नई दिल्ली, दुनियाभर में लोग मिर्गी की बीमारी से जूझ रहे हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती हैं, जिसे पीड़ित व्यक्ति को दौरे पड़ते हैं। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताब
क पूरे विश्व मे करीब पांच करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। जबकि अकेले भारत में भी लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के शिकार है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका कोई इलाज तो नहीं लेकिन इसे दवाइयों के जरिए काफी हद तक नियंत्रित रखा जा रहा सकता है। दवाई के अलावा इस बीमारी से ग्रसित लोगों को देखभाल और सहानुभूति की भी जरूरत होती है। लेकिन मिर्गी से जुड़े कुछ मिथक की वजह से लोग अक्सर इससे पीड़ित व्यक्ति से दूरी बना लेते हैं। हर साल लोगों में इसे लेकर जागरूकता लाने के मकसद से ही 17 नवंबर को नेशलन एपीलेप्सी डे मनाया जाता है। इस मौके पर जानते हैं मिर्गी से जुड़े ऐसे मिथक के बारे में, जिसके बारे में जानना हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। मिथक- संक्रामक बीमारी होती है मिर्गी? फैक्ट- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, मिर्गी एक नॉन- कम्युनिकेबल डिसऑर्डर यानी असंक्रामक बीमारी है। यह रोग किसी पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता नहीं है। मिथक- भूत-प्रेत और जादू-टोने से मिर्गी होती है? फैक्ट- मिर्गी एक मेडिकल समस्या है, जिसका भूत-प्रेत और जादू-टोने से कोई संबंध नहीं है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है, जिससे मरीज के दिमाग में शॉर्ट सर्किट होता है और उसे दौरे पड़ते हैं। मिथक- मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति की बुद्धिमत्ता प्रभावित होती है। फैक्ट- मिर्गी किसी भी तरह से व्यक्ति की बुद्धिमत्ता को प्रभावित नहीं करती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की बुद्धिमत्ता भी उतनी ही होती है, जितनी सामान्य लोगों की होती है। मिथक- मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं गुजार सकते। फैक्ट- यह धारणा बिल्कुल गलत है। मिर्गी से ग्रसित व्यक्ति भी दूसरों की ही तरह आम और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। ऐसे व्यक्ति न सिर्फ पढ़ाई और कार्यस्थल पर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, बल्कि शादी के बाद भी एक सामान्य जीवन जी सकते हैं। हालांकि, ऐसे लोगों को ड्राइविंग और स्विमिंग से बचना चाहिए। मिथक- मिर्गी का दौरा पड़ने पर पीड़ित के मुंह में चम्मच या उंगली डालनी चाहिए। फैक्ट- मिर्गी से जुड़ी यह बात पूरी तरह गलत है। दौरा पड़ने के दौरान मरीज के मुंह में कुछ भी ज़बरदस्ती डालने से दांतों और मसूड़ों को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा मरीज को जूता या मोजा सुंघाने वाली बात भी पूरी तरह से निराधार है।
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