गुरू गोबिन्द सिंह जयन्ती पर निकाली प्रभात फेरी व किया लंगर प्रसाद का आयोजन।

Khoji NCR
2021-01-20 12:33:08

पुन्हाना, कृष्ण आर्य सिख धर्म के 10 वें गुरू गोबिन्द सिंह 350 वीं जयन्ती पुन्हाना शहर में प्रकाश पर्व के रूप में धूमधाम के साथ मनाई गई, जयन्ती के उपलक्ष्य में पंजाबी समाज पुन्हाना के कार्यकर्ताओ

ं ने तीन दिवसीय प्रभात फेरी व बुधवार को भव्य लंगर प्रसाद का आयोजन किया। प्रात: के समय सभी समाज के सैकड़ो लोग पुराने पंजाबी गुरूद्वारें से शहर के मुख्य बाजारों में प्रभात फेरी निकाल कर भजन कीर्तन का गुणगान किया। सैकड़ो की संख्या में उपस्थित महिला व पुरुषों ने गुरू गोविन्द सिंह जी के रास्ते पर चलने का प्रण भी लिया। लंगर प्रसाद कार्यक्रम मेंं सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम में नरेश खरबंदा, पंकज खरबंदा, राजू, मोनू सरदार, मनीष अरोड़ा, डॉक्टर बाले, आत्मप्रकाश, भीम, मा. अशोक गंभीर, सन्नी, हेमराज, नरेश, इशान तनेजा सहित लोगों ने बताया कि गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म 1666 में पौष मास के शुक्ल पक्ष कह सप्तमी को पटना साहिब में हुआ था। इस दिन को सिख समुदाय गुरू गोबिन्द सिंह जी के प्रकाशपर्व के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने जीवन में दीन दुखियों की सेवा की और लोगों को एकता और अखंडता से मिलकर चलने का संदेश दिया। गुरू गोबिन्द सिंह ने हीं खालसा पंथ की स्थापना की थी, उन्होंनें प्रत्येक सिख के कृपाण या श्री साहिब धारण करने को कहा। उन्होंने ने हीं खालसा वाणी वाहेगुरू जी का खालसा, वाहेगुरू जी की फतह दी थी। गुरू तेग बहादुर जी की शहादत के बाद गोबिन्द सिंह जी ने नौ वर्ष में पिता की गद्दी संभाली। वे निडऱ और बहादुर यौद्वा थे। उनकी बहादुरी के बारें में लिखा गया है- सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिडिय़न तें मैं बाज तुडाऊँ तबै गोबिन्द सिंह नाम कहाऊं। उनका जीवन मानवता के लिए प्रेरक रहा है, समानता और समावेशिता का प्रचार उनके द्वारा किया गया। वह सिर्फ एक आध्यात्मिक आदर्श नहीं थे बल्कि यौद्वा थे जो सर्वोच्च बलिदान के सामने भी सिद्वान्तो से खड़े थे। आज दुनिया भर के सिख समुदाय के लोग गुरु गोबिन्द सिंह के संदेश पर चलकर लोगों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पर्व पर सुबह प्रभात फेरी निकाली गई। जिसके पश्चात् गुरुद्वारे में सिख संगत द्वारा गुरु जी के भजन-कीर्तन, अरदास कर लोगों को उनके द्वारा बताए गए संदेश की भी जानकारी दी गई। जिसके बाद लंगर का आयोजन कर सैंकड़ों की संख्या में लोगों को प्रसाद ग्रहण कराया गया।

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