सरकार द्वारा 16,000 करोड़ रुपये की धनराशि चिकित्सा, शिक्षा व अनुसंधान इत्यादि पर कर रही खर्च - मुख्यमंत्री मनोहर लाल

Khoji NCR
2022-11-06 09:47:56

बायो इंजीनियरिंग व मेडिकल इंजीनियरिंग का संयुक्त कोर्स शीघ्र ही करेंगे शुरू पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में शीघ्र ही किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा करेंगे शुरू

- मुख्यमंत्री मनोहर लाल चंडीगढ़, 5 नवंबर - पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं प्रदेश के महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय तथा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वास्थ्य विज्ञान से जुड़े विभिन्न कोर्सों के विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की। महामहिम राज्यपाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्यातिथि डिग्री ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों को बधाई व शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विभिन्न पुरस्कारों के स्वर्ण व रजत पदक विजेताओं को पदक पहनाकर सम्मानित भी किया। कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने स्वास्थ्य विज्ञान के विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि वर्तमान परिवेश में इंटरनेट का युग है। स्वास्थ्य विज्ञान के विद्यार्थी इंटरनेट से जुडक़र दुनिया में हो रहे नए अनुसंधान से स्वयं को अपडेट करते रहे तथा इस आधुनिक तकनीक से आम आदमी को बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान करें। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह में प्रदान किये गए 105 पदकों में से 85 पदक लड़कियों ने प्राप्त किये है, जो उनकी मेहनत और लगन का परिणाम है। महिलाएं आज हर क्षेत्र में अग्रणी है तथा दीक्षांत समारोह में पदक व डिग्रीयां प्राप्त करने वालों में लड़कियां ज्यादा है। लड़कियां सेना में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा लगभग 1392 करोड़ रुपये की राशि का बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए प्रावधान किया गया है। कोविड काल के दौरान डॉक्टरों ने अपने जीवन की प्रवाह न करते हुए दिन-रात मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाकर बधाई का कार्य किया है। विश्वविद्यालय दुनिया के अन्य देशों व चिकित्सा संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन करें ताकि उनके नए शोध का लाभ जनता और विद्यार्थियों को मिल सके मुख्यमंत्री एवं दीक्षांत समारोह के मुख्यातिथि मनोहर लाल ने कहा कि सरकार द्वारा लगभग 16-17 हजार करोड़ रुपये की धनराशि चिकित्सा, शिक्षा व अनुसंधान इत्यादि पर खर्च की जाती है। सरकार द्वारा समाज के कल्याण के लिए एक प्रावधान किया गया है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों से डॉक्टर की डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थी सरकारी नौकरी के दौरान अपनी कमाई का कुछ हिस्सा समाज सेवा के लिए दें। उन्होंने डॉक्टर्स की डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे समाज सेवा के लिए आगे आये। सरकारी सेवा के माध्यम से लोगों की सेवा करें तथा राज्य की जनता का ख्याल रखें। डॉक्टर्स अपने व्यवसाय को सेवा के लिए समर्पित करें, न कि मेवा के लिए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में बायो इंजीनियरिंग व मेडिकल इंजीनियरिंग का संयुक्त कोर्स शीघ्र ही शुरू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में शीघ्र ही किडनी ट्रांसप्लांट का कार्य शुरू होगा। इस संस्थान की शिक्षा व अनुसंधान उच्च कोटी के है। सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रत्येक जिला में एक मेडिकल कॉलेज अवश्य हो। वर्तमान में प्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज कार्यरत है तथा 11 मेडिकल कॉलेज का या तो निर्माण जारी है या उनकी घोषणा की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2014 के बाद मेडिकल की सीटों में काफी बढ़ोतरी की गई है तथा आगामी 5 वर्षों में इन सीटों की संख्या 3 हजार तक बढ़ाई जायेगी। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों के अनुसार एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर की आवश्यकता है। इस प्रकार प्रदेश में वर्तमान में 28 हजार डॉक्टर्स की आवश्यकता है, जबकि प्रदेश में लगभग 7 हजार सरकारी डॉक्टर्स है। सरकारी व निजी डॉक्टर्स को मिलाकर लगभग 50 प्रतिशत डॉक्टर्स प्रदेश में लोगों को सेवाएं दें रहे है। डॉक्टर्स की कमी को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने बचपन के सपने को सांझा करते हुए कहा कि उनके मन में भी डॉक्टर की बनने की इच्छा थी मगर वे परिस्थितियों के कारण आज समाज के डॉक्टर बन गए है। समाज में उतार चढ़ाव व हर प्रकार की समस्या का वे तुरंत समाधान खोजते है। उन्होंने कहा कि नागरिक समस्या लाये, हम समाधान देंगे, पिछे नहीं हटेंगे। उन्होंने शिक्षाकाल को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए कहा कि शिक्षाकाल के दौरान मन में सेवा की भावना होनी चाहिए। डॉक्टर्स भगवान से कम नहीं है। हम उन्हें भगवान मान सकते है। जिस प्रकार सेना के उच्चाधिकारी को कभी भी सेवानिवृत अधिकारी नहीं कहा जाता, उसी तरह डॉक्टर्स को कभी सेवानिवृत नहीं कहा जाता। डॉक्टर्स जीवनपर्यंत लोगों की सेवा में लीन रहते है। उन्होंने डिग्री धारक डॉक्टर्स का आह्वान करते हुए कहा कि वे स्वर्ण व रजत पदक प्राप्त करने वाले डॉक्टर्स से प्ररेणा ले। पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अनीता सक्सेना ने अतिथिगण का स्वागत करते हुए आश्वस्त किया कि विश्वविद्यालय द्वारा आम जनता को हमेशा बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण काल के दौरान विश्वविद्यालय में सरकार के प्रयासों के कारण ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रही तथा मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हो सकी। इस अवसर पर एमसीएच, एमडी, एमएस, एमडीएस, एम फार्मेसी, एमबीबीएस, बीडीएस, बीएसई नर्सिंग, बैचलर ऑफ फिजियोथ्रैपी की डिग्रीयां वितरित की गई तथा विभिन्न पुरुस्कारों के तहत स्वर्ण व रजत पदक विजेताओं को मेडल पहनाये गए। विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा, पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर, मेयर मनमोहन गोयल, चिकित्सा विभाग के निदेशक डॉक्टर आदित्य दहिया, पंडित लख्मीचंद दृश्य एवं प्रदर्शन कला विश्वविद्यालय के कुलपति गजेंद्र चौहान, मदवि के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति आरएस यादव, सहित विश्वविद्यालय का स्टाफ व अधिकारी मौजूद रहे।

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