डायबिटीज के मरीज अपनी डाइट में इन चीजों को जरूर शामिल करें

Khoji NCR
2021-01-03 07:48:05

दिल्ली, । डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। यह बीमारी रक्त में शर्करा स्तर के बढ़ने से होती है। वहीं, अग्नाशय से इंसुलिन हार्मोन नहीं निकलता है। जब

शरीर में ग्लूकोज का स्तर उच्च हो जाता है तो उसे हाइपरग्लाइसीमिया कहते हैं। जबकि ग्लूकोज के निम्न स्तर को हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। यह डायबिटीज का संकेत मात्र है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर शरीर में शर्करा स्तर लंबे समय तक असंतुलित रहता है तो मरीज को केटोएसिडोसिस हो सकता है। इस दौरान मरीज कोमा में भी जा सकता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को चीनी और इससे बने चीज़ों को खाने की मनाही होती है। अगर आप अपने हाइपरग्लाइसीमिया को नियंत्रित करना चाहते हैं तो अपने डाइट में इन 5 चीज़ों को जरूर जोड़ें। इसके सेवन से शर्करा स्तर नियंत्रित रह सकता है। आइए जानते हैं- ये फाइबर, प्रोटीन, असंतृप्त फैटी एसिड, एंटीऑक्सिडेंट, आदि का प्रमुख स्रोत हैं, जिनमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होते हैं। ग्लाइसेमिक इंडेक्स मापने की वह प्रक्रिया है, जिससे यह पता चलता है कि कार्बोहाइड्रेट से कितने समय में ग्लूकोज़ बनता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए नट्स बेहतर विकल्प हैं। साबुत अनाज इनमें फाइबर, पोषक तत्वों, और फाइटोकेमिकल्स के गुण पाए जाते हैं जो रक्त में शर्करा के स्तर को बनाए रखने में कारगर साबित हो सकता है। जबकि साबुत अनाज में ग्लाइसेमिक इंडेक्स नियमित स्तर में होता है। दही इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर कम है। डायबिटीज के मरीज दही का रोजाना सेवन कर सकते हैं। इससे पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। जबकि इसके सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। लहसुन डायबिटीज के मरीजों के लिए लहसुन रामबाण दवा है। इससे शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। जबकि यह इन्सुलिन के स्त्राव में भी सुधार करता है। साथ ही लहसुन कई अन्य प्रकार के रोगों में भी लाभकारी है। अंडे अंडे में ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर न के बराबर है। इसलिए डायबिटीज के मरीज अंडे को अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं। अंडे प्रोटीन के प्रमुख स्रोत होते हैं। जबकि अंडे ओवरईटिंग को रोकने में भी मददगार होते हैं। डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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