा बीमारी मुंहखोर के टीके लगाए जाते है। उन्होने बताया कि सोहना उपकेन्द्र के तहत 26 गांव, अभयपुर के तहत 5 और बादशाहपुर के तहत 18 गांव आते है। पशुपालकों को चाहिए कि वह अपने पशुओं को यह टीके जरूर लगवाए। सरकार की तरफ से यह टीके प्रत्येक पशुपालक के पशु को बिल्कुल मुफ्त में लगाए जाएंगे। इन टीकों से दुधारू पशुओं को कोई नुकसान नही होता है और ना ही पशुओं के दूध देने की मात्रा में कोई फर्क पड़ता है। सोहना के गांव सांपकी नंगली स्थित श्री सत्य सनातन गौशाला में पल रही गायों की हो रही देखरेख का जायजा लेने गौशाला में आई पशुपालन कल्याण विभाग में डिप्टी डायरेक्टर डाक्टर पुनीता अहलावत ने बताया कि कृषि कार्यों के साथ-साथ पशुपालन एक लाभकारी सहायक कृषि कार्य है। सीमांत किसानों तथा बेरोजगार युवाओं को भी गौपालन और पशुपालन का व्यवसाय अपनाना चाहिए ताकि स्वरोजगार को बढ़ावा मिले। बेरोजगारी का खात्मा हो सके और अपने प्रदेश हरियाणा में प्राचीनकाल की तरह दूध, दही, घी का चंहु ओर प्रचलन ज्यादा तेजी से बढ़े।
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