प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर सिविल हॉस्पिटल नूंह में सेमीनार व प्रर्दशनी का आयोजन

Khoji NCR
2022-11-19 10:54:47

खोजी एनसीआर साहून खांन गोरवाल नूंह 18 नवंबर : नैशनल आयुष मिशन, भारत सरकार नई दिल्ली के सौजन्य से डा. साकेत कुमार, महानिदेशक आयुष हरियाणा के निर्देशानुसार एवं डा. मौ. कमर, जिला आयुष अधिकारी के मा

्गदर्शन में आयुष विभाग, शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, में प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाया गया। सेमीनार का शुभारंभ एसडीएम अश्वनी कुमार व संदीप राजपूत, प्रवर चिकित्सा अधिकारी, सीएचसी नूंह द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। एसडीएम ने बताया कि आजकल पुरानी या बड़ी बीमारियों का उपचार के लिए प्राकृतिक चिकित्सा यानि नेचुरोपैथी बहुत प्रचलित है। इसमें बिना किसी दवाओं का उपयोग किए ही पंच तत्वों का पालन करते हुए बीमारी का इलाज किया जाता है। इसके इस्तेमाल से शरीर में छुपे हुए बरसों पुराने रोग भी बाहर आ जाते हैं। हमें अपने वेदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता हैं। अगर आप भी किसी पुरानी बीमारी या गंभीर रोग से गुजर रहे हैंए तो आपको नेचुरोपैथी की मदद जरूर लेनी चाहिएए लेकिन इससे पहले इसके बारे में पूरी जानकारी होना भी जरूरी है। प्रवर चिकित्सा अधिकारी संदीप राजपूत ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा बताया गया कि नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक उपचार। इसमें पंच तत्वों आकाशए जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी को आधार मानकर चिकित्सा की जाती है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पंच महाभूतत्वों, मिट्टी, पानी, धूप, हवा व आकाश पर आधारित है। डॉक्टर से सलाह लेकर घर पर ही इलाज संभव है। इसके अंतर्गत जोड़ों का दर्द ऑर्थराइटिस स्पॉन्डलाइटिस, सियाटिका पाइल्स कब्ज गैस, एसिडिटी, पेष्टिक अल्सर फैटी लीवर कोलाइटिस माइग्रेन मोटापा डायबिटीज हाई ब्लड प्रेशर, दमा ब्रॉनकाइटिस सीओपीडी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीजद्ध व त्वचा संबंधी रोगों का उपचार होता है। नेचुरोपैथी में रोग को ठीक करने के साथ ही उसे शरीर से खत्म करने पर ध्यान दिया जाता है। इस चिकित्सा पद्धति में पूरी तरह से प्रकृति में मिलने वाली चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे ही एक उपचार का तरीका है मड थेरेपी जो कई रोगों के लिए रामबाण है। मिट्टी शरीर के टॉक्सिक को एब्जॉर्ब करती है। इससे त्वचा से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं। लंबे समय से चली आ रही स्किन ऐलर्जी की समस्या भी मड थेरपी के जरिए दूर की जा सकती है। मड थेरपी के लिए जमीन में 3 से 4 फीट गहराई में मिलने वाली मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। उपयोग से पहले इसे अच्छे से साफ किया जाता है। ताकि इसमें पत्थर या किसी अन्य प्रकार की अशुद्धि न रह जाए। प्राकृतिक चिकित्सा विषेषज्ञ द्वारा मिटटी चिकित्सा, जल चिकित्सा, सूर्य किरण चिकित्सा, आहार चिकित्सा, षटकर्म, नियमित योग, एक्युपै्रषर, स्टीम बाथ व घरेलू मसालों के द्वारा बिमारियों से लडने के बारें में भी व्याख्यान दिया गया। इस सेमीनार में आयुष विभाग द्वारा औषधिय पौधों, ड्राई हर्बस, फल व सब्जियों एवं योगा के बारे प्रर्दशनी आयोजित गई। डा. रामावतार शर्मा, योग विशेषज्ञ नीरज रानी व मनीष आर्य द्वारा बताया गया कि सब्जियां और फल एक हेल्दी जीवन जीने के लिए कितने जरूरी हैं लेकिन उतना ही जरूरी है अलग-अलग फूड्स का सेवन और चयन ताकि हमारे शरीर को जरूरी पोषण प्राप्त हो सके। इसके अलावा जरूरी है सही मात्रा का पता होना ताकि शरीर पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव न हो। फल और सब्जियां हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का एक प्राकृतिक तरीका है और खुद को स्वस्थ रखने का एक किफायती तरीका भी है। जिला आयुष अधिकारी डा. मौ. कमर द्वारा बताया गया कि प्राकृतिक चिकित्सा एक बहुत प्राचीन पद्धति है। इसमें शरीर को कोई नुकसान या दर्द पहुंचाए बिना रोगों का बेहतर इलाज करने की कोशिश की जाती है। इस चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से न केवल व्यक्ति के रोगों को दूर किया जाता हैए बल्कि उसे मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य भी प्रदान किया जाता है। यह न केवल आपकी सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करती हैए बल्कि तनावए अवसाद और चिंता को भी कम करती है। आज भारत सरकार इस पद्धति का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है। डा. यशबीर गहलावत, एएमओ इस कार्यक्रम के नोडल अधिकारी रहे तथा इस सेमीनार में डा. शंशाक, डा. सीमा, डा. अर्चना, डा. अब्दुल सलाम, डा. आदित्य गौड, डा. संजय, डा. अरसद ग्यास सहित आदि स्टाफ उपस्थित रहा।

Comments


Upcoming News