दिल्ली में नौवें पी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन के अध्यक्ष डुआर्टे पचेको ने कहा कि शांति के बिना सतत विकास लक्ष्यों और भविष्य पर चर्चा करना असंभव है। इसलिए
शांति हमेशा हमारी चिंताओं के पहले पन्ने पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा हमें अपने देशों में प्रतिनिधियों के रूप में हर जगह सभी महाद्वीपों में शांति की रक्षा करने की जरूरत है। दिल्ली में नौवें पी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन के अध्यक्ष डुआर्टे पचेको ने कहा कि शांति के बिना सतत विकास लक्ष्यों और भविष्य पर चर्चा करना असंभव है। इसलिए शांति हमेशा हमारी चिंताओं के पहले पन्ने पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'हमें हमारे देशों जैसे - यूरोप, अफ्रीका, मध्य पूर्व एशिया और अमेरिका में प्रतिनिधियों के रूप में हर जगह, सभी महाद्वीपों में शांति की रक्षा करने की जरूरत है।' पचेको ने कहा, 'हमें पूरी दुनिया में शांति की रक्षा करने की जरूरत है। हम सांसद जानते हैं कि यह कैसे करना है? क्योंकि हम इसे अपनी संसदों के अंदर करते हैं।' उन्होंने कहा कि अलग-अलग विचार रखने वाले लोगों के साथ बहुत मुश्किल है, लेकिन हम आम सहमति बनाने की हर संभव कोशिश करते हैं। बस इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलने की जरूरत है।' भारत दुनिया को एक नया दृष्टिकोण देगा पी20 शिखर सम्मेलन से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एएनआई से कहा, 'इस आयोजन के माध्यम से भारत दुनिया को एक नया दृष्टिकोण देगा। जैसा कि उसने जी20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के माध्यम से किया था। शिखर सम्मेलन में नेताओं की घोषणा ने वैश्विक दृष्टिकोण को एक नई दिशा दी।' उन्होंने कहा, 'जी20 शिखर सम्मेलन की ऐतिहासिक सफलता और नई दिल्ली में नेताओं की घोषणा के बाद हम पी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन करने जा रहे हैं। इस दौरान दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी मौजूद रहेंगे।' बता दें कि, इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन राष्ट्रीय संसदों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। जिसका प्राथमिक उद्देश्य अपने सदस्यों के बीच लोकतांत्रिक शासन, जवाबदेही और सहयोग को बढ़ावा देना है। इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यशोभूमि (द्वारका) में नवनिर्मित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर (IICC) में नौवें G20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (P20) का उद्घाटन किया। शिखर सम्मेलन एक संयुक्त बयान के साथ समाप्त होगा, जिसमें जी20 सरकारों से समानता, समावेशिता और शांति के आधार पर प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रदान करने का आग्रह किया जाएगा। साथ ही, शिखर सम्मेलन के दौरान भारत की प्राचीन और सहभागी लोकतांत्रिक परंपराओं को उजागर करने के लिए एक प्रदर्शनी - 'मदर ऑफ डेमोक्रेसी' - का भी आयोजन किया जाएगा।
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