सोहना अशोक गर्ग भारत वर्ष की पहली महिला वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी द्वारा 1फरवरी 2021 को प्रस्तुत किया गया आम बजट ने साबित कर दिया कि मोदी सरकार देश के चहुंमुखी विकास के लिए प्रतिबद
्ध है। वैश्विक महामारी कोरोना ने बेशक विश्व की आर्थिक रफ्तार रोक दी हो लेकिन मोदी सरकार ने प्रतिकूलता को कैसे अनुकूलता में बदला जा सकता है, इस बजट से दुनियां को नया सन्देश दिया है। विशेषकर गांव किसान, गरीब, मजदूर सहित सभी वर्गों के हित को ध्यान में रखकर पेश किए गए बजट से भारत के सुनहरी भविष्य को परिलक्षित किया गया है। देश को भटकाने व खंडित करने वाली कुछ नापाक ताकते किसान का चोला पहनकर किसानों को बरगलाने का पाप कर रही हैं। जबकि मोदी सरकार वर्षो से दमन का जीवन जी रहे किसानों को केवल कहने को नहीं बल्कि सही मायने में किसानों को इस देश का सिरमौर बनाना चाहती है। सरकार का लक्ष्य है कि 2022 तक किसानों की आय को हर सूरत में दोगुना करना है। यह केवल कहने के लिए नहीं कहा जा रहा बल्कि धरातल पर सरकार के बोलते आंकड़े इस संकल्प के साक्षी है। सरकार कृषि क्षेत्र के लिए कितनी संकल्पबद्ध है इसका शंखनाद है यह बजट, कॉंग्रेस राज 2013-2014 में कृषि बजट जहाँ 21 हजार 933 करोड़ रुपये था वहीं अब 2021-2022 में लगभग साढ़े पांच गुना बढ़कर 1 लाख 23 हजार 17 करोड़ रुपये मोदी सरकार ने कर दिया है। कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए ही 1लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है। एग्रीकल्चर इंफ्रा.फंड को बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। माइक्रो इरिगेशन फण्ड को दोगुना करके 10 हजार करोड़ कर दिया है। किसानों के स्तर को बढ़ाने के लिए कृषि ऋण के रूप में साढ़े सोलह लाख करोड़ रूपये का बजट रखा गया है। जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य( एम एस पी) को लेकर आंदोलनकारी किसान चिंतित है, उस पर भी सरकार पूरी तरह गंभीर है। आंकड़े बोलते है-कॉंग्रेस राज में गेहूं का समर्थन मूल्य 1400 रुपए था वह अब 1975 रुपये है, सरसों 3000 रुपये थी जो अब 4650 रुपये है। बाजरा जो 1250 रुपये था वह अब बढ़कर 2150 रुपये है, धान 1310 रुपये था वह अब 1868 रुपये हो गया है। यह कॉंग्रेस राज से डेढ़ गुना ज्यादा है। यह मोदी सरकार का ही संकल्प है कि अब किसानों को डेयरी फार्म पर 20 लाख तक लोन मिल सकता है।प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लगभग 2 करोड़ आवास बनकर तैयार है। प्रधानंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का संकल्प है कि 2022 तक देश में कोई भी कच्चा मकान नहीं रहेगा। किसानों की फसल की रक्षा के लिए मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई फसल बीमा योजना किसानों के लिए बड़ी कारगर साबित हो रही है। अब बीमा विभाग प्रतिनिधि ब्लाक स्तर पर भी बैठने लगे है। मैं केवल अपने क्षेत्र की बात करूं तो टोंक जिले में ही 163करोड़ रुपये से अधिक फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा मिल चुका है। फसल खराबा के रूप में 27 हजार रुपये प्रति परिवार तक भी लोगों को मुआवजा मिला है। टोंक जिले में 4 सौ करोड़ रूपये मुआवजा