स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महराज ने सनातन संस्कृति और कार्तिक मास के महत्व का किया वर्णन

Khoji NCR
2024-10-18 11:53:32

हथीन/माथुर : विश्व का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म है, ज़ब से सृष्टि की रचना हुई है, तब से सनातन धर्म का वर्णन पुराने ग्रंथो में दिखाया गया है। श्री कृष्ण कृपा सेवा मंच के सौजन्य से पंजाबी धर्मशाल

ा में चल रहे तीन दिवसीय दिव्य गीता सतसंग में प्रथम दिवस यह वचन गीता मनीषी महा मंडलेश्वर स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने भक्तों को बताया कि सनातन धर्म ही एक ऐसा इकलौता धर्म है जिसमें सब को पूजा कि दृष्टि से देखा जाता है, इसमें हर ऋतू अनुसार तीज त्यौहार मनाये जाते है। सनातन संस्कृति ही एक ऐसी संस्कृति है जिसमें पुरे भारत वर्ष में अनेकों उत्स्व होते है इसमें देवी देवताओं कि पूजा के अतिरिक्त भी नदियों, पेड़ पक्षियों एवं जड़ वास्तवओं कि भी पूजा कि जाती है। इसी ऋतू अनुसार आज से कार्तिक माह का प्रारम्भ हुआ है और आप लोगों के लिए बड़े सौभाग्य कि बात है कि कार्तिक माह के पहले ही दिन ही दिव्य गीता सत्संग को सुनने का सभी भक्तो को सुनहरा अवसर मिला है। स्वामी जी ने आगे बताते हुई कहा कि पुरे साल में कार्तिक महीना ही ऐसा महीना है जिसमें सबसे ज्यादा त्यौहार आते है, पारिवारक उत्सव को भी त्यौहार कि तरह मनाया जाता है, इसमें करवा चौथ व्रत, संतान कि लम्बी उम्र होने का व्रत और भैया दूज आदि है और इसके आलावा इस कार्तिक मास में गोपाष्टमी, दीपावली, विश्वकर्मा पूजा, धनतेरस तथा कई अन्य उत्स्व भी इस महीने मनाये जाते है। गीता में भी भगवान कृष्ण ने बताया कि कार्तिक मास का महीना मुझे अति प्रिय है, स्कन्द पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति इस महीने में अन्नदान, दीपदान करता है उस पर कुबेर भगवान कि विशेष कृपा होती है। स्वामी जी ने बताया कि भक्ति और पूजा करने से मनुष्य कि सभी इच्छाएं पूर्ण होती है, शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य कार्तिक मास में प्रतिदिन गीता का पाठ करता है उसे अनन्त पुण्यो कि प्राप्ति होती है, गीता के एक अध्याय का पाठ करने से मनुष्य घोर नर्क से मुक्त हो जाते है। इसके आलावा इस दिव्य गीता सत्संग में पलवल पंचवटी मंदिर से महा मंडलेश्वर स्वामी कामता प्रसाद भी भक्तों को आशीर्वाद देने पहुंचे और अपने ओजस्वी वचनों से संतो कि महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि पलवल के भक्तों कि किस्मत बहुत बढ़िया है जो कार्तिक माह के पहले ही दिन पुरे विश्व में विख्यात संत स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज जी आपके बीच पधारे है। ऐसे कोमल और मधुर संतों का इस धरती पर आगमन बहुत ही महत्व रखता है।

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