रांची, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर चुनाव आयोग का फैसला अब थोड़ी ही देर में सामने आ सकता है। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के दिल्ली से रांची आने की प्रतीक्षा की जा रही थी। राज
्यपाल दिल्ली से रांची पहुंच गए हैं। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट रांची से वह सीधे राजभवन पहुंच गए हैं। बताया जा रहा कि वह चुनाव आयोग के फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। संभव है कि शीघ्र ही इस फैसले से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत करा दिया जाएगा। सीएम आवास में विधायकों की बैठक शुरू उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी खतरे में देख झामुमो ने अपने सभी विधायकों की बैठक शुरू कर दी है। यह बैठक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर चल रही है। इसमें आगे की रणनीति पर गहन मंथन चल रहा है। उधर कांग्रेस मुख्यालय में भी पार्टी विधायकों से विमर्श का हो गया है। विमर्श के पश्चात कांग्रेस के विधायक मुख्यमंत्री आवास के लिए रवाना हो गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि हर हाल में कांग्रेस झामुमो के साथ है। महागठबंधन किसी सूरत में नहीं टूटेगा। कांग्रेस का समर्थन जारी रहेगा। चुनाव आयोग या राज्यपाल से कोई पत्र नहीं मिला : हेमंत उधर, मुख्यमंत्री की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री को कई मीडिया प्लेटफॉर्म्स से जानकारी मिली है कि चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें 'एक विधायक के रूप में उनकी अयोग्यता की स्पष्ट रूप से सिफारिश की गई है'। इस संबंध में चुनाव आयोग या राज्यपाल से मुख्यमंत्री कार्यालय को कोई पत्र नहीं मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि 'ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा के एक सांसद और भाजपा के गोदी मीडिया/कठपुतली पत्रकारों सहित अन्य भाजपा नेताओं ने स्वयं चुनाव आयोग की रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है, जो वास्तव में एक सीलबंद कवर रिपोर्ट है। दीनदयाल उपाध्याय मार्ग में स्थित भाजपा मुख्यालय द्वारा संवैधानिक संस्थाओं का यह घोर दुरुपयोग और एक शर्मनाक तरीके से उनका पूर्ण अधिग्रहण देश के लोकतंत्र की नींव पर गहरा कुठाराघात है। तीन साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हेमंत : सरयू राय उधर, झारखंड के निर्दलीय विधायक और रघुवर दास की सरकार में मंत्री रह चुके सरयू राय ने कहा है कि अति विश्वस्त सूत्रों के अनुसार निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन को विधायक पद से अयोग्य करार दिया है। विधायक बनने के लिये अयोग्य घोषित होने की अधिसूचना राजभवन से निकलते ही उन्हें त्याग पत्र देना होगा या न्यायालय से इस अधिसूचना पर स्थगन आदेश प्राप्त करना होगा। जहां तक मेरा अनुमान है अयोग्य ठहराने की अधिसूचना राजभवन से निकलते ही हेमंत सोरेन इसके विरूद्ध हाईकोर्ट/सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्हें जाना भी चाहिए। यदि मुख्यमंत्री रहते न्यायालय से तुरंत स्थगन आदेश नहीं मिला तो मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद भी वे न्यायिक लड़ाई लड़ सकते हैं।भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड के राज्यपाल के पास अपनी अनुशंसा भेज दिया है कि हेमंत सोरेन भ्रष्ट आचरण के दोषी पाये गये हैं। फलतः ये विधायक नहीं रह सकते। इन्हें अगले तीन वर्षों तक विधायक का चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया जा सकता है। चर्चा- चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित होने की बात नहीं उधर, राजनीतिक सूत्रों की मानें तो भारत निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन की झारखंड विधानसभा की सदस्य्ता रद करने की अनुशंसा तो की है, लेकिन चुनाव लड़ने से हेमंत को डिबार करने का कोई जिक्र अपनी अनुशंसा में नहीं किया है। यह हेमंत सोरेन के लिए थोड़ी राहत की खबर है। अगर फैसला इस अनुरूप आता है तो हेमंत सोरेन दोबारा किसी सीट से चुनाव लड़कर पुन: मुख्यमंत्री के पद पर बैठ सकते हैं। उनके पास पर्याप्त बहुमत है। कांग्रेस का समर्थन उन्हें जारी है। कांग्रेस ने कहा भी है कि वह झामुमो को समर्थन देती रहेगी।
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