संगीत की दुनिया का मशहूर सितारा रहे मन्ना डे ने फिल्म इंडस्ट्री को वो गाने दिए जो आज भी लोग चटकारे लेकर सुनना पसंद करते हैं। आज ही के दिन संगीत के दुनिया के इस बादशाह का जन्म हुआ था। मन्ना डे ने
पने करियर में कई गाने गए। उनके गानों के फैनमोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे सिंगर्स भी थे। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर सिंगर्स के नाम का जिक्र जब भी होता है, तो उसकी गिनती मन्ना डे (Manna Dey) के बिना अधूरी होती है। मन्ना डे बॉलीवुड का वह चमकता सितारा थे, जिनके बिना संगीत की कल्पना नहीं की जा सकती। संगीत की दुनिया का नायाब चेहरा थे मन्ना डे मन्ना डे ने फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक गाने दिए। उनके फेमस सॉन्गस में 'ऐ भाई जरा देख के चलो', 'यारी है ईमान मेरा', 'जिंदगी कैसी है पहेली', 'मुड़ मुड़ के न देख' जैसे तमाम चार्टबस्टर्स गानों को आवाज दी। मन्ना डे ने माने संगीत को खुद में समा लिया था। किशोर कुमार, मोहम्मद रफी जैसे गायक भी उनके गानों के मुरीद थे। एक वक्त ऐसा भी आया, जब फिल्ममेकर्स ही नहीं, एक्टर्स तक अपनी फिल्मों के गानों को सिर्फ मन्ना डे की आवाज में सजाना चाहते थे। मन्ना डे ने गाए थे करीब 4000 गाने 1 मई, 1919 को कोलकाता में जन्में प्रबोध चंद्र डे को 'मन्ना' नाम स्टेज नाम से दिया गया। वह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे फेमस और प्रतिभाशाली गायकों में से एक रहे हैं। मन्ना डे ने अपने करियर में तकरीबन 4000 गाने गए। उनकी आवाज का करिश्मा कुछ ऐसा था कि उन्होंने अपने संगीत के दम पर इंडियन सिनेमा में संगीत का एक नया अध्याय जोड़ा। 'राम राज्य' से मिला ब्रेक पद्मश्री, पद्म भूषण, दादा साहेब फाल्के से नवाजे गए मन्ना डे की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया , जब उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास लेने का मन बना लिया। मन्ना डे ने 1942 में 'तमन्ना' फिल्म से गायन करियर की शुरुआत की थी। उनका पहला गाना सुरैया के साथ 'जागो आई उषा पोंची बोले जागो' था। लेकिन 1943 में उन्हें ब्रेक मिला 'राम राज्य' से। इस फिल्म में उन्होंने 'गई तू गई सीता सती' गाया था। मन्ना डे की आवाज में ये गाना जबरदस्त तरीके से हिट हुआ। इसके बाद उन्होंने 'ओ प्रेम दीवानी संभाल के चलना', 'दूर चले का दिल चुराने की लिए', 'ए दुनिया जरा सुनो', 'आज बोर आई' जैसे तमाम गानों को अपनी मंत्रमुग्ध करने वाली आवाज से सजाया। लेकिन 1992 के बाद उन्होंने बॉलीवुड में गाना बंद कर दिया। स्पेशलिस्ट होना साबित हुआ श्राप! मन्ना डे के लिए संगीत उनकी श्रद्धा थी। यही वजह है कि किसी फिल्म निर्माता को जब भी संगीत गवाना होता, तो वो अधिकतर मन्ना डे से ही गाना गवाना पसंद करते थे। लेकिन मन्ना डे का मन अब ऊप चुका था। उन्हें अक्सर एक ही तरह के गाने के लिए अप्रोच किया जाता था। लिहाजा मन्ना डे ने हिंदी सिनेमा में गाना ही बंद कर दिया। मोहम्मद रफी ने एक बार कहा था कि पूरी दुनिया मेरे गाने को सुनती है और मुझे सुकून बस मन्ना डे के ही गाने से मिलता है। मगर संगीत में पारंगत होने के कारण वह टाइपकास्ट का भी शिकार हो गए। उन्हें हल्के-फुल्के गाने के लिए कंसीडर करना बंद कर दिया गया। यही वजह है कि काम में क्वॉलिटी की कमी को देखते हुए उन्होंने 1992 के बाद हिंदी म्यूजिक से खुद को अलग कर दिया।
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