मध्य प्रदेश चुनावी रंग में रंग चुका है। ऐसे में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस सहित तमाम पार्टियों ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अलग
ंदाज देखने को मिला, जहां पर उन्होंने इंदौर की बाल अभिनेती कुरंगी नागराज के साथ 'द लाडली' शो में अपने अनुभवों को साझा किया। कुरंगी नागराज के साथ बचपन की यादें ताजा करते हुए 'मामा' शिवराज ने अपनी शिक्षा दीक्षा से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक के सफर पर बात की। उन्होंने कहा कि छोटे से गांव में पैदा होने के बावजूद मेरे भीतर पढ़ने की खूब ललक थी। मैं यह जानता था कि आगे बढ़ना है तो पढ़ना है। मैंने सातवीं कक्षा में गांव के मजदूरों के लिए आंदोलन किया था, लेकिन साथ में पढ़ता भी खूब था। इसी वजह से मैं अपनी कक्षा में हमेशा फर्स्ट आता था। जब 1975 में लगी थी इमरजेंसी मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि साल 1975 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में इमरजेंसी लगाई थी और उस वक्त मैंने इमरजेंसी का विरोध किया था। इंदिरा जी की तानाशाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी और मैं 17 साल की उम्र में जेल चला गया था। इसी बीच कुरंगी नागराज ने चौंकते हुए पूछा महज 17 साल की उम्र में आप जेल चले गए थे। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा, हां, पुलिस 17 साल की उम्र में पकड़ कर मुझे जेल ले गई थी। उस वक्त मैं ग्यारहवीं कक्षा में था और जेल से निकलने के बाद मैंने परीक्षा दी थी। कैमेस्ट्री में मुझे 200 में से 178, फिजिक्स में 173, बायोलॉजी में 168 अंक प्राप्त हुए थे। हिंदी में भी मुझे अच्छे अंक मिले थे। मैं लगातार पढ़ता रहा और विद्यार्थी परिषर के कामकाज में भी लगा रहा। पढ़ते-पढ़ते मैंने बीए किया और फिलोसोफी में एमए किया। एमए में मैं गोल्ड मेडलिस्ट था। ...तो इसलिए शिवराज को 'मामा' कहती हैं बेटियां कुरंगी नागराज के मासूम सवालों का जवाब देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने यह बताया कि आखिर क्यों प्रदेश की बेटियां उन्हें 'मामा' कहकर बुलाती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सच्चे दिल से काम करने की वजह से मैं बेटियों का मामा हूं। उन्हें सच्चा प्यार करता हूं। साथ ही बेटियों की जिंदगी कैसे बेहतर बने इसकी कोशिश करता हूं। उनके लिए योजनाएं बनाता हूं। इसलिए बेटियां मुझको मामा कहती हैं।
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