कौन था शाहिद लतीफ? जिसकी हत्या से जैश-ए-मोहम्मद की टूटी रीढ़ की हड्डी; पढ़ें इस खूंखार आतंकी की पूरी कुंडली

Khoji NCR
2023-10-11 10:21:08

पाकिस्तान के सियालकोट की एक मस्जिद में बुधवार को अज्ञात हमलावरों ने जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर शाहिद लतीफ और हाशिम को मार गिराया। खूंखार आतंकी लतीफ की मौत जैश के लिए एक बहुत बड़ा अघात है क्योंकि

आतंकियों की तैनाती से लेकर हमले की प्लानिंग में लतीफ की अहम भूमिका रहती थी। शाहिद लतीफ पठानकोट एयरबेस हमले का मास्टरमाइंड था। पाकिस्तान के सियालकोट की एक मस्जिद में बुधवार को अज्ञात हमलावरों ने जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर शाहिद लतीफ और हाशिम को मार गिराया। शाहिद लतीफ की मौत को जैश-ए-मोहम्मद के लिए एक बड़ा अघात बताया जा रहा है। पठानकोट एयरबेस के गुनाहगारों में शामिल शाहिद लतीफ को साल 2010 में भारत सरकार ने उसकी सजा पूरी होने और पाकिस्तान के बेहतर संबंधों की बहाली के प्रयास के लिए वापस भेजा था। उसके साथ 25 अन्य आतंकियों को भी रिहा किया गया था। शाहिद लतीफ ने किया पठानकोट एयरबेस पर हमला पठानकोट एयरबेस पर दो जनवरी 2016 को हमला करने वाले जैश के आत्मघाति आतंकियों के दस्ते का हैंडलर शाहिद लतीफ था। उसके साथ इस हमले का सूत्रधार काशिफ जान था। वह हमलावर आतंकियों के साथ लगातार संपर्क में था। पाकिस्तान ने भी बाद में माना था कि जिस शाहिद लतीफ को पठानकोट एयरबेस हमले में लिप्त बताया जा रहा है , वह पाकिस्तानी नागरिक है। आतंकियों की पौध तैयार करता था शाहिद शाहिद लतीफ मूलत: मोरी अमीनाबाद गुजरांवाला पाकिस्तान का रहने वाला था। जैश-ए-मोहम्मद में नंबर तीन की हैसियत रखता था। वह जैश के सियालकोट विंग का संचालक था। वह सियालकोट से भारत में भेजे जाने वाले जैश के आतंकी दस्तों की कमान, पंजाब और जम्मू में जैश के आत्मघाती दस्तों के हमलों के लिए आतंकियों को चुनने के अलावा पाकिस्तान के पंजाब में जैश के नए आतंकियों की पौध तैयार करने का काम करता था। शाहिद लतीफ की उठी थी रिहाई की मांग शाहिद लतीफ की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 1999 में जब हरकतुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने आइसी-814 विमान को हाईजैक कर कंधार पहुंचाया था तो मौलाना मसूद अजहर के साथ उसकी रिहाई की मांग भी की थी। बाद में उसकी रिहाई की मांग छोड़ दी गई और मौलाना मसूद अजहद के साथ मुश्ताक जरगर उर्फ लटरम, अहमद उमर सैयद शेख की रिहाई पर जोर दिया गया। इन्हीं तीनों को भारत सरकार ने रिहा किया था। साल 1994 में पकड़ा गया था शाहिद लतीफ शाहिद लतीफ को जम्मू कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर में एक विशेष अभियान के दौरान 1994 में पकड़ा था। उसके बाद उसे जम्मू की कोट भलवाल जेल में रखा गया था। वर्ष 2002 में उसे उत्तर प्रदेश की वाराणसी जेल में स्थानांतरित किया गया था। अक्टूबर 2003 में उसे जम्मू कश्मीर की एक अदालत ने आतंकी व अन्य गतिविधियों में सलिंप्तता का दोषी पाते हुए 16 वर्ष की सजा के साथ 40 हजार रूपये जुर्माना की सजा सुनाई थी। UPA सरकार में पाकिस्तान भेजा गया था लतीफ वर्ष 2010 में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध बनाने की दिशा में प्रयास करते हुए भारत की जेलों में बंद 25 पाकिस्तानी कैदियों को जिनकी सजा की अवधि पूरी हो चुकी थी रिहा किया था। इनमें शाहिद लतीफ भी शामिल था। यह सभी कैदी 28 मई 2010 को वाघा बार्डर पर पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंपे गए थे। पाकिस्तान ने भी बदले में भारत के 25 कैदियों को रिहा किया था। जम्मू कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अगर सियालकोट में मारा गया शाहिद लतीफ वही है जिसे हम पठानकोट हमले का गुनाहगार मानते हैं तो यह जैश ए मोहम्मद के लिए बहुत बड़ा झटका है। वह पकड़े जाने से पहले लगभग दो वर्ष तक कश्मीर में सक्रिय रहा है। उस समय वह हरकतुल मुजाहिदीन का आतंकी था। जैश के सियालकोट विंग की कमान संभाल रहा था लतीफ हरकतुल मुजाहिदीन उस समय कश्मीर में अक्सर जमायतुल मुजाहिदीन के आतंकियों के साथ मिलकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे। मौलाना मसूद अजहर ने वर्ष 2002 में जब जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया था तो हरकतुल मुजाहिदीन के कई पुराने कमांडर जैश-ए-मोहम्मद का हिस्सा बन गए थे। भारत से वापस पाकिस्तान लौटने के बाद वह जैश-ए-मोहम्मद के सियालकोट विंग की कमान संभाल रहा था।

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