कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की। दरअसल एक समाचार पत्र में राज्य में डॉक्टरों तकनीशियनों और विभिन्न अन्य कर्मियों
सहित 16500 चिकित्सा कर्मचारियों की कमी की रिपोर्ट पब्लिश हुई थी। इस पर कोर्ट ने गंभीरता दिखाई है। साथ ही कोर्ट की मदद के लिए एक न्याय मित्र नियुक्त किया गया है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफों की कमी पर चिंता व्यक्त की। हाई कोर्ट ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए मामले पर स्वतः संज्ञान लिया और जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की। कर्नाटक में बड़े पैमाने पर मेडिकल स्टाफों की कमी समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की पीठ ने सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य में डॉक्टरों, तकनीशियनों और विभिन्न अन्य कर्मियों सहित 16,500 चिकित्सा कर्मचारियों की कमी का जिक्र किया। डॉक्टरों की कमी पर हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया बता दें कि पीठ ने इस संबंध में 16 अक्टूबर को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट का उल्लेख किया। इसके बाद, खुद कोर्ट ने रजिस्ट्रार को समाचार रिपोर्ट के आधार पर एक जनहित याचिका दायर करने और इसे अदालत के सामने प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। 454 ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि राज्य के 454 ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है। साथ ही रिपोर्ट में 723 एमबीबीएस डॉक्टरों, 7,492 नर्सों, 1,517 लैब तकनीशियनों, 1,517 फार्मासिस्टों, 1,752 परिचारकों और 3,253 ग्रुप डी कर्मचारियों की कमी का जिक्र किया गया था। अदालत ने रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए इस मामले पर कोर्ट की मदद के लिए वकील श्रीधर प्रभु को एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया।
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