एयरपोर्ट के नाम में झलकती है 'अरुणाचल' की संस्कृति, जानिए इस हवाई अड्डे की खास बातें

Khoji NCR
2022-11-19 10:36:27

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शनिवार को अरुणाचल में पहले ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का उद्घाटन किया । ईंटानगर से 25 किमी दूर डोनी पोलो एयरपोर्ट ( Donyi Polo Airport) कनेक्टिविटी में अहम भ

मिका तो निभाएगी ही, साथ में क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को भी विकसित करेगी। इसके साथ ही अब पूर्वोत्तर भारत में एयरपोर्ट का कुल आंकड़ा 16 हो गया है। 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने रखी थी नींव साल 2019 में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस एयरपोर्ट की नींव रखी थी। यह अरुणाचल प्रदेश का चौथा आपरेशनल एयरपोर्ट है। 2014 से अब तक 7 एयरपोर्ट विकसित किए जा चुके हैं। नाम में है अरुणाचल के संस्कृति की झलक एयरपोर्ट के नाम में ही अरुणाचल प्रदेश की वसीयत और संस्कृति की झलक है। दरअसल, डोनी का अर्थ 'सूर्य' और पोलो का मतलब 'चंद्रमा' है। यह जानकारी PMO (प्रधानमंत्री कार्यालय) ने पहले ही दी थी। अरुणाचल का अर्थ ही है उगते सूर्य का प्रदेश। अरुणाचल प्रदेश में पासीघाट और तेजु के बाद यह तीसरा आपरेशनल एयरपोर्ट होगा। उड़ान स्कीम के तहत पासीघाट और तेजु में एयरपोर्ट बनाए गए थे। पूर्वोत्तर भारत में यह पहला ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है। 690 एकड़ से अधिक क्षेत्र में 640 करोड़ रुपये की लागत के साथ यह एयरपोर्ट विकसित किया गया है। सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार, 2300 मीटर लंबे रनवे वाले इस एयरपोर्ट पर सभी मौसम में उड़ानों का संचालन जारी रहेगा। यहां से बोइंग 747 जैसे बड़े एयरक्राफ्ट का संचालन आराम से किया जा सकेगा। एयरपोर्ट टर्मिनल आधुनिक बिल्डिंग है। यह संसाधनों की रिसाइकलिंग और रिन्यूएबल एनर्जी को प्रमोट करती है। होलोगोंगी टर्मिनल के निर्माण में करीब 955 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह 4,100 वर्ग मीटर में बनाया गया है। राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पहले ही डोनी पोलो एयरपोर्ट पर 'द ग्रेट हार्नबिल गेट' को वास्तुशिल्प का चमत्कार करार दिया था। द ग्रेट हार्नबिल गेट डोनी पोलो एयरपोर्ट पर पर्यटकों का स्वागत करता है। इसकी डिजाइनिंग पूर्वी सियांग जिले के वास्तुकार अरोटी पनयांग ने किया है। अरुणाचल के ईंटानगर में इस नए एयरपोर्ट के साथ ही पूर्वोत्तर भारत के सभी आठ राज्यों की राजधानी में अब एयरपोर्ट होगा। इससे पहले ईंटानगर के लोगों को उड़ान के लिए या तो डिब्रूगढ़ जाना पड़ता था या फिर गुवाहाटी। इसके लिए लोगों को 6-10 घंटे तक का यात्रा करना पड़ता था।

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