देश का युवा बेहतर भविष्य की चाह में अपने पसंदीदा पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए अक्सर अन्य राज्यों का रुख करता है। उत्तर भारत के अलावा अब दक्षिण के राज्यों से भी बड़ी संख्या में छात्र दिल्ली वि
्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं। परंतु कटआफ के माध्यम से होने वाली चयन प्रक्रिया उनके लिए रोड़ा सिद्ध होती रही है। दरअसल हर राज्य बोर्ड में परीक्षा में अंक देने की प्रक्रिया भिन्न होती है। कुछ बोर्ड अपना सिस्टम ऐसे रखते हैं जिससे बच्चों को अपेक्षाकृत अधिक नंबर प्राप्त नहीं हो पाते, जबकि कुछ राज्य बोर्ड अपने छात्रों को खुलकर अंक देने के पक्षधर होते हैं। इस बार कई विश्वविद्यालयों ने सीयूईटी (कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) के माध्यम से नामांकन की प्रक्रिया पूरी की है। सीयूईटी में अभी तक 79 विवि भाग ले चुके हैं। इस चयन प्रक्रिया के आरंभिक परिणाम अब देखे जा सकते हैं। दिल्ली विवि में 70 हजार सीटों पर नामांकन के लिए लाखों में फार्म भरा जाता है। पहली बार विश्वविद्यालय में सीयूईटी के माध्यम से प्रक्रिया संपन्न हुई है, इसके परिणाम भी चौंकाने वाले मिले हैं। कई बार देखने में आया है कि एक ही राज्य के बच्चे किसी किसी कोर्स में बहुतायत, अन्य राज्य के विद्यार्थियों को कम अंक प्राप्त होने के कारण कटआफ में नाम नहीं आता था। ऐसे में लंबे समय के बाद अपनाई गई इस प्रक्रिया के माध्यम से अंतत: छात्रों की इस समस्या का समाधान हो गया है। दिल्ली विवि द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार इस बार केरल बोर्ड आफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन के छात्रों की संख्या, जो गत वर्ष दिल्ली विवि में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले उम्मीदवारों में दूसरी सबसे अधिक थी, सीयूईटी की शुरुआत के बाद इस प्रवेश सत्र में सातवें स्थान पर आ गई है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से देशभर में कई स्कूल संबद्ध हैं और इस कारण विभिन्न राज्यों के आवेदकों की संख्या इस वर्ष भी सबसे अधिक है। इसके बाद काउंसिल फार द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन का स्थान है। सीट आवंटन के दूसरे राउंड के बाद उपलब्ध प्रवेश संबंधी आंकड़ों के अनुसार बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के राज्य शिक्षा बोर्डों के विद्यार्थियों की संख्या केरल बोर्ड के विद्यार्थियों से अधिक है। इस साल दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक नई प्रवेश नीति आरंभ की है जिसके अंतर्गत स्नातक पाठ्यक्रमों में छात्रों का प्रवेश सीयूईटी स्कोर के आधार पर किया जाता है। अब बोर्ड परीक्षा का स्कोर अर्हक अंक ही माना जाएगा और यह सुनिश्चित किया गया है कि 'अंकों को बढ़ाने' के कारण अक्सर किसी विशेष बोर्ड के छात्रों द्वारा अधिकतर सीटें भरने संबंधी विसंगति उत्पन्न नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि सीयूईटी ने सभी को एक साझा मंच और समान अवसर प्रदान किया है, क्योंकि अलग-अलग बोर्डों के अपने नियम और मूल्यांकन के तरीके हैं। सीयूईटी के माध्यम से इस असमानता को पाटने का प्रयास किया जा रहा है। वर्ष 2016 में िदल्ली विवि के श्री राम कालेज आफ कामर्स में अधिकांश सीटों पर तमिलनाडु राज्य बोर्ड के छात्रों को प्रवेश मिला था, जहां निर्धारित कटआफ 98 प्रतिशत के आसपास था, जबकि इस बार इसमें काफी परिवर्तन देखा जा रहा है। इस प्रकार नामांकन की पुरानी प्रक्रिया में व्याप्त खामियां भी सामने आ रही हैं, जिन्हें दूर करने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। कहा जा सकता है कि बहुत कम समय के दौरान सीयूईटी के माध्यम से उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के नामांकन की प्रक्रिया को पूरा करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्वागत योग्य कार्य किया है। इस दिशा में निरंतरता कायम रखने पर योग्य छात्रों का ही उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन संभव हो सकेगा।
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