बेमन से चीन ने भी माना, भारत में बनी कोरोना वैक्सीन गुणवत्ता में बेहतर

Khoji NCR
2021-01-09 10:28:15

नई दिल्ली, । भारत में बने कोरोना टीकों की मांग विदेशों में दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। अब तो चालाक चीन भी बेमन से यह मानने को मजबूर हो गया है कि उसके दक्षिण एशियाई पड़ोसी देश में बने टीके गुणवत्ता

के मामले में किसी से पीछे नहीं हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में विशेषज्ञों ने कहा है कि भारतीय टीके चीनी टीकों के मुकाबले किसी से कम नहीं है। फिर चाहे बात रिसर्च की हो या फिर उत्पादन क्षमता की। ड्रैगन ने यह स्वीकार किया है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है और श्रम कीमतों में कमी और अच्छी सुविधाओं के चलते उसके टीकों की कीमत भी कम है। लेख में विशेषज्ञों का कहना है कि भारत वैक्सीन के निर्यात की योजना बना रहा है और वैश्विक बाजार के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है, लेकिन उसके इस कदम का राजनीतिक और आर्थिक मकसद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नई दिल्ली देश में बने टीके का उपयोग वैश्विक राजनीति में अपने दखल को बढ़ाने और चीन द्वारा निर्मित टीकों का मुकाबला करने के लिए कर रहा है। रिपोर्ट में जिलिन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के झियांग चुनलाई का हवाला देते हुए कहा गया है कि जेनेरिक दवाओं के निर्माण में भारत नंबर एक की पोजिशन पर कायम है और वह वैक्सीन बनाने में भी चीन से पीछे नहीं है। झियांग ने कहा कि भारत स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दुनिया में सबसे अधिक वैक्सीन का उत्पादन करता है और कुछ मामलों में तो यह पश्चिमी देशों को भी पीछे छोड़ता है। उन्होंने कहा कि भारतीय वैक्सीन निर्माताओं ने शुरू में ही डब्ल्यूएचओ, गावी और पैन अमेरिकन हेल्थ आर्गनाइजेशन इन साउथ अमेरिका (पीएएचओ) जैसे वैश्विक संगठनों से गठबंधन कर लिया था, जिसने टीके के निर्यात में मदद की है। ग्लोबल टाइम्स ने बीबीसी की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि भारत लगभग 60 फीसद टीके का उत्पादन करता है और कई देश कोरोना टीके की खुराक भेजे जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वैश्विक बाजारों में भारत निर्मित टीकों की बढ़ती स्वीकार्यता के बीच यह रिपोर्ट आई है। दक्षिण अफ्रीका ने गुरुवार को सीरम इंस्टीट्यूट से 15 लाख वैक्सीन लेने का एलान किया था।

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