नई दिल्ली, बरसात के मौसम के बाद मच्छरों का क़हर ख़तरनाक रूप लेने लगता है। इनसे डेंगू, मलेरिया, ज़ीका वायरस, चिकनगुनिया, पीला बुखार जैसी जानलेवा बीमारियां फैलती हैं। छोटे बच्चे और उम्रदराज़ लो
ग इनकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इनकी इम्यूनिटी कमज़ोर होती है। इनमें सबसे आम बीमारी है डेंगू जो हर साल हज़ारों लोगों की मौत की वजह बनती है। डेंगू इसलिए भी ख़तरनाक हो जाता है, क्योंकि इसके लक्षण आम फ्लू और कोविड से भी मिलते हैं, जिसकी वजह से इसके निदान में देर हो जाती है। साथ ही बच्चों के मामले में इसके लक्षण लगभग न के बराबर दिखते हैं। डेंगू के मच्छर के काटने के चार-पांच दिन के बाद संक्रमण के लक्षण नज़र आन लगते हैं। छोटे बच्चों में डेंगू बुखार गंभीर रूप ले सकता है। फ्लू जैसे लक्षण अगर बच्चे को ज़ुकाम और खांसी के साथ तेज़ बुखार है, तो यह आम फ्लू के साथ डेंगू के भी लक्षण हो सकते हैं। अगर बच्चे का बुखार 24 घंटे में कम न हो, तो चाइल्ड स्पेशलिस्ट को इस बार में ज़रूर बताएं। व्यवहार में परिवर्तन छोटे बच्चों में लक्षणों को समझना मुश्किल हो जाता है। बीमार पड़ने पर वे अक्सर चिड़चिड़े और रोते ज़्यादा हैं। अगर बच्चे के व्यवहार में अचानक बदलाव आता है, और उसे भूख भी नहीं लग रही है, तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं जी मिचलाना, उल्टी आदि जैसे लक्षण, जिन्हें गलती से गैस्ट्रोएंटेरिटिस भी समझा जा सकता है। वे पेट में भी तेज़ दर्द का अनुभव कर सकते हैं। बदन दर्द डेंगू से पीड़ित होने पर बच्चे गंभीर जोड़ों के दर्द, पीठ में दर्द और सिरदर्द आदि का अनुभव करते हैं। बच्चा अगर सुस्त और चिड़चिड़ा है, तो उससे बात करें और समझे कि वह किस चीज़ से जूझ रहा है ताकि आप डॉक्टर को अच्छी तरह से समझा सकें। त्वचा से जुड़ी समस्याएं बच्चों में डेंगू के सबसे आम लक्षणों में त्वचा पर चकत्ते या लाल दाने निकलना है। यह खसरे की तरह पैच में दिखाई देते हैं। लगातार खुजली होना भी डेंगू का एक और लक्षण है। ब्लीडिंग प्लेटलेट काउंट के कम होने की वजह से, बच्चों के मसूड़ों और नाक से रक्तस्राव हो सकता है। ऐसे मामलों में फौरन मेडिकल हेल्प लेने की आवश्यकता होती है, क्योंकि कुछ मामलों में यह रक्तस्रावी बुखार या शॉक सिंड्रोम जैसी जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है।
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