एससीओ में पीएम मोदी ने चीन को दिखाया आईना, रूस को दिया यूक्रेन जंग खत्‍म करने का महामंत्र, आखिर क्‍यों गदगद हुआ अमेरिका?

Khoji NCR
2022-09-18 11:02:23

नई दिल्‍ली, रूस यूक्रेन युद्ध के बीच शंघाई सहयोग संगठन की 15 सितंबर को समरकंद शहर में चल रही शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जंग को समाप्‍त करने का महामंत्र दिया। उनके संबोधन में

निकले तीन शब्‍द चीन और रूस के लिए सबक है। खासकर तब जब चीन, ताइवान को युद्ध के जरिए हासिल करना चाहता है और रूस यूक्रेन के बीच जंग छह महीने से जारी है। आइए जानते हैं कि आखिर पीएम मोदी ने समरकंद में क्‍या कहा। उनके इस भाषण पर रूस ने क्‍या प्रतिक्रिया दी। इसके क्‍या निहितार्थ हैं। मोदी के इस संबोधन से अमेरिका क्‍यों गदगद है। 1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युक्रेन युद्ध का शांतिपूर्ण हल निकालने पर जोर देते हुए कहा कि आज का युग जंग का नहीं है। डेमोक्रेसी, डिप्लोमेसी और डायलाग ऐसी बातें हैं, जिसका दुनिया को पालन करना चाहिए ताकि शांति की राह पर बढ़ा जा सके। उन्‍होंने कहा कि मोदी के समरकंद में बोले ये तीन शब्‍द से अमेरिका गदगद होगा। प्रो पंत ने कहा कि लोकतंत्र शब्‍द पर चीन और अमेरिका के बीच जबरदस्‍त कूटनीतिक गोलबंदी हो चुकी है। अमेरिका ने चीन और रूस को लोकतंत्र के नाम पर दुनिया से अलग-थलग करने की कोशिश की थी। पीएम मोदी ने भी समरकंद में लोकतंत्र का संदेश दिया है। मोदी इस बात को स्‍थापति कर गए कि लोकतांत्रिक तरीके से ही दुनिया में किसी समस्‍या का समाधान निकल सकता है। यह बात अमेरिका को खूब रास आई होगी। मोदी की इस बात से अमेरिका गदगद होगा। 2- प्रो पंत ने कहा कि हालांकि, यूक्रेन पर हमले के लिए भारत ने रूस की कभी निंदा नहीं की है। भारत का यह रुख अमेरिका को कभी रास नहीं आया। भारत यूक्रेन मामले में तटस्‍थता की नीति अपनाता रहा है। अमेरिका को भारत की यह नीति कभी रास नहीं आई। भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में रूस के खिलाफ मतदान में हिस्‍सा नहीं लिया था। भारत का यह स्‍टैंड भी अमेरिका को नहीं भाया था। उस वक्‍त भारत का तर्क था कि यूक्रेन जंग के मामले में वह तटस्‍थता की नीति अपनाता है। अमेरिका और पश्चिमी देशों के तमाम विरोध और दबाव के बावजूद वह अपने रुख पर कायम रहा। 3- प्रो पंत ने कहा कि मोदी के इस संबोधन ने यह दिखा दिया है कि भारत की विदेश नीति सही मामले में तटस्‍थता की नीति रही है। वह किसी भी दबाव में नहीं आता है। यही कारण है उन्‍होंने एससीओ की भरे मंच पर लोकतंत्र का उद्घोष किया। उनकी यह बात चीन और रूस को जरूर अखर रही होगी। दोनों ऐसे मुल्‍क हैं, जहां लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था नहीं है। चीनी व्‍यवस्‍था तो लोकतंत्र का घोर विरोधी है। ऐसे में मोदी का लोकतंत्र का नारा चीन को अखर सकता है। 4- पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस की दोस्‍ती दशकों से चली आ रही है। पीएम ने कहा कि हम ऐसे मित्र हैं, जो कई दशकों से साथ रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से मैं कहूं तो हमारी यात्रा भी एक वक्त पर शुरू हुई है। आपकी यात्रा 2001 में तब शुरू हुई, जब आप सत्ता में आए और मैं उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहा था। आज 22 साल हो गए हैं और हम लगातार इस क्षेत्र के लिए काम कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि दोनों के रिश्ते आने वाले वक्त में और मजबूत होंगे। प्रो पंत ने कहा कि मोदी ने यह संकेत दिया है कि यह भारत और रूस की दोस्‍ती शीर्ष नेतृत्‍व में बैठे नेताओं से तय नहीं होती है। नेता कोई भी रहा हो दोनों मुल्‍कों के बीच की दोस्‍ती कायम रही है। दोनों मुल्‍कों के बीच गहरे रिश्‍ते रहे हैं। इस दोस्‍ती में कोई भी आड़े नहीं आ सकता है। पुतिन ने भारत के साथ दोहराई अपनी गाढ़ी दोस्‍ती रूसी राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी से कहा मैं यूक्रेन पर आपके रुख को जानता हूं। इसे आप लगातार व्यक्त करते रहे हैं। मैं इसे जितनी जल्दी हो सके रोकने की हरसंभव कोशिश करूंगा। पुतिन ने यह भी बताया कि यूक्रेन ने बातचीत को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के मुद्दे पर आपकी चिंता को समझते हैं और चाहते हैं कि ये सब जल्द से जल्द खत्‍म हो, लेकिन दूसरा पक्ष यानी यूक्रेन का नेतृत्व सैन्य अभियान के जरिए अपना उद्देश्य हासिल करना चाहता है। हम आने वाले वक्त में भी आपको ताजा स्थिति के बारे में जानकारी देते रहेंगे। पुतिन ने मोदी से कहा कि दोनों मुल्कों के बीच संबंध और मजबूत हो रहे हैं और दोनों मुल्क कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम एससीओ में आपके साथ काम कर रहे हैं और ये मुलाकात हमारे अच्छे रिश्तों को और मजबूत करती है। उन्होंने भारत के अपने दौरे को याद करते हुए कहा कि बीते साल मैंने दिल्ली का दौरा किया था, जिसकी अच्छी यादें मेरे जेहन में हैं। मैं इस मौके पर आपको रूस के दौरे के लिए आमंत्रित करना चाहता हूं।

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