सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना ब्लॉक के गांव भौंड़सी स्थित एक नामी-गिरामी निजी स्कूल में हुए प्रिंस हत्याकांड को लेकर इस मामले में सीबीआई अदालत ने आरोपित बनाए गए 4 पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत में
चार्जशीट दाखिल करने से पहले विभागीय अनुमति ना लिए जाने पर सीबीआई को जमकर फटकार लगाई और कहा कि प्रिंस हत्याकांड में सबूतों से छेड़छाड़ कर निर्दोष बस परिचालक अशोक को इस मामले में फंसाने को लेकर जिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, नियमों के अनुसार इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने से पहले सीबीआई को सीआरपीसी की धारा-197 के तहत संबंधित अथॉरिटी से परमिशन लेनी थी, जो नियमानुसार सीबीआई ने नही ली। इसी बात को लेकर अदालत ने इसे सीबीआई की लापरवाही बताते हुए जमकर फटकारा और इसे अति निदंनीय कहा। सीबीआई अदालत में स्पेशल जज डाक्टर अमन इंदर सिंह की अदालत ने इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि चार्जशीट में शामिल चारों आरोपी पुलिसकर्मी है लेकिन इनके खिलाफ अभियोग चलाने की परमिशन अभी तक सीबीआई ने नही ली है और बिना परमिशन के ही सीबीआई ने अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी जबकि कानूनन परमिशन से पहले अदालत इन पर कार्रवाई नही चला सकती। इतना ही नही इस मामले में जांच के दौरान इन चारों आरोपियों को अब तक जांच एजेंसी ने गिरफ्तार नही किया है। ऐसे में जांच एजेंसी के लिए कोई जल्दबाजी नही थी कि बगैर परमिशन लिए चालान पेश किया जाए। जाहिर हो रहा है कि बगैर परमिशन के चार्जशीट दायर कर जांच एजेंसी ने अपनी जिम्मेदारी से भागते हुए किसी तरह काम पूरा करने का प्रयास किया है और ऐसा करके जांच एजेंसी ने ट्रायल द्वारा देरी का कारण खड़ा किया गया है। जांच एजेंसी का यह कार्य अति निदंनीय है। यह कहते हुए सीबीआई अदालत ने अगली सुनवाई 2 फरवरी मुकर्रर की है। साथ ही अगली सुनवाई से पहले जांच एजेंसी को परमिशन अदालत में जमा कराने की हिदायत भी दी गई है। सोहना के गांव घामडोज के रहने वाले व स्कूल की बस पर परिचालक रहे अशोक को झूठा फंसाने वाले मामले में सीबीआई की विशेष अदालत अब 2 फरवरी को सुनवाई करेगी। आठ जनवरी को सीबीआई ने चार्जशीट दायर कर सोहना जोन के तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त बिरम सिंह, भौंड़सी पुलिस थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी नरेन्द्र खटाना, सबइंस्पेक्टर शमशेर सिंह और सहायक सबइंस्पेक्टर सुभाष चंद्र के खिलाफ स्कूली बस परिचालक अशोक को प्रिंस हत्याकांड में झूठा फंसाने के लिए आरोपी बनाकर सीबीआई की विशेष अदालत ने चार्जशीट दाखिल की थी। जिसको लेकर चारों पुलिस अधिकारियों पर लगे आरोपों की सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने कहा कि हत्या जैसे संगीन मामले में झूठे सबूत, गवाह आदि पेश करने पर आरोपितों के खिलाफ धारा-194 और 218 के तहत केस दर्ज हो। यह धारा पब्लिक सर्वेँट की ओर से फांसी की सजा वाले मामलों में झूठे सबूत पेश करने पर लगती है, जिसमें आरोपी सही पाए जाने पर उम्रकैद तक का प्रावधान है। ध्यान रहे कि चौदह जनवरी को सीबीआई अदालत ने चारों आरोपित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सपलीमेंटरी चार्जशीट से जुड़े सभी दस्तावेज जमा करवा दिए गए थे। पंद्रह जनवरी को इस मामले में अदालत ने संज्ञान लेते हुए चार्जशीट को रिकार्ड पर ले लिया। साथ ही सीबीआई को आदेश दिए कि वह आरोपित पुलिस अधिकारियों पर झूठे सबूतों, गवाह और जबरन किसी व्यक्ति को हत्या जैसे संगीन मामले में फंसाने पर आईपीसी-194 और 218 के तहत केस दर्ज करे। हालांकि सीबीआई ने यह केस अभी दर्ज नही किया है और ना ही इसका जिक्र चार्जशीट में है। केस की झूठी एंट्री करने, जबरन कुकर्म की धारा लगाने आदि का आरोप पुलिस अधिकारियों पर लगा था। अदालत ने सीबीआई को चारों पुलिस अधिकारियों पर केस दर्ज किए जाने और केस में संज्ञान की प्रक्रिया के लिए अर्जी देने के अलावा शिकायतकर्ता के स्कूल को क्लीन चिट देने की बात पर फिर से अर्जी देने की बात कही है। केस से जुड़े सीनियर एडवोकेट सुशील टेकरीवाल ने बताया कि अब इस केस में सीबीआई अदालत में अगली सुनवाई 2 फरवरी को होगी।
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