सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर अरावली वनक्षेत्र में रातोंरात अवैध रूप से पहाडिय़ों का सीना चीरकर वनक्षेत्र में गैर कानूनी तरीके से बनाए गए अवैध फार्महाउसों को तोडऩे के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता
में आज एक बैठक आयोजित हुई। बैठक में टीसीपी विभाग, वन विभाग, नगरनिगम, राजस्व विभाग, पर्यावरण विभाग, प्रदूषण रोकथाम विभाग और स्थानीय नगरपरिषद के अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में फैसला लिया गया है कि सोहना-रायसीना अरावली वनक्षेत्र में अवैध रूप से बने करीब 500 फार्महाउसों को मलबे में तब्दील करने के लिए मार्च महीने से कार्रवाई तेजी से शुरू की जाए और पीले पंजे व बुलडोजर की मदद से इन अवैध फार्महाउसों को पूरी तरह जमीदोज कर वनक्षेत्र को पुराना स्वरूप दिया जाए। साथ ही उपायुक्त ने बैठक में मौजूद उपरोक्त विभागों के अधिकारियों से इन अवैध रूप से निर्मित फार्महाउसों को तोड़े जाने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की और निर्देश दिए कि तोडफ़ोड़ शुरू करने से पहले यह चयनित कर लिया जाए कि कितने फार्महाउसों पर अदालत का स्टे है। साथ ही मौजूद अधिकारियों को हिदायत दी कि वह वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर इन फार्महाउसों को पूरी तरह जमीदोज करने के लिए एक ठोस योजना तैयार करे। उन्होने बताया कि काफी फार्महाउस सोहना नगरपरिषद के दायरे में आ रहे है तो कुछ फार्महाउस नगरनिगम के दायरे में आ रहे है। ऐसे में जरूरी है कि सभी विभागों के स्थानीय अधिकारी मिलकर जमीदोज किए जो फार्महाउसों को तोड़े जाने के लिए ठोस तरीके से योजना बनाए ताकि उसे मार्च महीने से शुरू कर एनजीटी के आदेशों की पालना सुनिश्चित बनाई जा सके। इधर लोगों में इस बात को लेकर जमकर चर्चाएं जोर पकड़ रही है कि फार्महाउसों पर बुलडोजर चलाने वाली कागजी कार्रवाई बहुत ही धीमी गति से चल रही है। हालांकि पिछले महीने ही सर्वे कार्य पूरा हो गया लेकिन अभी तक भी बुलडोजर चलाने और तोडफ़ोड़ के लिए ना तो टीम बनाने की कार्रवाई पूरी हो पाई है और ना ही डयूटी मजिस्ट्रेट लगाया गया है। ऐसे में निर्धारित समयावधि के दौरान सभी फार्महाउसों को ध्वस्त किए जाने की उम्मीद अभी से कम नजर आ रही है जबकि बीते वर्ष के अगस्त महीने में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी किए थे कि वनभूमि पर बनाए गए सभी फार्महाउस 31 जनवरी तक ध्वस्त किए जाए। आदेशानुसार वन विभाग द्वारा किए गए सर्वे में 100 फार्महाउस वनभूमि में बने होना पाया गया। इसी बीच करीब दस फार्महाउस मालिक अपने फार्महाउसों के टूटने के डर से अदालत में पहुंच गए। उन्हे छोडक़र अन्य फार्महाउसों को ध्वस्त करने के लिए कागजी कार्रवाई ही वह भी बहुत धीमी गति से चल रही है। वन राजिक अधिकारी का कहना रहा कि तोडफ़ोड़ करने के लिए प्रशासन की तरफ से टीम गठित की जानी है। इस कार्य को अंजाम देने के लिए टीम और डयूटी मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी तय होते ही तोडफ़ोड़ की कार्रवाई शुरू की जानी है क्योकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इन फार्महाउसों को वर्ष-2021 में 31 जनवरी तक हर हालत में ध्वस्त किए जाने का आदेश जारी कर रखा है। फार्महाउस बड़ी तादाद में है। इनके तोडफ़ोड़ के लिए 25 दिन का वक्त प्रशासन के पास रह गया है। वन विभाग ने इन फार्महाउसों को तोड़े जाने के लिए चल रहे सर्वे कार्य को पूरा कर लिया है। साथ ही वनभूमि पर अवैध रूप से बनाए गए फार्महाउसों को तोडऩे के लिए वनविभाग ने उपायुक्त को पत्र लिखा है ताकि उपायुक्त द्वारा गठित की गई कमेटी की अगुवाई में तोडफ़ोड़ अभियान को प्रभावी तरीके से चलाया