सोहना,(उमेश गुप्ता): मुख्यमंत्री मनोहरलाल सरकार के सोहना समेत कई तहसीलों में होने वाली रजिस्ट्रियों और बरती जा रही अनियमितताओं और हुए घोटालों को लेकर स्थानीय तहसील में कार्यरत रहे कई तत्काल
ीन तहसीलदार, नायबतहसीलदार, रजिस्ट्री क्लर्क, रिकार्ड मेनटेन करने वाला स्टॉफ, कम्पयूटर ऑपरेटरों के साथ-साथ नगर योजनाकार विभाग के जेई आदि सरकार के रडार पर आ गए है। मंडलायुक्त ने इस मामले में अपनी पूरी रिपोर्ट तैयार कर सरकार के समक्ष पेश कर दी है ताकि दागियों की पहचान कर उनके खिलाफ विभागीय व कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा सके। माना जा रहा है कि सरकार अगर रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करती है तो अकेले सोहना तहसील में ही दर्जन भर से ज्यादा अधिकारियों-कर्मचारियों पर गाज गिरने में देरी नही लगेगी। लॉकडाउन के दौरान सोहना तहसील में बिना एनओसी के बड़े पैमाने पर रजिस्ट्रियां करने वाले मामले का भांड़ाफोड़ होने पर एक तत्कालीन तहसीलदार व नायबतहसीलदार को सरकार ने निलंबित किया और शहर पुलिस थाने में उनके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज कराया गया। साथ ही उपमुख्यमंत्री व राजस्व मंत्री दुष्यंत चौटाला के लॉकडाउन के साथ-साथ वर्ष-2017 से सोहना तहसील में दिसंबर-2020 तक हुई रजिस्ट्रियों के गहराई से जांच के निर्देश दिए गए। अब मंडलायुक्त ने सोहना तहसील समेत आसपास की तहसीलों में रजिस्ट्रियों की आड़ में बिना एनओसी के किए गए गड़बड़झाले व घोटाले को लेकर तैयार की गई जांच रिपोर्ट सरकार को दाखिल कर दी है। जिस पर जल्द कार्रवाई होने वाली है। सूत्रों ने नाम व पहचान उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि अब जल्द ही उन राजस्व पटवारियों पर भी सरकार की गाज गिरने वाली है, जिन्होने गलत इरादे के साथ राजस्व रिकार्ड में हेराफेरी कर खसरा गिरदावरी में भूमि की प्रविष्ठियों को कृषि भूमि से गैर मुमकिन अथवा पहाडों को गैर मुमकिन फार्महाउस आदि में बदला है। इससे 1975 की अधिनियम की संख्या आठ की धारा-7ए का उल्लंघन कर डीड की रजिस्ट्री आसान बनाई गई। यहां पर अरावली क्षेत्र वाले पहाडों को गैर मुमकिन फार्महाउस दिखाकर राजस्व रिकार्ड में छेड़छाड़ व हेराफेरी की गई। मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने अब ऐसे घोटाले में संलिप्त राजस्व पटवारियों को ना बख्शे जाने का निर्णय लिया है। जिन्होने गलत इरादे से भूमि प्रविष्ठियों में छेड़छाड़ व हेराफेरी को अंजाम दिया। इतना ही नही मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने 1975 की अधिनियम की संख्या आठ की धारा-7ए के उल्लंघन को रोकने के लिए नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग और शहरी स्थानीय निकाय विभाग को जारी एनओसी के संबंध में आंतरिक जांच करने और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश पर मंडलायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को भेज दी है ताकि कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन कर की गई रजिस्ट्रियों को लेकर विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जा सके। ध्यान देने वाली बात ये है कि सोहना तहसील में 7-ए के तहत जिन गांवों की रजिस्ट्री किए