*बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना ही सावित्रीबाई फुले जयंती की सार्थकता।

Khoji NCR
2021-01-03 10:08:44

नारनौल। सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले फाउंडेशन नारनौल की ओर से अंबेडकर भवन मालवीय नगर में देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जयंती समारोह मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सफाई कर

मचारी यूनियन के उपप्रधान मंजू देवी कुकसी ने की। मुख्य अतिथिगण अजीत कौर, डॉ सुशील कुमार शीलू, भीम प्रज्ञा के संपादक एडवोकेट हरेश पंवार, राजेश बालवान, नरसिंह यादव, एडवोकेट भंवरसिंह, कमांडो राजेंद्र सिंह, बाबूलाल खोला ,पूर्व बैंक मैनेजर जयनारायण, डॉ महिपाल, योगेश व रणधीर सिंह अध्यापक आदि ने संबोधित किया। फाउंडेशन के प्रधान कामरेड सुभाष चंद्र ने सावित्रीबाई फुले के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला और फाउंडेशन की वार्षिक गतिविधियों की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट प्रदीपा ने किया। इस अवसर पर प्रतिभावान छात्राओं को मोमेंटो भेंट कर सम्मान किया। अजीत कौर ने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा साधन है। जिसके माध्यम से समाज में उपेक्षित रह रही महिलाओं का सम्मान लौटाया जा सकता है। डॉ सुशील कुमार ने पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाने वाले सिलेबस की विसंगतियों में महिलाओं के संदर्भ में आ रही आपत्तियों पर संशोधन हेतु पुरजोर अपील की। उन्होंने कहा की हम छोटी-छोटी गलतियों से महिला वर्ग का अनादर ना करें। एडवोकेट हरेश पंवार ने फुले दंपति की शिक्षा नीतियों पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान परिपेक्ष पर भी प्रकाश डाला उन्होंने ऐतिहासिक प्रसंग के जरिए बताया कि सावित्रीबाई फुले के प्रयासों से जहां विषम परिस्थितियों में सब लोगों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोलें गए। जो कि वर्तमान बालिका शिक्षा प्रोत्साहन का सबसे बड़ा प्रेरक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को स्वयं बालिका शिक्षा के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। पंवार ने कहा बेटियां दो दो घरों को रोशन करती हैं इसलिए बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए यही सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्ष की प्रेरणा है। इस अवसर पर वक्ताओं ने फुले दंपति के जीवन संघर्ष से जुड़ी काव्य पंक्तियों से इस समा बांधे रखा। अतिथियों ने नारनौल शहर में सावित्रीबाई फुले के विचारधारा को जन जन तक पहुंचाने के लिए सावित्रीबाई फुले फाउंडेशन के पदाधिकारियों के साहसिक कार्यों की प्रशंसा की आया दिन आए हुए अतिथियों का आभार कार्यक्रम के संयोजक एडवोकेट कामरेड सुभाष चंद्र ने प्रकट किया।

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