प्रेग्नेंसी में खतरनाक हो सकता है डेंगू बुखार, जानें कैसे रखें मां और बच्चे का ख्याल

Khoji NCR
2023-10-09 10:13:38

देशभर में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी है। खासतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान डेंगू से बचना काफी जरूरी है क्योंकि यह संक्रमण होने

पर संक्रमण संभावित रूप से अजन्मे बच्चे में फैल सकता है। ऐसे में इस दौरान निम्न बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। प्रेग्नेंसी एक महिला के जीवन का बेहद अहम, लेकिन नाजुक पड़ाव होता है। यह महिला और उसके बच्चे के लिए बेहद महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान सेहत का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है। इन दिनों देशभर में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए डॉक्टर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। खासतौर पर जब बात गर्भवती महिलाओं की आती है, तो जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। डेंगू एक गंभीर बीमारी है, जो एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलती है। अगर सही समय पर इसका उचित इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। खासतौर पर प्रेग्नेंसी में यह संक्रमण होने पर संक्रमण संभावित रूप से अजन्मे बच्चे में फैल सकता है। ऐसे में इस दौरान निम्न बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। डेंगू से कैसे बचें प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर महिलाओं की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से वह आसानी से संक्रमणों का शिकार हो सकती हैं। ऐसे में उन्हें सेहतमंद बनाए रखने के लिए सही खानपान के साथ ही इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि वह हाई रिस्क वाली जगहों पर जाने से बचें। डेंगू पर रखें इन बातों का ध्यान अगर किसी गर्भवती महिला को डेंगू बुखार हो जाता है, तो सही खानपान और हाइड्रेशन बेहद जरूरी है। मां और बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का सेवन और लिक्विड डाइट का ध्यान रखना ज्यादा जरूरी है। डेंगू प्लेटलेट स्तर को भी कम कर सकता है। ऐसे में कुछ मामलों में खून चढ़ाने की जरूरत भी पड़ सकती है। वहीं, बात करें प्रेग्नेंट महिलाओं में डेंगू के लक्षणों की तो, इस दौरान निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं- तेज बुखार पेट दर्द गंभीर सिरदर्द उल्टी चक्कर आना आदि डेंगू का इलाज और रोकथाम डेंगू बुखार होने पर सही इलाज के साथ-साथ हाइड्रेशन, आराम और सही पोषण बेहद जरूरी है। बुखार होने पर डॉक्टर अक्सर पेरासिटामोल और एनएसएआईडी देते हैं, लेकिन गर्भवती महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न खाएं। आप इसकी जगह ठंडे कपड़े से स्पंज करना या चंदन का पेस्ट जैसे नेचुरल तरीकों से बुखार कम करने की कोशिश कर सकते हैं। बीमारी का जल्द पता लगाने और सही मेडिकल केयर के साथ डेंगू से मृत्यु दर 1% तक कम हो सकती है। ऐसे में जिन गर्भवती महिलाओं को बच्चा जन्म देने से कुछ समय पहले या बाद में डेंगू हो जाता है, उन्हें कड़ी निगरानी की जरूरत होती है, क्योंकि वे अधिक जोखिम में होती हैं। यह भी जानना जरूरी जरूरी बात यह है कि अगर मां को डेंगू है, तो स्तनपान कराने से नवजात शिशुओं को कोई खतरा नहीं होता है। डेंगू वायरस ब्रेस्टफीडिंग से नहीं फैलता है। इसके विपरीत में, मां के दूध से कई जरूरी पोषक तत्व और एंटीबॉडी मिलते हैं, जो बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ा सकते हैं, जो उन्हें डेंगू सहित गंभीर संक्रमणों से बचाते हैं। हालांकि, अगर मां गंभीर रूप से बीमार है, तो फॉर्मूला दूध को एक विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है।

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