जाने पर रोक है, उन गांवों की लॉकडाउन के दौरान यहां पर बिना एनओसी के आए दिन छोटे-छोटे टुकड़ों में हो रही रजिस्ट्रियां किसी से छुपी नही रही। जागरूक लोगों का कहना है कि यदि सोहना तहसील में हो रहे रजिस्ट्री कार्यों की पूरी निष्पक्षता और ईमानदारी से जांच की जाए तो सच्चाई की परतें खुलते देर नही लगेगी। साथ ही यह भी जाहिर होने में वक्त नही लगेगा कि भ्रष्टाचार के इस खेल में कौन-कौन अधिकारी और सफेदपोश आकंठ तक डूबे हुए है। सोहना तहसील कार्यालय में लॉकडाउन के दौरान आए दिन धडल्ले से की गई रजिस्ट्रियां आज भी सवालों के घेरे में है। लोगों में ऐसी चर्चाएं है कि तहसील कार्यालय में पनप रहा भ्रष्टाचार का ये खेल नीचे से ऊपर तक अप्रत्यक्ष रूप में आपसी सहयोग से चलता रहा। यदि आला अधिकारी चाहते तो भ्रष्टाचार के चल रहे इस खेल पर समय रहते चंद मिनटों में रोक लग सकती थी। सोहना तहसील में धारा-7ए के तहत भौंड़सी समेत जिन गांवों की रजिस्ट्रियों पर रोक है, उन गांवों विशेषकर भौंड़सी एरिया में कृषि योग्य भूमि पर काटी जा रही अवैध कॉलोनियों की बिना एनओसी तहसील में हो रही रजिस्ट्र्रियों को लेकर मोटी पुडिय़ा बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता रहा और देखने वाली बात ये है कि तहसीलदार व नायब तहसीलदार ने अपने बचाव में एक नायाब नुक्ता निकाला। जिसके तहत मौके पर कृषि योग्य भूमि होने के बावजूद उस भूमि पर गैर मुमकिन मकान दिखाकर धडल्ले से रजिस्ट्री कर जमकर काली कमाई की जाती रही जबकि तहसीलदार व नायब तहसीलदार को ये अच्छे से ज्ञात होता है कि जिस जगह की रजिस्ट्री हो रही है, वह कृषि योग्य भूमि है और वहां अवैध रूप से कॉलोनी काटकर प्लाट काटे गए है। सूत्रों की बातों पर यकीन किया जाए तो 7ए वाले जिन गांवों में अवैध रूप से काटी जा रही कॉलोनियों की तहसील कार्यालय में रजिस्ट्री होती रही, उन पर तहसीलदार व नायब तहसीलदार द्वारा उसी दिन हस्ताक्षर करके संबंधित लोगों को रजिस्ट्री देने की बजाय हस्ताक्षर भी देर-सवेर बैक डेट में किए जाते रहे ताकि यदि कोई व्यक्ति इस दौरान हुई रजिस्ट्री संबंधी जानकारी लेने के लिए जिल्द देखना चाहे तो उसे ये पता नही चले कि कब और किस तिथि में किस अवैध कॉलोनी की रजिस्ट्री तहसील कार्यालय में की गई है। लोगों में आज भी ये चर्चाएं तेजी से चल रही है कि लॉकडाउन अवधि के महीनों में तो भौंड़सी व आसपास क्षेत्र की बेहिसाब हुई रजिस्ट्रियों ने तमाम रिकार्ड तोड़ डाले। पारदर्शी शासन व स्वच्छ प्रशासन देने का दावा करने वाली मुख्यमंत्री मनोहरलाल सरकार सोहना तहसील में रजिस्ट्रियों के नाम पर बीते कई महीनों तक चले इस गोरखधंधे की मुख्यमंत्री उडऩदस्ते और स्टेट विजिलेंस ब्यूरो से ईमानदारी से गहराई से जांच-पड़ताल कराए तो ना केवल भ्रष्टाचार की पोल खुलेगी बल्कि इस खेल में करोड़ों रुपए कमाने वाले लोगों के बेनकाब चेहरे भी सामने आने में देर नही लगेगी। साथ ही यह भी जग जाहिर हो जाएगा कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले और रजिस्ट्रियों की आड़ में मोटी मलाई मारने वाले तहसीलदार, नायबतहसीलदार और तहसील में कार्यरत निचले कर्मचारियों के साथ-साथ और कौन-कौन अधिकारी व कर्मचारी संलिप्त रहे है।
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