जा सके। वन राजिक अधिकारी का कहना है कि वन विभाग ने प्रशासन से डयूटी मजिस्ट्रेट लगाने की मांग कर रखी है क्योकि तोडफ़ोड़ की कार्रवाई को अंजाम देने के लिए डयूटी मजिस्ट्रेट लगाना जरूरी है। जहां तक वन विभाग का सवाल है, उनका विभाग तोडफ़ोड़ के लिए पूरी तरह तैयार है और निर्धारित समयावधि से पहले फार्महाउस ध्वस्त कर एनजीटी के दिए आदेशों की हर कीमत पर पालना सुनिश्चित बनाई जाएगी। उन्होने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा अगस्त महीने में जारी आदेश अनुसार अगले 2 महीने के भीतर यानि तोडफ़ोड़ के लिए पहचान में आए इन फार्महाउसों को वर्ष-2021 में 31 जनवरी तक हर हालत में ध्वस्त किया जाना है लेकिन दिलचस्प बात ये है कि इस बारे में संबंधित विभिन्न विभागों के स्थानीय अधिकारी कुछ भी बोलने और यह बताने को तैयार नही है कि कुल कितने फार्महाउस वनभूमि पर बने हुए है और सर्वे में कितने फार्महाउसों की पहचान हो पाई है तथा कितने फार्महाउस अभी तक सर्वे से अछूते रहे है। ज्यादा कुरेदने पर वह इतना ही कह रहे है कि एनजीटी के आदेशानुसार निर्धारित समय सीमा के भीतर वनभूमि पर बनाए गए सभी फार्महाउसों को पूरी तरह ध्वस्त किया जाएगा लेकिन हैरानी भरी बात ये है कि वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों को पता ही नही है कि वन भूमि पर यहां कितने फार्महाउस बने हुए है। जिससे वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे है। ऐसे में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ रही है क्योकि कई साल पहले भी इन अवैध फार्महाउसों के मामले के तूल पकड़े जाने पर वन विभाग की तरफ से सर्वे किया गया था। उस वक्त किए गए सर्वे की रिपोर्ट पर कौन अधिकारी कुंडली मारे बैठा है, इस बारे में वन विभाग का कोई अधिकारी-कर्मचारी मुंह खोलने को तैयार नही है तो सेवानिवृत वन संरक्षक व पर्यावरण कार्यकर्ता डाक्टर आरपी बलवान इस मामले में वन विभाग की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाकर संदेह के घेरे में ला रहे है और कह रहे है कि जब कई वर्षों पहले सर्वे किया गया तो वह सर्वे रिपोर्ट कहां गई? वन विभाग के अधिकारी दोबारा सर्वे के नाम पर समय बर्बाद कर रहे है। पुरानी सर्वे रिपोर्ट निकाल कर अवैध फार्महाउसों के खिलाफ जल्द कार्रवाई शुरू करनी चाहिए। काबिले गौर यह है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानि एनजीटी ने अरावली पहाड़ी वाले वनक्षेत्र में वन भूमि पर बने सभी फार्महाउसों को 6 महीने के भीतर ध्वस्त करने का आदेश जारी किया है। आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि वनक्षेत्र को दोबारा से पुरानी स्थिति में लाया जाए। एक अनुमान के मुताबिक अरावली वनक्षेत्र में 2 हजार से ज्यादा फार्महाउस बने हुए है। मंडल वन अधिकारी जयकुमार का कहना है कि वनक्षेत्र में बने सभी फार्महाउसों की सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है। कुछ फार्महाउसों के गेट पर भी नोटिस चस्पा किए गए है। नोटिस चस्पा करना भी जरूरी है ताकि कोई ये ना कहे कि उन्हे मौका रखने का पक्ष नही दिया गया। एनजीटी ने जो आदेश जारी किया है, वन विभाग उसके मुताबिक जरूरी कार्रवाई करने के लिए तैयारी कर रहा है। तोडफ़ोड़ कार्रवाई को अंजाम देने के लिए कमेटी बनाए जाने और डयूटी मजिस्ट्रेट लगाए जाने हेतू उपायुक्त को पत्र लिखा गया है। कमेटी गठन और डयूटी मजिस्ट्रेट लगाए जाते ही तोडफ़ोड़ अभियान शुरू किया जाएगा। एनजीटी के आदेशानुसार निर्धारित समय सीमा के भीतर वनभूमि पर बनाए गए सभी फार्महाउसों को पूरी तरह ध्वस्त करने की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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