भारतीय संसद से महिला आरक्षण विधेयक पारित होने पर अमेरिका में भी स्वागत किया गया है। USISPF के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि दोनों सदनों से पारित विधेयक एक ऐसा ऐतिहासिक कदम है जो संसद में महिलाओं के
्रतिनिधित्व को संवैधानिक रूप से सुनिश्चित करेगा और भारत में महिलाओं की भागीदारी के अधिकार और लैंगिक समानता की रक्षा में महत्वपूर्ण होगा। वाशिंगटन, पीटीआई। भारतीय संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने का अमेरिका में भी स्वागत किया गया है। यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) ने कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का विधेयक एक परिवर्तनकारी कदम है। लैंगिक समानता की रक्षा में महत्वपूर्ण होगा विधेयक यूएसआइएसपीएफ के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि दोनों सदनों से पारित विधेयक एक ऐसा ऐतिहासिक कदम है, जो संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को संवैधानिक रूप से सुनिश्चित करेगा और भारत में महिलाओं की भागीदारी के अधिकार और लैंगिक समानता की रक्षा में महत्वपूर्ण होगा। संसद में महिलाओं की केवल 15 प्रतिशत है हिस्सेदारी वर्तमान में, भारत के 95 करोड़ मतदाताओं में से लगभग आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में उनकी हिस्सेदारी केवल 15 प्रतिशत और राज्य विधानसभाओं में 10 प्रतिशत है। इस विधेयक के पारित होने से अब महिलाओं की हिस्सेदारी लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत हो जाएगी। संसद से कब पास हुआ महिला आरक्षण बिल? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के विशेष सत्र में 18 सितंबर को लोकसभा में दिए अपने पहले भाषण में महिला आरक्षण से संबंधित बिल को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया। उन्होंने इसे ऐतिहासिक कदम करार दिया। इसके बाद 19 सितंबर को केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल को लोकसभा में पेश किया, जिस पर 20 सितंबर को चर्चा की गई और विधेयक पारित हो गया। इसके बाद, बिल को राज्यसभा में पेश किया गया, जहां 21 सितंबर को यह पारित हो गया। उच्च सदन में उपस्थित सभी 215 सांसदों ने बिल का समर्थन किया। लोकसभा में भी दो सदस्यों के अलावा, मौजूद सभी 454 सांसदों ने बिल का समर्थन किया था।
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