सुपरटेक ट्विन टावर 02:30 बजे ढहा दिए गए, दोनों इमारतें 9-12 सेकेंड में गिर गईं। सुपरटेक ट्विन टावर के आसपास की सोसायटी को खाली करा गया था। बिल्डिंग के आसपास धारा 144 लागू है, नोएडा एक्सप्रेसवे से लेकर
कई सड़कें बंद कर दी थीं और डायवर्जन भी लागू किया गया था। Supertech Twin Tower Demolition Blast: सुपरटेक ट्विन टावर रविवार की दोपहर ढाई बजे यानी 02:30 बजे (28 अगस्त) गिरा दिए गए। नोएडा सेक्टर-93ए में अवैध तरीके से बनाई गई बिल्डिंग विस्फोट के जरिए ध्वस्त हो गईं। इसे गिराने में 3500 किलो विस्फोटक का प्रयोग किया गया। इसको लेकर सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत की गई। आसपास के रिहायशी इलाकों को खाली कराया गया। भारी पुलिस बल तैनात किया गया। यहां जानें सुपरटेक से जुड़े हर प्रकार का अपडेट... विस्फोट को लेकर कुछ जरूरी बातें- दोनों टावरों के पिलर में 9800 छेद किए गए, जिनमें 3500 किलो बारूद भरा था। 120 ग्राम से 365 ग्राम तक हर छेद में विस्फोटक लगाया गया। 40 लोगों ने विस्फोटक लगाया और 10 विशेषज्ञों की ओर से पूरी प्रक्रिया में योगदान दिया। एपेक्स और सियान टावर में दो-दो विस्फोट हुए। सियान टावर में पहला विस्फोट, जबकि एपेक्स में दूसरा विस्फोट किया गया। 200 से 700 मिली सेकेंड के अंतराल में सभी तलों में विस्फोट हुआ। रिमोट के जरिये बटन दबाकर इमारत को जमींदोज किया गया। ट्विन टावर सिर्फ 9-12 सेकेंड में धूल में मिल गए। इनसे करीब 88000 टन मलबा निकलने की संभावना है। जिसे हटाने में 3 महीने का समय लग जाएगा। ब्रिंकमैन ने तैयार किया ब्लास्ट डिजाइन, बोले- पूरी तरह से सुरक्षित सुपरटेक ट्विन टावरों को ध्वस्त करने के लिए दक्षिण अफ्रीकी कंपनी जेट डिमोलिशन के निदेशक जो ब्रिंकमैन ने ही इस इमारत का ब्लास्ट डिजाइन तैयार किया है। उन्हें इस क्षेत्र में करीब 40 वर्षों का अनुभव है। ब्रिंकमैन दूसरे व्यक्ति होंगे जो ट्रिगर प्वाइंट पर मौजूद रहेंगे। ब्रिंकमैन को पूरा भरोसा है कि रविवार को दोपहर ढाई बजे दोनों टावरों को जमीन पर गिराए जाने से कोई नुकसान नहीं होगा। चेतन दत्ता ने बताया कि ये इमारतें हाई सिसमिक जोन में हैं। ध्वस्तीकरण के बाद की तैयारी नोएडा ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के बाद पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, फुटपाथ, सेन्ट्रल वर्ज एवं पेड़-पौधों की धुलाई के लिए वाटर टैंकर्स, मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन एवं सफाई कर्मचारियों की तैनाती की गई है। जागरण संवाददाता धर्मेंद्र चंदेल ने बताया कि आपात स्थिति से निपटने की पूरी व्यवस्था की गई है। जियो टैक्सटाइल कपड़े से ढकी गई इमारत ट्विन टावर को जियो टैक्सटाइल कपड़े से ढका गया गया है। वहीं, आसपास की इमारतों को भी इसी तरीके से ढका गया है। एक्सपर्ट्स की मानें तो यह कपड़ा ब्लास्ट के दौरान मलबे के यहां-वहां फैलने से रोकेगा। वहीं गैस पाइप लाइन को बचाने के लिए स्टील प्लेट बिछाई गई है। आधे घंटे के लिए बंद हुआ नोएडा एक्सप्रेसवे नोएडा से ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे की ओर जाने वाले यातायात को महामाया फ्लाईओवर से सेक्टर-37 की ओर डायवर्ट किया जाएगा। वाहन चालकों को सिटी सेंटर, सेक्टर-71 होकर गंतव्य की ओर जाना पड़ेगा। यह मार्ग दोपहर 2:15 बजे से 2:45 बजे तक बंद रहेगा। इसको लेकर डायवर्जन किया गया है। सुपरटेक टावर के आसपास एक नॉटिकल मील तक बंद रहेगा एयर स्पेस टावरों के आसपास एक समुद्री मील (One Nautical Mile) का हवाई क्षेत्र विमानों के लिए बंद रहेगा। नोएडा प्राधिकरण ने बताया कि एक समुद्री मील का हवाई क्षेत्र (Air Space) उड़ानों के लिए कुछ समय के लिए बंद रहेगा। एक नॉटिकल मील लगभग 1.8 किलोमीटर के बराबर होता है। बिल्डिंग गिरने की कहीं खुशी, कहीं गम सुपरटेक ट्विन टावरों के गिरने की कहीं खुशी कहीं गम है। बिल्डिंग के पास गेझा गांव की झोपड़ियों में रहने वाले कुछ बच्चे कह रहे हैं कि वो