यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना के पलायन के क्‍या है निहितार्थ, क्‍या यूक्रेनी सेना के आगे पस्‍त हुआ रूस? एक्‍सपर्ट व्‍यू

Khoji NCR
2022-09-13 11:09:31

नई दिल्‍ली, रूस यूक्रेन जंग के छह महीने पूरे हो चुके हैं। इस जंग से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी महाशक्ति रूस एक छोटे से यूक्रेन को पर

स्‍त करने में सफल नहीं हो सका। अलबत्‍ता, रूसी हमले से यूक्रेन पूरी तरह से तबाह हो चुका है। यूक्रेन की आधी आबादी पलायन कर चुकी है, लेकिन यूक्रनी सेना ने अभी तक इस युद्ध में घुटने नहीं टेके हैं। ताजा खबर तो यह है कि रूसी सेना यूक्रेन से अब पलायन कर रही है। क्‍या रूसी सेना जंग हार चुकी है। क्‍या यूक्रेन इस जंग पर भारी पड़ रहा है। 1- 24 फरवरी को जब दोनों मुल्‍कों के बीच युद्ध शुरू हुआ था तब शायद किसी ने यह कल्‍पना नहीं किया होगा कि यह जंग इतने दिनों तक चलेगी। रूस की सेना यूक्रेन से पलायन करेगी। उस वक्‍त सबको यही उम्मीद थी कि यूक्रेनी सेना दस दिनों के अंदर आत्‍मसमर्पण कर देगी। हालांकि, युद्ध के छह महीने पूरे हो चुके हैं, यूक्रेनी सेना हौसले के साथ रूसी सेना का मुकाबला कर रही है। यूक्रेन की राजधानी कीव से लेकर उसके दर्जन भर शहर रूसी सेना ने तबाह कर दिए हैं, लेकिन यूक्रेनी सेना के हौसले को नहीं पस्‍त कर सकी। अमेरिका व पश्चिमी देशों का दावा है कि इस जंग में रूस को गंभीर सैन्य और आर्थिक क्षति पहुंची है। रूसी हथियार बुरी तरह तबाह हुए हैं और रूसी राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस जंग में तबाही को छोड़कर कुछ भी हासिल नहीं हुआ। 2- रक्षा मामलों के जानकार डा अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि यूक्रेनी सेना के पीछे अमेरिका और पश्चिमी देश खड़े रहे। अमेरिका ने अपने अत्‍याधुनिक हथियारों की आपूर्ति यूक्रेन को किया है। वहीं पश्चिमी देश यूक्रेन को हथियारों के अलावा हर तरह की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। यह युद्ध यूक्रेन और रूस के बीच नहीं होकर अप्रत्‍यक्ष रूप से अमेरिका व पश्चिमी देशों के बीच भी हो चुका है। अमेरिका ने यूक्रेन की मदद कर इस युद्ध को लंबा खींच दिया। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका अपनी मंसूबों में सफल रहा। 3- उन्‍होंनें कहा कि राष्‍ट्रपति पुतिन ने बहुत जल्‍दबाजी में युद्ध का निर्णय लिया। उन्‍होंने यूक्रेन समस्‍या के समाधान के लिए कूटनीति का रास्‍ता छोड़कर सीधे जंग पर उतारू हो गए। डा अभिषेक कहते हैं कि अमेरिका भी यही चाहता था कि रूस आर्थिक रूप से और कमजोर हो, और यह तभी संभव था जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग हो। इस युद्ध में रूस की भारी क्षति हुई है। इस युद्ध का असर उसके सैनिकों के मनोबल पर पड़ा है। इस जंग में रूस के कई बड़े हथ‍ियारों की पोल भी खुली है। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका अपनी मंसूबों में पूरी तरह से सफल रहा। 4- उन्‍होंने कहा कि इतना ही नहीं अमेरिका ने इस युद्ध के जरिए चीन को भी संदेश दिया है कि वह ताइवान पर युद्ध छेड़ने का इरादा छोड़ दे। रूस यूक्रेन जंग के नतीजों से यह साफ हो गया है कि यह जरूरी नहीं अमेरिका किसी जंग में सक्रिय रूप से शामिल होकर ही युद्ध के परिणामों को प्रभावित कर सकता है। वह अपने सैन्‍य सहयोग के बल पर युद्ध की दशा और दिशा बदलने में समर्थ है। यही कारण है नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर गरज रहा चीन शांत हो गया। वह नैंसी के विमान को गिराने की बात कर रहा था, लेकिन अमेरिका ने उसकी एक नहीं सुनी और अमेरिकी कांग्रेस अध्‍यक्ष की सकुशल ताइवान यात्रा हुई। रूसी सेना पर उठे सवाल 1- गौरतलब है कि यूक्रेन की सेना जिस रफ्तार से पूर्वी खारकीव क्षेत्र में आक्रामक होकर रूसी सैनिकों पर भारी पड़ रही है, उसकी वजह से यह युद्ध नई दिशा में पहुंच गया है। यूक्रेनी सैनिकों ने कई दर्जन कस्‍बों और गांवों को रूसी सेना से आजाद करा लिया है। इससे पहले यूक्रेन के राष्‍ट्रपति व्‍लोदिमीर जेलेंस्‍की ने दावा किया था कि यूक्रेनी मिलिट्री ने 6000 स्‍क्‍वायर मीटर की जमीन रूस से वापस हासिल कर ली है। सिर्फ इतना ही नहीं उन्‍होंने रूसी सैनिकों का मजाक तक उड़ाया था। जिस रफ्तार से यूक्रेन ने रूस की सीमा के पश्चिमी हिस्‍से और लुहान्‍स्‍क के उत्‍तर में नियंत्रण हासिल किया है, उसके बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। 2- कहा जा रहा है कि रूसी सैनिकों ने अपने बख्‍तरबंद वाहनों को छोड़कर भाग खड़े हुए। इतना ही नहीं रूसी सैनिकों की प्रतिक्रिया भी बड़ी निराश करने वाली थी। जंग के दौरान के जो रूसी सेना के वीडियोज सामने आए और यूक्रेनी सेना रिपोर्ट्स में जो कुछ कहा गया, उसके बाद ऐसा लगता ही नहीं था कि ये सैनिक किसी तरह की आक्रामकता का जवाब दे रहे थे। कुपियान्‍स्‍क और इजयुम में रूसी के सैनिकों ने कुछ ही मिनटों में आत्‍मसमर्पण कर दिया। मितरोखिन का कहना है कि ऐसा लगता है कि रूस ने जान-बूझकर इस इलाके से निकलने का फैसला किया था। जिस तरह के मानवबल और हथियारों का प्रयोग हुआ वह भी काफी निराश करने वाला था।

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