मेवात में पॉली-टनल तकनीक से उगेंगी सब्जियां

Khoji NCR
2020-12-29 11:33:16

नूंह, पॉली-टनल तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस तकनीक के जरिए किसान बेमौसमी सब्जियां पैदा कर रहे है। जिससे सब्जियों के अच्छे दाम मिलने से मोटा मुनाफा हो रहा है। हालाकी इस वैज्ञान

िक तकनीक का प्रचलन ज्यादा नहीं बढ़ा है, लेकिन कई जागरूक किसानों ने पॉली टनल तकनीक को अपनाकर कई तरह की सब्जियां उगा रहे है। पॉली-टनल में सब्जियां उगाने पर सर्दी-गर्मी और बीमारियों का प्रभाव न के बराबर हो जाता है जिससे पैदावार भी काफी अच्छी होती है। खास बात यह है कि बागवानी विभाग भी इस तकनीक को अपनाने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है और पॉली-टनल बनाने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी भी दी जा रही है। क्या है पॉली-टनल तकनीक:- इस तकनीक में एक तरह से टनल (सुरंग) में सब्जियां पैदा की जाती है। लोहे के सरिए और पालीथिन शीट से छोटी व लंबी टनल बनाई जाती है। इस टनल में सब्जियों को बोने के बाद ड्रिप सिस्टम से सिंचाई की जाती है। टनल की मदद से सब्जी की फसल को ज्यादा गर्मी व सर्दी से बचाया जा सकता है। मौसम फसल के अनुकूल होने के बाद टनल को हटा दिया जाता है। इस तरह से किसान पाली/टनल में अगेती फसल पैदा कर सकते है। नूंह में पॉली-टनल की खेती:- पॉली-टनल तकनीक को प्रदेश में सबसे ज्यादा नूंह के जागरूक किसान अपनाने लगे है। यह तकनीक खण्ड नूंह के गांव रेहना, सादई, बडक़ा अलीमुदीन, खोड़, बसई, बारोटा, बाई, मेवली, बड़ौजी इत्यादि में लगाई जा रही है। खंड तावड़ू के जौरासी, रानियाकी, ढिढारा, निजामपुर, कलवाड़ी, खोरी, बावली इत्यादि में लगाई जा रही है। खण्ड नगीना के शाहपुर, घाघस, कंसाली, लोटकी, घुमटकी, साटावाड़ी नांगल, माण्डीखेड़ी इत्यादि में लगाई जा रही है। खंड फिरोजपुर-झिरका के रवा, भगोला, नाहरिका, चितौड़ा, नावली, अहमदबास, नसीरबास, ढोंड, भौंड इत्यादि में लगाई जा रही है। पिनंगवा खंड के रहपुआ, सटकपुरी, ढाणा, बूबलहेड़ी, औथा, मुंडेता इत्यादि जिलों में लगाई जा रही है। पुन्हाना खंड के गांव हथनगांव, नई, नहेदा, पुन्हाना, बिछौड़, लुहिंगा कलां, पिपरोली, चान्दनका इत्यादि में लगाई जा रही है। जिले के दो दर्जन से ज्यादा गांवों के करीब 1000 एकड़ में पॉली-टनल तकनीक के जरिए सब्जियों की खेती की जा रही है। बागवानी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक आने वाले सालों में इसका रकबा बढऩे की संभावना है। 30-40 दिन पहले फसल तैयार:- खीरा, खरबूजा, घीया सहित कई तरह की सब्जियों को पॉली-टनल में उगाया जा सकता है। ये फसले मार्केट में सीजन से 30-40 दिन पहले की तैयार होकर पहुंच जाती है। जिससे किसानों को सब्जियों के अच्छे रेट मिल जाते है। उदाहरण के तौर पर समर स्ववेश गर्मी में उगने वाली सब्जी है। लेकिन पॉली-टनल में इसे दिसंबर में उगाया जाता है, जो फरवरी के पहले सप्ताह में मार्केट में आ जाती है। इसी तरह खरबूजा फरवरी के पहले सप्ताह में बोने के बाद यह अप्रैल में पककर तैयार हो जाता है। करेला जनवरी के तीसरे सप्ताह में बोया जाता है और अप्रैल मध्य में किसान इसको मार्केट में बेच सकते है। इस तरह ये सब्जियां पा-टनल में उगाने के चलते करीब 30 से 40 दिन पहले मार्केट में पहुंच जाती है और किसनों को रेट ज्यादा मिलता है। पॉली-टनल तकनीक के लिए बागवानी विभाग किसानों को सब्सिडी भी दे रहा है। जागरूक किसानों को प्रोत्याहित किया जाएगा।

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