काफी उत्साहित हैं। ऐसा नजारा सिर्फ टीवी पर ही देखने को मिलता है। लेकिन इसे वह अपनी आंखों से देखेंगे। वहीं कुछ और बच्चों का कहना है कि किसी के सिर पर छत भी नहीं है और यहां बिल्डिंग को गिराया जा रहा है। टावरों को गिराने से पहले प्रशासन और प्राधिकरण मुस्तैद सुपरटेक ट्विन टावर के आसपास 400 की संख्या में पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। वहीं, दमकल विभाग की गाड़ियां और कर्मचारी मौजूद हैं। विस्फोट से पहले फायर कर्मियों को अधिकारी दिशा निर्देश दे रहे हैं। किसी भी सूरत में आपात स्थिति में निपटने के लिए एंबुलेंस, एनडीआरएफ की टीम भी मौजूद है। खाली हुईं सोसायटी नोएडा के सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक ट्विन टावरों (एपेक्स और सियान) के पास एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसायटी को पूरी तरह से खाली करा दिया गया है। 2700 फ्लैट में रहने वाले करीब 7000 लोग कहीं और शिफ्ट हो गए हैं। इन्हें शाम 4 बजे के बाद अपने घर लौटने की अनुमति होगी। फिर भी इन्हें प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। सोसायटी के 3000 वाहन, पालतू जानवारों को भी बाहर निकाला गया है। सुपरटेक ट्विन टावर के ध्वस्त होने के बाद बढ़ेंगी स्वास्थ्य चुनौतियां केरल के कोच्चि और मराडु में जनवरी 2020 में चार टावर होली फेथ एच 20, अल्फा सिरीन, जैन कोरल कोव व गोल्डन कायलओरम के ध्वस्तीकरण के बाद आसपास के लोगों को महीनों तक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हुई थीं। इसमें सिरदर्द, अस्थमा, अटैक, जुकाम, कफ और एलर्जी के कारण लोग कई सप्ताह तक परेशान रहे थे। केरल में एक साथ ढहाए गए थे 4 टावर केरल में ढहाए गए चार टावरों में तीन की ऊंचाई 17 मंजिल और एक की ऊंचाई 19 मंजिल थी। वहीं देश के बाहर अब तक करीब 200 इमारतों को गिराया जा चुका है। इनमें सबसे पहले ब्राजील में वर्ष 1975 में विल्सन मेंडस नामक 110 मीटर ऊंची इमारत को मेट्रो स्टेशन का रास्ता बनाने के लिए ध्वस्त किया गया था। 100 मीटर से ऊंची 19 इमारतें परंपरागत तरीके से तोड़ी गई हैं। दुनियाभर में अभी तक करीब 50 मीटर से ऊंचे 200 टावर ध्वस्त किए गए हैं। ध्वस्तीकरण से पहले की गई पूजा नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर (एपेक्स व सियान टावर) को ध्वस्त करने से पहले पूजा अर्चना की गई। इस दौरान एडफिस के जिगर मेहता और अन्य लोग मौजूद थे। ध्वस्तीकरण प्रक्रिया को दिया जा रहा फाइनल टच नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावरों के ध्वस्तीकरण को फाइन टच दिया जा रहा है। ध्वस्तीकरण प्रक्रिया के आखिरी चरण को पूरा करने के लिए एडफिस के विशेषज्ञ एपेक्स और सियान टावर में गए हैं। वहां पूरी व्यवस्था को देखेंगे। इसके बाद बाहर आकर दोपहर ढाई बजे (02:30 बजे) बटन दबाकर टावर जमींदोज किए जाएंगे। कुतुबमीनार से भी ऊंचे ट्विन टावर दिल्ली से सटे नोएडा में कुतुबमीनार से ऊंचे दो रिहायशी टावर एक ब्लास्ट के साथ मिट्टी में मिल जाएंगे। मिली जानकारी के मुताबिक, तय योजना के तहत नोएडा में सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर (सियान और एपेक्स) को रविवार को दोपहर 2:30 पर 3700 किलोग्राम बारूद से विस्फोट किया जाएगा। इसके 9 से 13 सेकेंड के भीतर दोनों टावर नीचे आ जाएंगे। लगाई गई स्माग गन नोएडा ट्विन टावर (एपेक्स व सियान) के आसपास की सोसायटियों और चौराहों पर स्माग गन लगाया गई है। जिससे ध्वस्तीकरण के बाद उड़ने वाली धूल को नियंत्रित किया जा सके। क्योंकि विस्फोट के बाद धूल करीब हवा में 10-15 मिनट तक रहेगी प्रदूषण मापने के लिए लगाई मशीन सुपरटेक ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण (Supertech Twin Tower Demolition) को लेकर प्रदूषण के स्तर की निगरानी के लिए विध्वंस स्थल पर विशेष धूल मशीन स्थापित की गई है। जो हवा में धूल की मात्रा को मापेगी।
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