दमदमा झील अनदेखी के चलते खो रही है अस्तित्व-निराश लौट रहे सैलानी सोहना,(उमेश गुप्ता): प्रदेश की सबसे बड़ी व प्राकृतिक झीलों में से एक दमदमा झील शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते अपना वजूद खोने की
गार पर है। झील के आसपास गंदगी व अतिक्रमण का बोलबाला है तो झील में भैंसों ने अपना तबेला बना लिया है। झील के पानी में भैंसों के झुंड के झुंड घंटों पड़े नजर आते है। झील में कही गंदगी की भरमार है तो जगह-जगह छोटे-छोटे पेड़ उग आए है। जिससे झील की रौनक गायब हो गई है। इतना ही नही दमदमा पर्यटन केन्द्र व दमदमा झील पर आने वाले पर्यटकों व सैलानियों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से भी कोई इंतजाम नजर नही आते है। हालात ये है कि दमदमा झील पर आने वाले सैलानी बोटिंग का लुत्फ तो उठा रहे है लेकिन उन्हे अपनी जान खतरे में डालनी पड़ रही है क्योकि बोटिंग करने से पहले उन्हे लाइफ जैकेट ही मुहैया नही कराई जा रही है। ऐसे में बोटिंग करने के शौकीन सैलानी अपनी जान को जोखिम में डालकर बिना लाइफ जैकेट ही बोटिंग करते नजर आते है जबकि बोटिंग के लिए जाने से पहले यहां पर साफ-साफ निर्देश लिख गए है कि झील में बोटिंग करने से पहले लाइफ जैकेट जरूर पहने लेकिन दिलचस्प बात ये है कि जो लोग नावों में सैलानियों को बढ़ाकर बोटिंग करा रहे है, उनके पास लाइफ जैकेट ही उपलब्ध नही है। झील की सफाई पर भी कोई ध्यान नही दिया जा रहा है। झील के आसपास गंदगी के साथ-साथ जगह-जगह कही बीयर तो कही शराब की बोतलें नजर आ रही है तो कही पूजन के बाद वाली सामग्री नजर आती है। इतना ही नही झील के आसपास प्लास्टिक की पन्नियों और गंदगी की भरमार है। कुत्ते, सूअर, आवारा पशु भी यहां घूमते नजर आते है जबकि दमदमा झील मिलेनियम सिटी के टाईप-फाईव पर्यटन स्थलों में से एक मानी जाती है लेकिन मौजूदा वक्त में यह सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र होने की बजाय गंदगी व अनदेखी का शिकार हो रही है जबकि कई वर्षों पहले तक दमदमा झील अपनी प्राकृतिक सौंदर्यकरण के चलते ऐसा स्थल रहा है, जहां लोग बोटिंग के साथ-साथ एडवेंचर का मजा लेते है। दमदमा काम्पलेक्स पर आने वाले पर्यटकों के वाहनों से एंट्री के नाम पर हो रही वसूली से भी पर्यटक नाराज होना आम बात है। हालांकि मानसून के दौरान होने वाली बारिश झील के लिए किसी तोहफे से कम नही है क्योकि कई एकड़ भूमि में फैली दमदमा झील मानसून की बरसात में पानी से लबालब भरने पर यहां पर्यटकों, प्रकृति प्रेमियों और रंग-बिरंगे पक्षियों का आना बरबस सभी को अपनी तरफ खीच लेता है। दमदमा झील में भरे रहने वाले पानी से आसपास के दर्जनों गांवों का जल स्तर काफी ऊंचा उठता रहा लेकिन कई वर्षों से बरसात अच्छी ना होने और दमदमा झील सूखने से झील के आसपास लगते गांवों में पानी का जल स्तर तेजी से नीचे चला गया है जबकि एनसीआर क्षेत्र में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के समीप अरावली पर्वत की श्रंखलाओं के बीच ऐतिहासिक महत्व रखने वाली दमदमा झील किसी वक्त में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होती थी। यहां आने वाले पर्यटक रॉकक्लाईविंग, एंगलिंग, टैङ्क्षगंग, कैपिंग, पैराग्लाईडिंग तथा होट एयर बैलून जैसे रोमांचक कारनामों का आनंद लेते रहे है। दमदमा झील में बोटिंग भी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती रही है लेकिन यहां जगह-जगह फैली गंदगी, प्लास्टिक की पन्नियों, आवारा पशुओं और पानी की कमी ने झील को सूना-सूना कर दिया है। दमदमा झील के बारे में पौराणिक मान्यता भी है कि महाभारत काल में पांडव पुत्र अर्जुन ने अपनी प्यास बुझाने के लिए यहां कुआं खोदा था। अंग्रेजों ने भी झील के महत्व को पहचाना और दमदमा में जल संयचन के लिए मिट्टी, पत्थरों का लंबा-चौड़ा बांध बनवाया लेकिन आज पानी की कमी के चलते दमदमा झील अपनी हो रही दुर्दशा व बर्बादी पर आंसू बहाने को मजबूर है। पर्यटन निगम के यहां पर पर कार्यरत अधिकारी भी ना तो झील में भैंसों के नहाने आदि को रोक पा रहे है और ना ही यहां आने वाले पर्यटकों व सैलानियों की सुरक्षा के लिए कोई मुकम्मल इंतजाम है। यहां आने वाले पर्यटकों के साथ टूरिज्म कर्मचारियों का रूखा व्यवहार भी पर्यटकों को अखर जाता है। देखने वाली बात ये है कि यहां पर ना तो सैलानी व पर्यटक कोरोनाकाल में भी कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेसिंग की पालना कर रहे है और ना ही किसी के मुंह पर मास्क लगे नजर आते है। जाहिर है कि बरती जा रही लापरवाही कभी भी किसी पर भी कोरोना बम बनकर फूट सकती है। क्षेत्रीय विधायक संजय सिंह मानते है कि दमदमा झील पूरी तरह से प्राकृतिक पानी यानि बरसात से इक_े होकर भरने वाले पानी पर ही आधारित है। ऐसी कोई व्यवस्था उन्हे नजर नही आती, जिससे दमदमा झील में 12 महीने पानी भरा जा सके। एसवाईएल नहर का पानी इलाके में आने पर जरूर इस बारे में विचार किया जा सकता है। फिर भी सरकार का प्रयास है कि दमदमा झील की गहराई और बढ़ाई जाए ताकि दमदमा झील की ज्यादा गहरी खुदाई किए जाने पर बरसाती पानी का अधिक संचय झील में किया जा सके। झील के परली पार अरावली हिल्स में अवैध रूप से बने फार्म हाउस किसी से छुपे नही है। अरावली हिल्स में अवैध रूप से बने फार्म हाउसों पर सील लगाई जाए।
Comments