कोरियाई प्रायद्वीप में क्‍यों बढ़ा तनाव, अमेरिकी B-1 बमवर्षक की क्‍या है खूबियां, हाई अलर्ट पर जापान

Khoji NCR
2022-11-07 10:02:03

नई दिल्‍ली, रूस-यूक्रेन जंग के बीच कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ गया है। दक्षिण कोरिया और अमेरिकी सेना के बीच चल रहे सैन्‍य अभ्‍यास में जिस तरह की प्रतिक्रिया उत्‍तर कोरिया ने दी है, उससे इ

तनाव में इजाफा हुआ है। खास बात यह है कि इस सैन्‍य अभ्‍यास के दौरान अमेरिका और उत्‍तर कोरिया आमने-सामने आ गए हैं। उधर, अमेरिका ने उत्‍तर कोरिया को अपने खतरनाक बाम्‍बरों के जरिए खबरदार किया है। आइए जानते हैं कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका के सैन्‍य अभ्‍यास के दौरान उत्‍तर कोरिया का कौन सा कदम दुनिया को अचरज में डाल रहा है। अमेरिका के इन खतरनाक बाम्‍बरों की क्‍या खूबियां हैं। क्‍या कोरिया प्रायद्वीप अमेरिकी रण का नया क्षेत्र बन सकता है। अमेरिका का B-2 स्पिरिट स्टील्थ बाम्बर फ‍िर सुर्खियों में हैं। यह दुनिया का सबसे खतरनाक बाम्‍बर है। इसकी खास बात यह है कि इसको कोई भी रडार ट्रैक नहीं कर सकता है। यह दुश्‍मन सेना को चकमा देने और लक्ष्‍य भेदने में माह‍िर है। B-2 स्पिरिट स्टील्थ बाम्बर अपने साथ 16 परमाणु बमों को लेकर दुश्‍मन सेना पर प्रहार कर सकता है। इसकी खास बात यह है कि यह बाम्‍बर अपनी एक उड़ान में किसी भी देश के एक बड़े भू-भाग को खत्‍म कर सकता है। दक्षिण कोरिया में अमेरिका के साथ संयुक्‍त हवाई सैन्‍य अभ्‍यास में अमेरिकी सेना ने अपनी ताकत का एहसास कराया है। अमेरिका-दक्षिण कोरिया के संयुक्त वायु सेना अभ्यास के अंतिम दिन B-1 बमवर्षक विमानों ने अपनी क्षमता का जमकर प्रदर्शन किया। B-2 स्पिरिट स्टील्थ की गणना विश्‍व के सबसे महंगे एयरक्राफ्टों में है। इसका अंदाजा इस बात से लगया जा सकता है कि अमेरिका में भी इन विमानों की सीमित संख्‍या है। अमेरिका के पास भी B-2 स्पिरिट स्टील्थ बाम्बर की संख्‍या 20 हैं। हालांकि, 20 बाम्‍बर एयरक्राफ्ट सिर्फ एक उड़ान में 320 परमाणु बम ले जा सकते हैं। इन विमानों की खासियत यह है कि बिना रिफ्यूलिंग यानि बिना जमीन पर उतरे और बिना ईंधर भरे 11 हजार किलोमीटर तक उड़ान भर सकते हैं। B-2 स्पिरिट स्टील्थ बाम्बर एक बार में 23 हजार किलोग्राम तक के हथियार ले जा सकता है। अमेरिका के ये ऐसे बाम्‍बर है, जो लंबी दूरी के मिसाइलों को अपने साथ ले जाने में सक्षम हैं। 1999 के कोसोवो जंग, इराक युद्ध, लीबिया और अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सेना ने इन बाम्‍बरों का इस्‍तेमाल किया था। अमेरिका के इन बाम्‍बरों ने डिएगो गार्सिया में इराक की तबाही की कहानी लिखी थी। हाल में हिंद महासागर में चीन और अमेरिका के तनाव के बीच यह बाम्‍बर सुर्खियों में थे। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सक्रियता के बाद अमेरिका ने इन बाम्‍बरों की तैनाती तैनात की है। हिंद महासागर में अमेरिका के इन बाम्‍बरों की तैनाती के बाद चीन की सेना में हड़कंप है। कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव चरम पर पहुंच गया है। दक्षिण कोरिया की न्‍यूज एजेंसी योनहाप के मुताबिक अमेरिका ने अक्‍टूबर के अंत में चार बमवर्षकों को गुआम में रखा है। उधर, उत्‍तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के तेवर को देखते हुए दक्षिण कोरिया ने इस क्षेत्र में अमेरिका से रणनीतिक रूप से खतरनाक हथियारों की तैनाती तेज करने को कहा है। इसमें परमाणु पनडुब्‍बी, विमान वाहक और बी-1 जैसे लंबी दूरी के बमवर्षक शामिल हैं। खास बात यह है कि दक्षिण कोरिया और अमेरिकी सेना के बीच चल रहे इस सैन्‍य अभ्‍यास का समापन शुक्रवार को होना था, लेकिन उत्‍तर कोरिया द्वारा किए गए बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों के जवाब में इसकी समय सीमा बढ़ाने का फैसला लिया है। जापान भी निशाने पर, अलर्ट हुआ अमेरिका उधर, विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि उत्‍तर कोरिया के इस आक्रामक रुख का असर जापान पर भी पड़ रहा है। उत्‍तर कोरिया की एक मिसाइल प्रशांत महासागर के क्षेत्र में जाना एक सुनियोजित सैन्‍य घटना है। ऐसे में जापान और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों के कारण यह स्थिति और जटिल हो जाती है। उत्‍तर कोरिया की बैलिस्टिक मिसाइल को देखते हुए जापान के पीएम कार्यालय द्वारा अलर्ट जारी किया है। चीन और उत्‍तर कोरिया के प्रगाढ़ संबंधों को देखते हुए अमेरिका इस मामले में पूरी तरह से सतर्क है। अमेरिकी सेना उत्‍तर कोरिया के किसी भी सैन्‍य कार्रवाई के लिए एक दम तैयार हैं। उत्‍तर कोरिया ने अमेरिका को दी खुली चुनौती प्रो पंत ने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि अमेरिकी सेनाओं के सैन्‍य अभ्‍यास के दौरान उत्‍तर कोरिया ने अपना मोर्चा खोल रखा है। उन्‍होंने कहा कि अमुमन यह होता रहा है कि अमेरिका सैन्‍य अभ्‍यास खत्‍म होने के बाद ही उत्‍तर कोरिया जवाबी कार्रवाई करता था। उत्‍तर कोरिया की यह आक्रामकता पहली बाद देखी गई है। वह एक परमाणु संपन्‍न देश की तरह से हरकत कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि उत्‍तर कोरिया वर्ष 2010 से इस रणनीति पर काम कर रहा है कि पहले जापान और दक्षिण कोरिया के साथ तनाव बढ़ाओं और इसके बाद अमेरिका समेत इन मुल्‍कों को वार्ता के लिए बुलाओ। उन्‍होंने कहा कि उत्‍तर कोरिया के नेता किम जोंग इसके जरिए दुनिया का ध्‍यान अपनी खींचना चाहते हैं। वह उत्‍तर कोरिया पर लगे कठोर प्रतिबंधों को हटवाना चाहते हैा।

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