मिला है। जबकि कॉंग्रेस राज 2013-2014 तक कोई मुआवजा नहीं मिलता था। आजादी के बाद स्वामित्व योजना के तहत किसानों को उनकी जमीन का वास्तविक मालिक बनाना किसानों के आत्मविश्वास बढ़ाने वाली योजना है। ऑपरेशन ग्रीन स्किम भी किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। बिना आम आदमी को प्रभावित किए इस बार के बजट में पेट्रोल -डीजल पर सेस लगाकर सरकार ने किसानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित की है। और भी किसान हित में अनेक ऐसी योजना चल रहीं है जो किसानों के जीवन स्तर व आय को दोगुना करने की दिशा में कारगर साबित हो रहीं है। वर्तमान बजट के आने के बाद नई गाड़ियों की खरीद,अफोर्डेबल हाउस एवं दीनदयाल आवास योजना के तहत आम आदमी को सस्ते मकान मिलना, रुके हुए प्रोजेक्ट का पुनः शुरू होना, जिससे उपभोक्ता को समय पर उनका मकान मिले , इसके लिए रेरा कानून अंतर्गत स्वामी फण्ड में 25 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान करना व बजट के बाद शेयर मार्किट में उछाल इस बात का गवाह है कि बजट में दम है। बावजूद इसके विपक्ष किसानों को गुमराह कर रही है। दरअसल ये तीन कृषि बिलों के विरोध की आड़ में मोदी सरकार का विरोध हो रहा है। विपक्ष में रहकर राजनीति करना कोई समस्या नहीं है, पर जब बात अस्तित्व के संकट पर हो..तो तिलमिलाना लाजमी है मोदी जी ने देश की राजनीति को क्षेत्रवाद, जातिवाद से हटाकर राष्ट्रवाद पर ला दिया है। क्षेत्रवाद, जातिवाद, सेकुलरिज्म, परिवारवाद, बीजेपी इन सब पर वार कर रही है और ये इनको हमेशा के लिए अपनी कुटिल राजनीति ख़त्म का डर है। समस्या ये है। समाजवादी पार्टी का यादव वोट बैंक, बसपा का दलित वोट बैंक, अजीत सिंह का जाट वोट बैंक बीजेपी के साथ चला गया है। समस्या ये है कि जातिवाद खतरे में है। यहाँ तक की बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं बीजेपी को वोट करने लगी हैं। सेकुलरिज्म खतरे में है। लोग वामपंथ से दूर जा रहे हैं, वामपंथियों को अस्तित्व का संकट है। गाँधी परिवार, बादल परिवार, मुलायम यादव परिवार, चौटाला परिवार, लालू परिवार, ठाकरे परिवार, अब्दुला परिवार, मुफ्ती परिवार, के लिए अभी परिवार के नाम पर पार्टी को संभालना मुश्किल हो रहा है,समस्या ये है। किसान- जिसको यही विपक्ष हमेशा मूर्ख बनाता रहा अब वो मूर्ख नहीं बन रहा है। 15% बीजेपी का ग्रामीण वोट बढ़ गया है, ये समस्या है। समस्या ये है कि अब हीरो - नेताजी सुभाष चंद बोस, शिवाजी, स्वामी विवेकानंद बन रहे हैं, नेहरु गांधी परिवार नहीं। कांग्रेस की सरकार होती थी तो हम भी खाएं तुम भी खाओ। जातिवाद, क्षेत्रवाद, परिवारवाद सब चलने देते थे। बीजेपी इसको खतम कर रही है और ये देश विश्व पटल पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। अब अस्तित्व का संकट है। इसलिए किसान बिल की आड़ में देश को भटकाने का कुप्रयास किया जा रहा है। लेकिन देश का किसान अब इनकी चालों को समझ गया है। जो राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे झंडे का अपमान के हिमायती हों, उनके साथ देश का मेहनतकश कभी भी उनके साथ खड़ा नहीं हो सकता। जय जवान -जय किसान।
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